नई दिल्ली | जब नीतीश कुमार ने लालू यादव का साथ छोड़ कर भाजपा के साथ हाथ मिलाने का फैसला किया था, तभी तय था कि जदयू राजग में शामिल होगी और केंद्र सरकार का भी हिस्सा बनेगी | इस सारे घटनाक्रम में जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने भाजपा के साथ हाथ मिलाने का विरोध कर के अपना नुक्सान कर लिया | अगर वह नीतीश कुमार के साथ खड़े रहते तो मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में उन्हें मंत्री पद मिलता | अब आरसीपी सिंह और संतोष कुशवाहा को मंत्री बनाए जाने की अटकलें हैं |
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के न्योते पर जदयू आज फिर एनडीए का हिसा बन गई | एनडीए के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी हैं | इस नाते उन को संसद भवन परिसर में कमरा मिला हुआ है | राजग में शामिल होते ही जदयू को फ़ायदा पहुंचता भी दिखाई देने लगा है। दरअसल, अब जदयू के दो बड़े नेताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में शामिल किये जाने की कवायद शुरू हो गई है। इन दो नेताओं में जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार के खास आरसीपी सिंह और संतोष कुशवाहा का नाम शामिल है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने जदयू को दोबारा राजग में शामिल होने का निमंत्रण दिया था। उनके इस निमंत्रण को स्वीकार करते हुए शनिवार को जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर एक बार फिर राजग का घटक बनने पर मुहर लगाई है।
पहला मौका नहीं है जब जदयू राजग की घटक बनी हो। इसके पहले जदयू 17 वर्षों तक राजग में शामिल रह चुकी है लेकिन पिछले चार साल दो महीने से जदयू ने राजग से संबंध ख़त्म कर लिया था। जदयू ने यह गठबंधन वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को प्रधानमन्त्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद तोड़ा था।
उस लोकसभा चुनाव में जदयू अकेले लड़ा था लेकिन उसे सफलता नहीं मिल सकी थी। इसके बाद वर्ष 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू ने लालू प्रसाद यादव की राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाकर एक बार फिर बिहार की सत्ता पर काबिज हुई। हालांकि, बीते महीने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते नीतीश ने महागठबंधन तोड़ते हुए दोबारा भाजपा से हाथ मिला लिया।
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