संसद के सेंट्रल हाल में बरसों बाद इतना रश देखा। सांसदों की भीड़ का असर कंटीन पर भी पड़ा। दूध से बने खाने-पीने वाले सामानों वाले काउंटर पर भी। दूध के बने खाने-पीने वाले काउंटर की बात चली। तो अपन आपकी जानकारी के लिए बता दें- सेंट्रल हाल से पुरानी लाइब्रेरी में घुसने वाले रास्ते में दो काउंटर। एक तरफ चाय का काउंटर। तो दूसरी तरफ उसके सामने दूध-दही-घी से बनी चीजों का काउंटर। अंग्रेजों के जमाने में जब संसद बनी। तो यहां बियर बार हुआ करता था। अंग्रेज चले गए। तो गांधी की कांग्रेस ने संसद से शराब को बाहर किया। शराब के सारे ठेकेदार कांग्रेसी बन गए। यह अलग बात। पर अपन बात कर रहे थे- भीड़ के असर की। अपने गोपीनाथ मुंडे अपन से बतिया रहे थे। तो कुछ पीने की तलब उठी। एक सांसद ने कॉफी की इच्छा जाहिर की। बाकी पांच सांसदों और अपनी इच्छा लस्सी की हुई। कुछ देर बाद काउंटर का आदमी आकर बता गया- 'दही खत्म हो गई।' यही हाल डोसे और इडली का हुआ। अपन यह इसलिए बता रहे हैं। ताकि आपको राजनीति में आए उफान का अंदाज लगे। एक कहावत है- 'गांव बसा नहीं, भिखारी पहले आ गए।' सोमवार को वही हाल दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में रहा। लोकसभा अभी भंग नहीं हुई। सरकार की किस्मत का फैसला नहीं हुआ। पर टिकट मांगने वाले दिल्ली पहुंच गए। यों कांग्रेसी गलियारों में जीत की पूरी उम्मीद थी। पर सेंट्रल हाल में टिकटार्थी भी सबसे ज्यादा कांग्रेस के दिखे। उम्मीद का अंदाज तो इस बात से लगाइए। एक कांग्रेसी मंत्री बोला- 'हम बीजेपी जैसे मूर्ख नहीं। जो एक वोट पर सरकार गिरने दें।' हरीश रावत फिलहाल राज्यसभा में। वह बोले- 'आडवाणी का फ्यूज तो उड़ गया। कल तक मायावती का भी उड़ जाएगा।' आडवाणी के भाषण से तरह-तरह की अफवाहें उड़ी। उनने सरकार के अस्थिर होने पर अच्छा-खासा बोला। बोले- 'इसके लिए न हम जिम्मेदार, न लेफ्ट।' जब सरकार गिराने की बात हो रही हो। तो अस्थिरता पर आकर अटकना सांसदों को अखरा। लगा जैसे बीजेपी सरकार गिराने में गंभीर नहीं। इसे ही हरीश रावत ने फ्यूज उड़ना कहा। पर जैसा आत्मविश्वास कांग्रेस में दिखा। वैसा ही आत्मविश्वास अपन को विपक्षी खेमे में भी दिखा। गोपीनाथ मुंडे ने गंभीरता के सवाल उठाने वालों को मीडिया का दिमागी फितूर बताया। उनने कहा- 'हम गंभीर न होते। तो बीमार सांसदों को क्यों लाते।' तो बात दावेबाजी की। लालू का दावा अभी 291 से नीचे नहीं आया। वीरप्पा मोइली अपने 281 पर खड़े रहे। प्रणव मुखर्जी ने बहस में हिस्सा लेते हुए 276 का दावा किया। यूपीए में तालमेल का अंदाजा लगा लीजिए। इससे यह भी साफ- यूपीए के पास स्पष्ट बहुमत नहीं। जोड़तोड़ जुगाड़ आखिरी वक्त तक जारी। जुगाड़ हो गया होता। तो नए-नए मुल्ला रामगोपाल यादव यह न कहते- 'लोकसभा के आखिरी दिन चल रहे हैं। मंगलवार को ही सरकार गिर गई। तो मंत्रियों का कुछ नहीं जाएगा। वे तो चुनाव तक मंत्री बने रहेंगे। सांसदों का नुकसान क्यों करते हो।' अपन ने कांग्रेस की बताई 271 की लिस्ट देखी। तो उसमें फालतूफंड की दावेबाजी। कांग्रेस के अपने 151 सांसद। पर दावा 152 का। अपन बताते जाएं- कुलदीप विश्नोई एनडीए के डिनर में थे। अरविंद शर्मा सोमवार को मायावती से मिले। सपा के 34 सांसदों का दावा। पर बचे अभी सिर्फ तैंतीस ही। नगालैंड पीपुल फ्रंट से अभी कोई वादा नहीं मिला। फिलहाल वह एनडीए के साथ। पर कांग्रेस की लिस्ट में शामिल। नेशनल कांफ्रेंस ने कोई ऐलान नहीं किया। उमर अब्दुल्ला पीएम के डिनर में भी नहीं आए। पर कांग्रेस की लिस्ट में शामिल। तीन निर्दलीय लिस्ट में। पर अपने मुताबिक सिर्फ दो। सो अपने मुताबिक सात नाम फालतू। अलबत्ता बीजेपी की लिस्ट में एक नाम का इजाफा हुआ। धर्मेन्द्र के आने की उम्मीद नहीं थी। पर वह सोमवार को ही पहुंच गए। सो दो बागी और एक बीमार डीसी श्रीकांता को छोड़ 127 मौजूद होंगे। अब कांग्रेस के दावे के मुताबिक कर्नाटक, गुजरात से एक-एक खिसके। अकाली-बीजेडी से गैर हाजिर हुए तो बात अलग। वैसे अपन को ऐसा होता नहीं दिखता। पर सबकी पोल तो आज रात को ही खुलेगी। कांग्रेस का दावा- 'विश्वासमत जीतेंगे।' विपक्ष का दावा- 'आज सरकार का आखिरी दिन।'
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