बीजेपी की वर्किंग कमेटी निपट गई। आडवाणी को वर्किंग कमेटी से नया जोश मिला। सो मंगलवार को वह कांग्रेस पर और हमलावर हुए। बोले- 'एनडीए का राज आया। तो पीएम कमजोर नहीं होगा।' यानी उनने कहा- 'मैं मनमोहन सिंह की तरह लाचार और कमजोर नहीं होऊंगा।' मनमोहन को कमजोर कहो। तो अपने अभिषेक मनु सिंघवी के नथुने फूल जाते हैं। वे आपे में नहीं रहते। पर आडवाणी बाज नहीं आते। मंगलवार को उनने और भी ज्यादा चुभने वाला जुमला कसा। बोले- 'कांग्रेस पहले मुख्यमंत्रियों को घुटने टेक बनाती थी। ताकि आलाकमान का दबदबा बना रहे। अब पीएम को भी लाचार बना दिया। ताकि परिवार का दबदबा बना रहे।' आडवाणी ने कहा- 'मैं मजबूत पीएम, मजबूत सीएम का हिमायती।'
अपन को अब समझ आया। आडवाणी अपनी वसुंधरा राजे की इतनी तरफदारी क्यों करते हैं। खैर कांग्रेस में मंगलवार को उल्टी बयार बही। जब वीरप्पा मोइली वाली भविष्य की चुनौतियां और अवसर कमेटी ने कहा- 'कांग्रेस को बीजेपी-लेफ्ट की तरह कैडर बेस पार्टी बनाएंगे।' बीजेपी-लेफ्ट कैडर बेस होकर कभी अपने बूते केंद्र की सत्ता में नहीं पहुंचे। बीजेपी मॉस बेस बनने को बेताब। पर मॉस बेस कांग्रेस कैडर बेस बनने को उतावली। इसे कहते हैं उल्टे बांस बरेली को। पर पहले कांग्रेस पार्टी तो बने। कांग्रेस तो एक परिवार की कंपनी बनकर रह गई। वीरप्पा मोइली कुछ भी कहें। कांग्रेस में होना-जाना कुछ नहीं। कैडर बेस नहीं, कांग्रेस सोनिया-राहुल बेस ही रहेगी। राहुल बाबा की बात चली। तो बताते चलें। राहुल इस कमेटी के भी मेंबर। बकौल मोइली- 'राहुल ने कहा- ब्रिटेन की लेबर पार्टी फिर से खड़ी हो गई। तो कांग्रेस क्यों नहीं हो सकती।' हो सकती है, पर परिवारवाद से ऊपर उठे तो। राहुल बाबा की बात चल ही रही है। तो बताएं- अमेठी में रूरल-आईपीएल करवाकर लौटे। तो मंगलवार को यूथ कांग्रेसियों के हत्थे चढ़ गए। तीन मूर्ति में यूथ कांग्रेसियों का प्रोग्राम था। राहुल आने को तैयार हुए। तो यूथ कांग्रेसी फूले नहीं समाए। कांग्रेसी बीट वाले रिपोर्टरों को फौरन न्यौता भेज दिया। राहुल पहुंचे। तो कैमरा-लाइट-साउंड देख भौंचक रह गए। कुछ नहीं सूझा, तो कट-कट-कट कहकर अंदर घुस गए। खबरची कैमरे-लाइट देखते रह गए। यूथ कांग्रेस की बात चली। तो एक पुराने यूथ कांग्रेसी का किस्सा बता दें। नहीं, अपन नागपुर से लौट रहे यूथ कांग्रेसियों के किस्से याद नहीं कर रहे। लूटपाट वाली वे घटनाएं बाद में कभी बताएंगे। फिलहाल असम के मंत्री बने पुराने यूथ कांग्रेसी का ताजा किस्सा। सरदार पटेल ने एक रिश्वतखोर मंत्री को गिरफ्तार कराया था। मंगलवार को असम के शिक्षा मंत्री रिपेश बरुआ रिश्वत देते गिरफ्तार हुए। जो बरसों तक असम में कांग्रेस का चेहरा रहे। यानी असम में कांग्रेस के प्रवक्ता रहे। जैसे दिल्ली में अजीत जोगी थे। अपन जोगी पर कोई टिप्पणीं नहीं कर रहे। जोगी भी कई मामलों में आरोपी। यह अलग बात। पर बात असम के कांग्रेसी चेहरे बरुआ की। बरुआ अपने खिलाफ चुनाव लड़ने वाले डेनियल टोपो की हत्या के आरोपी। अब इसे अपन आरोपी क्या कहें। जो छूटने के लिए दस लाख की रिश्वत दे रहा हो। दस लाख रिश्वत फालतू फंड में तो नहीं दे रहे होंगे बरुआ। सीबीआई अफसर ने शिकायत की थी- 'हत्या के मामले से मुक्ति के लिए मंत्री से दस लाख की पेशकश आई है।' छापामार टीम मुस्तैद हुई। मंत्री रिश्वत देने दिल्ली आया। दबोच लिया गया। अपन ने कल ही जिक्र किया था। नरसिंह राव के जुमले का। जो वह हर कांग्रेस के फंसने पर कहते थे- 'कानून अपना काम खुद करेगा।' मंगलवार को वही जुमला असम के सीएम तरुण गोगोई ने दोहराया। नरसिंह राव कांग्रेसियों के लिए संजीवनी बूटी छोड़ गए। झामुमो के तीन सांसदों की खरीद-फरोख्त का किस्सा तो याद होगा। रिश्वत का देन-लेन साबित हुआ। पर नरसिंह राव का बाल भी बांका नहीं हुआ।
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