अयोध्या के विवाद पर श्रीश्री रवि शंकर की पहल

Publsihed: 17.Nov.2017, 23:04

अजय सेतिया / अपना मत है कि अयोध्या विवाद बातचीत से हल नहीं होगा | अपना यह भी मानना है कि अदालत भी कोई फैसला नहीं करेगी | कोर्ट मस्जिद के पक्ष में फैसला कर नहीं सकती | क्योंकि खुदाई में मंदिर के सबूत मिल चुके हैं | जो कोर्ट में जमा हैं | पर मंदिर के पक्ष में फैसला करने से डर रही है | उसे डर है कि मुसलमान कहीं दंगे न कर दें | मुसलमान अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने का आरोप ही न लगा दें | वैसे इस आरोप से कोर्ट को कोई फर्क नहीं पड़ता | अपने फैसले को सही ठहराने के लिए कोर्ट के पास सबूत हैं | पर मुस्लिम वक्फ बोर्ड किसी अन्तर्राष्ट्रीय फॉर्म पर चला गया | तो दुनिया भर में मुफ्त में बदनामी होगी | वह इस लिए क्योंकि अन्तर्रष्ट्रीय स्तर पर हिन्दुओं की कोई औकात नहीं | दुनिया में तो ही बड़ी ताकतें हैं -ईसाई और मुस्लिम | दोनों के अन्तर्राष्ट्रीय टकराव में हिन्दू कहीं नहीं ठहरते | इसी लिए जब कहर सिंह सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस थे, तो उनने बातचीत से हल का विकल्प खोला | कोर्ट ने सभी पक्षों से कहा है कि कोर्ट के बाहर इस मुद्दे को बातचीत से हल करने की कोशिश करें |  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर जरूरत पड़ती है तो सुप्रीम कोर्ट के जज मध्यस्थता करने को तैयार हैं | अब श्री श्री रवि शंकर बातचीत की कोशिश में जुटे हैं | हिन्दू और मुस्लिम नेता खुद जा कर श्री श्री रवि शंकर से मिले थे | उन से हल निकालने की गुजारिश की थी | हालांकि शुरू में सुन्नी वक्फ बोर्ड का एक मैम्बर बातचीत में दिच्स्पी ले रहा था | पर अब सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पल्ला झाड लिया है | हालांकि कि बाबर का वंशज हल निकालने के लिए सामने आया है | पर झगडे पर बाजिद्द सुन्नी वक्फ बोर्ड ने उस की मध्यस्थता भी ठुकरा दी | अब उस का इरादा सऊदी अरब और तुर्की को बीच में लाने का है |  सुन्नी वक्फ बोर्ड सुप्रीमकोर्ट से भी ज्यादा सऊदी अरब की मानेंगे | बातचीत का पहला दौर बेंगलूर में हुआ | दूसरा दौर अयोध्या और लखनऊ में हुआ | अब तीसरा दौर दिल्ली में चल रहा है | इस बाचचीत अपन को किसी बड़े हल की उम्मींद नहीं | अलबत्ता मामले में नया पेंच फंसने की आशंका है | वह इस लिए क्योंकि श्रीश्री रवि शंकर शिया वक्फ बोर्ड को बीच में ले आए हैं | जब कि जब से विवाद कोर्ट में था वह पार्टी ही नहीं था | शिया वक्फ बोर्ड ने पहले तो सिर्फ बयान दिया था कि उसे पार्टी बनाया जाए | अब सुप्रीम कोर्ट में हल्फिया बयान दे रहा है कि वहां राम मंदिर बनाया जाए | मस्जिद के लिए कहीं और जमीन दे दी जाए | अपन अब तक यही समझते थे कि बाबर सुन्नी था, इस लिए वह ढांचा जब कभी मस्जिद रहा भी होगा | तो सुन्नी मस्जिद रहा होगा | पर अब शिया वक्फ बोर्ड का दावा है कि वः मस्जिद तो शिया मस्जिद थी | इस लिए उन का हक़ है और वे अपना हक छोड़ रहे हैं | पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने तुरंत कह दिया है कि शियाओं का कुछ लेना देना ही नहीं | अब इस का फायदा सिर्फ इतना होगा कि कोर्ट को फैसला लेने में मदद मिलेगी | दुनिया भर में हल्ला मचा तो कहा जा सकेगा कि मुसलमानों का एक वर्ग मंदिर का पक्षकार है | वैसे कोई किसी भी गलत फहमी में रहना चाहे तो रहे | सुप्रीम कोर्ट का फैसला हाईकोर्ट के फैसले की बुनियाद पर होगा | इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पाठ ने ने 24 सितम्बर 2010 को  फैसला सुनाया था | हालांकि हाईकोर्ट ने फैसले में कहा था कि विवादित जमीन के नीचे मंदिर था | जमीन का रामजन्मभूमि होना भी घोषित किया | पर जमीन का फैसला दो-टूक नहीं किया | इसलिए दोनों तरफ से विवाद सुप्रीमकोर्ट जा पहुंचा | इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला भी अजीब-ओ-गरीब था | ढाँचे के नीचे मंदिर बता कर जमीन के तीन हिस्से कर दिए थे |  जमीन का एक हिस्सा राम मंदिर के लिए दे दिया था |  दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया | जब कि एक तीसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को दे दिया | यानी जमीन का दो-तिहाई हिस्सा हिन्दुओं को और एक तिहाई मुसलमानों को, वः भी सुन्नी वक्फ बोर्ड को | मामला सुप्रीमकोर्ट पहुंचा तो आपसी बातचीत का सुझाव आया | अब 5 दिसम्बर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है | तो श्री श्री रवि शंकर शिया वक्फ बोर्ड का नया फंदा सामने ले आए हैं | 

 

आपकी प्रतिक्रिया