मोदी भावनात्मक मुद्दे पर ले गए चुनाव

Publsihed: 07.Mar.2019, 19:08

इंडिया गेट से अजय सेतिया / लोकसभा चुनावों की घोषणा किसी भी समय हो सकती है | पिछली बार 5 मार्च 2014 को चुनावों की घोषणा थी | जैसा कि शुरू से ही संकेत मिल रहे थे, इस बार दो-चार दिन बाद ही चुनावों की घोषणा होगी | नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बाद राजनाथ सिंह ने भी अपने विरोधियों पर राजनीतिक हमले शुरू कर दिए हैं | इस से साफ़ है कि पाकिस्तान से तनाव के बीच ही भाजपा ने बड़े पैमाने पर चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं | अलबत्ता इस बार कश्मीर और पाकिस्तान को लोकसभा चुनाव का केंद्र बिन्दु बनाने की रणनीति बना ली है | पुलवामा की घटना और उस के बाद पाकिस्तान पर किए गए हवाई हमले ने नरेंद्र मोदी का ग्राफ फिर बढ़ा दिया है | लोग पाकिस्तान पर की गई कार्रवाई की तुलना 2008 में मुम्बई पर हुए आतंकी हमले से कर रहे हैं, जब मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी | मोदी और उनकी टीम इन्ही जनभावनाओं को उभार कर वोट बैंक में परिवर्तित करने की रणनीति पर चल रहे हैं |

मोदी कश्मीर मुद्दे पर आम जनमानस के भावनात्मक लगाव और पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश को भली भांति समझते हैं | इसलिए उन्होंने विवादास्पद अयोध्या मुद्दे को दरकिनार कर जनभावनाओं के अनुकूल कश्मीर और पाकिस्तान को चुनावी मुद्दा बनाया है | हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने लोकसभा चुनाव तक अयोध्या पर सुनवाई टालने की गुहार लगाई थी , जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया था | अब जबकि सुप्रीमकोर्ट में अयोध्या मुद्दे पर सुनवाई शुरू हो चुकी है, इसे चुनावी मुद्दा बनाने की अब किसी को दिलचस्पी नहीं है | कोर्ट ने भी आपसी बातचीत की खिड़की फिर से खोलने के संकेत दे कर चुनावों तक मामले को ठंडे बस्ते में डालने का इरादा जताया  है | प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने कपिल सिब्बल के स्टेंड से खुद को अलग कर के हिन्दुओं में अपनी गिरती साख को बचाया था | वही निति उसने शुरू में कश्मीर और पाकिस्तान के मुद्दों पर भी अपनाई | जब दिग्विजय सिंह ने एयर स्ट्राईक में हताहतों की संख्या को लेकर सवाल उठाए थे, तो कांग्रेस ने उन के बयान से किनारा किया था |

राहुल गांधी चुनाव जीतने के लिए भावनाए भड़काने की मोदी की रणनीति को काफी हद तक समझने लगे हैं | इसलिए वह अयोध्या, कश्मीर , पाकिस्तान जैसे मुद्दों पर कोई बात करने से बच रहे हैं | चुनाव को मोदी सरकार की किसानों और बेरोजगारों की समस्या हल करने में विफल रहने के मुद्दे पर ला कर खडा करने की उनकी रणनीति बेहतरीन थी, जिस का नतीजा तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में उस के पक्ष में निकला  था | भाजपा ने वह चुनाव विकास के मुद्दे पर लडा और हारा | लेकिन कांग्रेस की समस्या यह है कि कपिल सिब्बल, पी.चिदम्बरम, रणदीप सुरजेवाला, दिग्विजय सिंह और सिद्धू चुनावों को भावनात्मक मुद्दों पर लाने में मोदी की मदद कर रहे हैं | इस तरह चुनाव की हवा उसी तरफ बहनी शुरू हो गई है, जिस तरफ मोदी बहाना चाहते हैं | चुनाव की घोषणा से पहले ही मोदी ने चुनाव का एजेंडा तय कर दिया है , वह किसानों की दुर्दशा और युवाओं की बेरोजगारी को चुनावी मुद्दा नहीं बनने देना चाहते थे, और उन्हें पुलवामा की घटना ने मौक़ा दे दिया | कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों से सहानुभूति रखने वाले बुद्धिजीवी भी पुलवामा और पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की सत्यता पर सवाल उठा कर मोदी की मदद कर रहे हैं , क्योंकि उन की बातों से जनभावनाएं और भड़क रही हैं |

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