यों तो सोनिया गांधी चुनावी तैयारियों में जुट गईं। कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों से फीडबैक ले चुकी। आज महासचिवों की मीटिंग। मिड टर्म के नफे-नुकसान का जायजा होगा। शुक्रवार को कांग्रेस-लेफ्ट की म्यानों से तलवारें निकल आई। सीपीएम के मुखपत्र पीपुल्स डेमोक्रेसी में प्रकाश करात ने लिखा- 'मनमोहन अमेरिकी इशारे पर काम कर रहे हैं। बुश सितंबर 2007 में ही एनएसजी को ड्राफ्ट दे चुके। एनएसजी देशों से बातचीत शुरू हो चुकी। बुश चाहते हैं- रिटायरमेंट से पहले एनएसजी से छूट दिला जाएं। इसीलिए मनमोहन चाहते हैं- आईएईए से सेफगार्ड तय हो जाएं। जैसे ही सेफगार्ड तय होंगे। बुश एनएसजी को एटमी ईंधन सप्लाई में छूट की अर्जी भेज देंगे।'
सिर्फ इतना होता। तो गनीमत था। करात ने तो यह भी लिख दिया- 'मनमोहन सिंह ने नवंबर 2007 में वादा किया था- आईएईए से बात करने दो। सेफगार्ड करार नहीं करेंगे। अब कहते हैं- सेफगार्ड करार करने दो। वन-टू-थ्री ऑप्रेशनालाइज नहीं करेंगे।' यों करात ने कहा नहीं। पर मतलब यही है- मनमोहन मूर्ख बना रहे हैं। कांग्रेसी हरकारे शकील अहमद बोले- 'करात के आरोप निराधार। सरकार कोई वादाखिलाफी नहीं कर रही।' यानी मनमोहन लेफ्ट को मूर्ख नहीं बना रहे। पर शकील को पूरे देश को मूर्ख बनाने की सूझी। शुक्रवार को मुद्रास्फीति 11.42 हो गई। तो बोले- 'एटमी करार होगा, तो महंगाई घटेगी।' यानी एटमी करार महंगाई घटाने की संजीवनी बूटी। यों करात की खरी-खरी के बाद अब कोई उम्मीद नहीं। पर प्रणव दा शुक्रवार को भी बाउम्मीद लगे। बोले- 'कोई हल तो निकल आएगा।' प्रणव दा को उसी हल की उम्मीद। जिसका जिक्र अपन ने कल किया। अपन ने लिखा था- 'लोकसभा की मियाद दो महीने खिंचने की कवायद।' अपन को एक सरकारी जानकार ने बताया- 'फार्मूला समर्थन वापसी के बयान का। लेफ्ट पार्टियां राष्ट्रपति को चिट्ठी भेजने में थोड़ा वक्त लगाएं। पोलित ब्यूरो-सेंट्रल कमेटी की मीटिंगें बुलाकर महीनाभर निकाल लें। जब आईएईए से सेफगार्ड हो जाएं। तब भले समर्थन वापस ले लें। इसके बाद काम बुश का। मनमोहन का काम खत्म।' पर एक महीने की नूराकुश्ती को लेफ्ट तैयार नहीं हो रहा। पर प्रणव दा ने उम्मीद नहीं छोड़ी। नई उम्मीद उनने तब जाहिर की। जब पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे। बात साझा प्रेस कांफ्रेंस की। दोनों विदेश मंत्रियों की महीनेभर में दूसरी बार बातचीत हुई। यों नतीजा कुछ नहीं निकला। प्रणव दा आतंकवाद के खिलाफ सहयोग मांगते रहे। कुरैशी कश्मीर मुद्दे पर अटके रहे। अब इक्कीस जुलाई को पांचवें दौर की बात होगी। तो कश्मीर ही मुख्य मुद्दा होगा। पाक में निजाम किसी का हो। मुंह में खुदा-खुदा, बगल में छुरी हर निजाम की जहनियत। हाल ही में दो बार बार्डर पर सीज फायर का उल्लंघन खुद किया। पर बोले- 'सीज फायर भारत-पाक दोनों के फायदे में।' कुरैशी ने मनमोहन को पाक आने का न्योता दिया। पर दोधारी तलवार चलाकर नई मुसीबत में डाल गए। जिससे पाक के नए अमेरिका विरोधी निजाम की झलक भी मिली। बोले- 'ईरान-पाक-भारत गैस पाइप लाइन का फैसला जल्द होना चाहिए। आखिर यह शांति की पाइप लाइन होगी।' ताकि सनद रहे सो बता दें- अमेरिका गैस पाइप लाइन के खिलाफ। वामपंथी दल गैस पाइप लाइन के हक में। यों तो मणिशंकर, मुरली देवड़ा ने भी कई दिन पाइप लाइन के नग्में गाए। पर जब से एटमी करार हुआ। तब से पाइप लाइन पर बोलती बंद। प्रणव दा कुरैशी की चुटकी पर चुप्पी साध गए। पर लेफ्ट को गैस पाइप लाइन याद करा गए। लेफ्ट-कांग्रेस में तकरार अब और तेज होगी। झलक अपन को शुक्रवार को ही मिल गई। जब कांग्रेस के बड़े हरकारे वीरप्पा मोइली बोले- 'लेफ्ट ने करार का विरोध जारी रखा। तो बीजेपी आ जाएगी।' बात बीजेपी के हौवे की चली। तो बताते जाएं। देश की ताजा हवा की भनक पाक को भी। सो जाने से पहले कुरैशी आज अटल-आडवाणी से मिलेंगे।
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