अजय सेतिया / हिन्दू आतंकवाद और मुस्लिम आतंकवाद की सच्चाई का अब कोर्ट के जरिए फैसला हो रहा है | यूपीए सरकार के समय मुस्लिम आतंकवाद को छुपाने की कोशिशें की गई थी | तब के रेल मंत्री लालू प्रशाद यादव ने गोधरा में ट्रेन को जलाने की घटना का सच बदलने की कोशिश की थी | उन ने यूसी बेनर्जी समिति से जांच करवा कर कहलवाया कि बोगी को आग बाहर से नहीं लगवाई गई थी | पर गुजरात हाई कोर्ट ने उस राजनीतिक रिपोर्ट को खारिज कर दिया था | 27 फरवरी 2002 की इस घटना का सच दबाने की यूपीए सरकार की कोशिश मुस्लिम आतंकवाद पर पर्दा डालना था | दूसरी तरफ कर्नल पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा और स्वामी असीमानंद को हिन्दू आतंकवाद साबित करने के लिए गिरफ्तार किया गया | पर संयोग देखिए कि उसी यूपीए सरकार के दौरान पहली मार्च 2011 में 31 मुसलमानों को गोधरा ट्रेन जलाने पर सजा सुनाई गई | गोधरा काण्ड के छह आरोपी इस फैसले के बाद गिरफ्तार किए गए थे | जिनमें से एक अब्दुल गनी पाटदिया की जेल में मौत हो गई थी | बाकी पांच का अदालती फैसला सोमवार 27 अगस्त को आया | इन में से दो फारूख बहाना और इमरान को भी दोषी पाया गया है जबकि हुसैन सुलेमान ,कसम भेमेड़ी और फारूख दतिया बरी हुए |
अदालती फैसलों से यूपीए सरकार की बेनर्जी कमेटी की साजिश का भंडा फोड़ हो चुका है | अब यूपीए की हिन्दू आतंकवाद की साजिश का अदालती भंडाफोड़ होना है | कोर्ट से बरी होने के बाद अब सोमवार को कर्नल पुरोहित सुप्रीमकोर्ट पहुँच गए हैं | उन के कोर्ट से गुहार लगाई है कि उन्हें झूठा फंसाने की साजिश का खुलासा होना चाहिए | कोर्ट साजिश का भंडाफोड़ करने के लिए जांच का आदेश दे | अपन याद दिला दें कि अजमेर शरीफ, समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद , मालेगांव जैसी वारदातों में हिन्दुओं को फंसाया गया था | कर्नल पुरोहित को यूपीए सरकार ने हेमंत करकरे की एसआईटी के माध्यम से मालेगांव विस्फोट में फंसाया था | हालांकि पहले मालेगांव विस्फोट में 13 मुस्लिम पकडे गए थे | इन में से एक पाकिस्तानी भी था | महाराष्ट्र की एटीएस ने 2006 में सभी के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी | पर 2008 में सब कुछ बदल गया ,जब गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और पी.चिदम्बरम ने खुलेआम हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी पेश की थी | हेमंत करकरे को एटीएस का चीफ बनाया गया | गृहमंत्री की थ्योरी के मुताबिक़ एटीएस ने विस्फोट के पीछे हिन्दू आतंकवाद की कहानी खडी की | अगला कदम इस हिन्दू आतंक को साबित करना था | इसे ले.कर्नल पुरोहित के जरिए साबित किया जा सकता था |
अपने काम-काज के दौरान कर्नल पुरोहित का संपर्क हिन्दू संगठनों से भी था | इसी रणनीति के तहत उन्हें चुना गया | पहली नवम्बर 2008 को एटीएस ने लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को गिरफ्तार कर लिया | कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह कबूल कर चुके हैं कि उनकी करकरे से रोज बात होती थी | पी.चिदंबरम और शिंदे के अलावा दिग्विजय सिंह भी हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी पेल रहे थे | कर्नल पुरोहित की गिरफ्तारी में सेना के अफसरों की प्रतिद्वंदिता का भी खुलासा होगा | इस बाबत कर्नल पुरोहित ने 31 मई 2014 को नरेंद्र मोदी को चिठ्ठी में लिखा था | किस तरह पुलिस की मौजूदगी में सेना के एक अफसर ने उन की पिटाई की थी | जो पूरी तरह गैरकानूनी और पुलिस से मिलीभक्त थी | कर्नल पुर्रोहित की गिरफ्तारी के बाद सेना ने अपनी जांच की थी | जिस में पाया गया कि कर्नल पुरोहित के खिलाफ लगाया गया आरोप झूठा है | इसलिए सेना ने कर्नल पुरोहित को न तो निलंबित किया था , न उन का वेतन रोका था |
कोर्ट ने जांच के आदेश दे दिए तो चिदम्बरम, शिंदे , दिग्विजय सिंह ही नहीं कुछ और कांग्रेसी भी फंसेंगे | जांच होगी तो कई नए राज खुलेंगे कि हेमंत करकरे किस किस के लिए काम कर रहे थे | खुलासा होगा कि पुरोहित को अपने खुफिया आपरेशन के दौरान कुछ राजनीतिज्ञों के राज़ मिल गए थे | कर्नल पुरोहित को सेना के खुफिया विभाग ने ही एक मिशन सौंपा था | अपने मिशन के तहत उन ने कई धार्मिक संगठनों में पैठ बना ली थी । वहां से मिलने वाली सूचना वह लगातार मिशन मुख्यालय पुणे को भेज रहे थे । इसी दौरान उन्हें जाली नोटों के व्यापार के कुछ राज़ मिले | अगर ये राज सार्वजनिक हो जाते तो कई नेताओं का राजनीतिक जीवन बर्बाद हो जाता | क्योंकि मामला सीधा देशद्रोह का बनता | इससे बचने का एक ही रास्ता था | वह यह कि ले.कर्नल पुरोहित को बीच से हटाया जाए | तभी मालेगांव ब्लास्ट हुआ था , कांग्रेस ने हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी रख ही दी थी | तो क्या हेमंत करकरे सिर्फ कांग्रेस के नेताओं से मिले हुए थे या नकली नोटों के कारोबारियों से से भी मिले हुए थे | क्या नकली नोटों के कारोबारी भी कांग्रेस के बड़े नेता ही थे | क्या यह बात कर्नल पुरोहित की उस 31 मई 2014 की चिठ्ठी में लिखी है , जो उन ने मोदी को लिखी थी | क्या मोदी ने इसी चिठ्ठी के कारण ही नोटबंदी का फैसला किया था |
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