बेशर्मी से हलाला को जायज ठहराते मुस्लिम 

Publsihed: 18.Jul.2018, 20:06

अजय सेतिया / संसद का मानसून सत्र शुरू हो गया । और पहले दिन कुछ न कुछ चला भी। वैसे चलना नहीं , यह अपन को आभास है। आखिर सत्र भर होना हिंदू मुस्लिम ही है। जिस की शुरुआत सत्र से पहले ही कानून मंत्री रविशंकर प्रशाद ने कर दी। तीन तलाक के बाद उन ने हलाला पर रोक का सवाल खड़ा कर दिया है। राहुल गांधी को लिखी चिठ्ठी में इन दोनों मुद्दों पर उन का समर्थन मांगा है। कांग्रेस शाहबानो वाले मामले की तरह घिर गई है।अब उसे तय करना है कि उसे मुस्लिम पुरुषों का साथ दे कर शाहबानों का कलंक फिर अपने मत्थे मढ़ना है। या राजीव गांधी से हुई गलती सुधार कर कांग्रेस को आधुनिक पार्टी बनाना है। मोदी ने मुस्लिम मर्द और मुस्लिम औरत को अलग अलग कर के राहुल को फंसा दिया है। राहुल को जवाब देते नहीं बन रहा । तो उन ने महिला आरक्षण का पेंच फसाने की कोशिश की है । अपन तो इसे  राजनीति का अनाड़ीपन मानते हैं। राहुल गांधी वक्त की नब्ज नही पहचानते । हिन्दू भावनाओं के उभार में तीन तलाक और हलाला ज्यादा बिकेगा । हिंदुओं में भी और सताई गई  मुस्लिम औरतों में भी । महिला आरक्षण तो बुद्धजीवी खेल है। शहरी महिलाओं का खेल भी । अपन इसे परकटी महिलाओं का खेल तो नहीं कहते, जैसा शरद यादव कहते हैं। कांग्रेस को बाद में एहसास हुआ होगा कि महिला आरक्षण नहीं बिकेगा । सुष्मिता देव , जिसे अपन समझदार कांग्रेसियों में एक मानते हैं , दूसरी ग़लती कर गई। उन ने रविशंकर प्रशाद की चिठ्ठी के जवाब में कहा भाजपा के घोषणापत्र में महिला आरक्षण तो है । पर रविशंकर प्रसाद बताएं तीन तलाक और हलाला कहां हैं। यह कह कर अपने ही जाल में फंस गई है कांग्रेस । इस बयान का मतलब तीन तलाक और हलाला से मुहं चुराना तो है ही । मुस्लिम मर्दों की तरफदारी भी है । अब कांग्रेस सुष्मिता देव का व्यक्तिगत बयान कह कर पल्ला नहीं झाड़ सकती । सुष्मिता सेन सिर्फ राहुल गांधी के चहेती ही नहीं, महिला कांग्रेस की अध्यक्ष भी हैं। सुष्मिता देव का यह बयान कांग्रेस का बयान है । जिस का मतलब है, मुस्लिम औरतों को तीन तलाक और हलाला की जलालत से निजात दिलाना कांग्रेस के एजेंडे में नहीं है। इस लिए वह कह रही है, आप के एजेंडे पर भी नहीं था । फिर आप इसे एजेंडे पर क्यों ले आए।

सवाल यह है कि हलाला है क्या । मुस्लिमों को लेकर दो  बातें पूरी तरह औरत विरोधी हैं। अलबत्ता औरत को सेक्स का औजार मानने  वाली हैं। पहली है औरत को जब चाहे तीन बार जुबानी कह कर तलाक दे देना । छोटी छोटी बात पर गुस्से में तलाक तलाक तलाक कह देना । अगर यह कुरान में लिखा है, तो स्पष्ट है कि इस्लाम में औरत मर्द की गुलाम है । कुरान में नहीं लिखा तो मुसलमान तलाक का कानूनी तरीका क्यों नहीं अपनाते । मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तीन तलाक पर क्यों अड़ा रहा। दूसरी वाहियात बात है हलाला। गुस्से में मर्द तलाक दे कर गलती मान ले, तो भी उस की बीवी उस की नहीं रहती । वह उसी से दुबारा निकाह भी तब तक नहीं कर सकती। जब तक वह औरत किसी और मर्द से निकाह कर के उस के साथ संभोग न कर ले । इस्लाम में औरत के लिए कितनी जलालत भरी जिंदगी है । और राहुल गांधी बेचारी सुष्मिता देव से कहलवा रहे हैं कि हलाला को एजेंडे पर क्यों ले आए । वह तो आप के एजेंडे पर था नहीं। 

हलाला मुस्लिम औरतों के शारीरिक शोषण का औजार बना हुआ  है। कुरान में होगा तो सोचो उस जमाने से मुस्लिम औरतों का कितना शोषण हो रहा है । जो हिन्दू औरतें मुस्लिमों से शादी करती हैं, वे अपना भविष्य समझ लें । अरबाज की भूतपूर्व बीवी मलाइका अरोड़ा तब तक वापस अरबाज के साथ नहीं रह सकती, जब तक वह हलाला न करे।  तलाक होने के बाद दुबारा साथ रहना हो, तो दो ही रास्ते बचते हैं। या तो एक रात के लिए मौलवी की बीवी बने या अपने ससुर की, या देवर या जेठ की । या अपने शौहर के दोस्त की । समीना बेगम नाम की एक मुस्लिम औरत सुप्रीम कोर्ट में गई हुई है । संवैधानिक पीठ जल्द ही गठित होने वाली है। । मोदी सरकार ने कोर्ट सुनवाई से पहले ही हलाला खत्म करने का कानून बनाने का मन बना लिया है। पर इस बीच बरेली का रौंगटे खड़े कर देने वाला मामला सामने आया है । एक मुस्लिम औरत की 2009 में शादी हुई थी। दो साल बाद शौहर ने तलाक दे कर घर से निकाल दिया । घर में इस शर्त पर घुसने दिया कि उसे अपने ससुर से हलाला करना होगा । वह हलाला को टालती रही, तो उसे नशीली दवा पिला कर ससुर ने निकाह किया और नशे की हालत में ही संभोग किया । फिर उसे तलाक दे दिया । शौहर ने फिर अपनी बीवी से दुबारा निकाह किया । तब से बाप बेटा दोनों उस औरत का शारिरिक शोषण कर रहे थे।  कुछ दिन बाद शौहर ने फिर तलाक दे दिया । अब उसे कहा जा रहा है कि वह अपने देवर से हलाला करे । शारिरिक शोषण से परेशान वह महिला उसी निदा खान के पास पहुंची। जो तीन तलाक और हलाला के खिलाफ झंडा उठाए हुए है। जिसे मौलानाओं ने इस्लाम से निकाल दिया है । निदा खान उसे पुलिस थाने ले गई । जिस ने ससुर पर बलात्कार का मुकद्दमा दायर किया है। सोचो यूपी में मुलायम या मायावती का राज होता, तो बलात्कार का मुकद्दमा दाखिल होता क्या । मुस्लिम मर्दों की हलाला मर्दानगी का भाड़ा अब चौराहे पर फुट रहा है । मौलवी मुफ्ती फिर भी बेशर्मी से हलाला को जायज ठहरा रहे हैं।

 

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