एनकाउंटरों के ह्ल्लेबाज सुप्रीमकोर्ट पहुंचे

Publsihed: 02.Jul.2018, 22:29

अजय सेतिया / सोहराबुद्दीन और इशरत के एनकाउंटरों के ह्ल्लेबाज अब यूपी पहुंच गए हैं | गुजरात की मुठभेड़ों में मारे गए आतंकियों के हल्ले ने नरेंद्र मोदी का फायदा ही किया | आतंकवादियों के समर्थक बुद्धिजीवियों ने जितना हल्ला मचाया | मोदी का वोट बैंक उतना ही बढ़ा | वह पूर्ण बहुमत के साथ देश के प्रधानमंत्री बन बैठे | वामपंथी बुद्धिजीवियों के चक्कर में कांग्रेस ने मुस्लिम परस्ती कर के अपना सत्यानाश कर लिया | सोहराबुद्दीन और इशरत जहां के एनकाउंटर फर्जी साबित नहीं हुए | आईपीस अधिकारी वंजारा को कई साल जेल में रहना पडा | आखिरकार वंजारा के साथ गुजरात के पूर्व पुलिस अधिकारी एन के अमीन को भी सीबीआई अदालत ने बरी किया |

इस बीच आतंकवादियों के समर्थक ह्ल्लेबाज मध्यप्रदेश भी पहुंचे हुए थे | जब 2016 में भोपाल जेल से भागने के बाद सीमी के आठ आतंकवादी मुठभेड़ में मारे गए थे | उन मुठभेड़ों पर भी भारत तोड़ो गैंग ने हल्ला मचाया | कांग्रेस ने उन ह्ल्लेबाजों का साथ दिया था | सिमी के आठ आतंकी 31 अक्टूबर 2016 को भोपाल जेल से भागे थे | कुछ घंटो के भीतर ही आठों एनकाउंटर में मारे गए थे | एनकाउंटर ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था | मध्यप्रदेश सरकार ने 7 नवंबर 2016 को जस्टिस एस के पांडेय आयोग का गठन कर दिया था | तकरीबन डेढ़ साल बाद आयोग की रिपोर्ट सामने आई | रिपोर्ट में पाया गया कि आतंकी जेल की दीवार फांद कर भागे थे | आयोग ने दस अधिकारियों कर्मचारियों कोजिम्मेदार माना और उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की | रिपोर्ट में आयोग ने माना उस हालात में बल प्रयोग जरूरी था | यानि मुठभेड़ जेनुअन और जायज थी |  

अब जब से यूपी में भाजपा सरकार आई है बदमाशों की शामत आई हुई है | उन के सामने दो ही रास्ते हैं या सरंडर करें या एनकाउन्टर में मारे जाएं | उत्तर प्रदेश के आम नागरिक खुश है | उगाही करने वाले गुंडे मारे जा रहे हैं | अब मारे जाने वालों में ज्यादा मुस्लिम हैं, तो इस में किसी का क्या कसूर है | राजनीतिक संरक्षण में फिरौती का धंधा उन्हीं ने तो चलाया हुआ था | जो फिरौती का हिस्सा तो अपने राजनीतिक आकाओं को पहुंचाते ही थे | चुनावों में चंदा भी पहुंचाते थे | समाजवादी पार्टी और बसपा इन एनकाउंटरों पर हल्ला मचाए हुए है, योगी के कान पर जून नहीं रेंग रही | योगी को किसी की परवाह नहीं | आम शहरी गुंडागर्दी से राहत मिलने पर खुश है |

 योगी मुठभेड़ों की आलोचना की वैसे ही परवाह नहीं कर रहे , जैसे गुजरात के हल्ले पर मोदी ने कोई परवाह नहीं की थी | जैसे मोदी के खिलाफ वामपंथी रुझान वाले एनजीओ ने मोर्चा खोला हुआ था | अब वैसा ही मोर्चा योगी के खिलाफ भी खुल गया है | सोमवार को योगी सरकार के आने के बाद हुये ताबड़तोड़ एनकाउंटरों का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया |  एक एनजीओ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को नोटिस जारी कर दिया है | दो हफ्ते में योगी सरकार से जवाब मांगा है | याचिका में पुलिस मुठभेड़ों को फर्जी को बताया गया है | मांग की गई है कि सभी मुठभेड़ों की कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच हो | हूँ-ब-हू वही रणनीति जो गुजरात में अपनाई गई थी | एनजीओ के वकील संजय पारिख ने कोर्ट से कहा है कि एक साल में 1500 फर्जी एनकाउंटर हुए | जिन में 58 लोगों को मारा गया | ऐसा नहीं है कि सारे बदमाश मुठभेड़ों में मारे ही जा रहे हों | जितने मुठभेड़ों में मारे गए हैं, उस से कई गुना ज्यादा दबोचे भी गए हैं |

पिछले दिनों एक बदमाश ने पुलिस अधिकारी से फोन कर बचाव की गुहार लगाई थी | फोन रिकार्ड कर के सोशल मीडिया पर चला दिया था | बातचीत में पुलिस अधिकारी कह रहा था कि वह कोई मदद नहीं कर सकता | पुलिस वाले ने उसे सलाह दी थी कि बचना है तो यूपी से भाग जाए | यानि अखिलेश राज में पुलिस की बदमाशों से कैसे सांठ गाँठ बनी हुई थी | यह इस टेलीफोन रिकार्डिंग से साबित हो गया | वैसे यह मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पास पहले ही पहुंचा हुआ है | मानवाधिकार जांच भी शुरू कर चुका है | कोर्ट ने दो हफ्ते बाद सुनवाई तय करते हुए यूपी सरकार को नोटिस दिया है | एनजीओ वालों ने अपने भाजपा विरोध के चलते मोदी योगी को बैठे ठाले मुद्दा दे दिया है | अब यह मुद्दा हर सुनवाई के वक्त लोकसभा चुनाव तक चलेगा |

 

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