क्यों अपन ने पांच अप्रेल को सही लिखा था ना- 'अगले हफ्ते मुद्रास्फीति सात फीसदी भी पार होगी।' तो ताजा आंकड़ा 7.41 फीसदी। आटा, चावल, तेल, सब्जियां सब सातवें आसमान से पार। सीमेंट की कीमतें क्यों बढ़ी? क्या कमलनाथ नहीं जानते। स्टील के दाम क्यों बढ़े? क्या पासवान नहीं जानते। सीमेंट-स्टील के उद्योगपति दोनों के दरबार में ही तो बैठे रहते हैं। हर समय सेवा को उतावले। पिछले हफ्ते मुद्रा स्फीति सात फीसदी हुई। तो केबिनेट कमेटी बैठी। अब पूरी केबिनेट बैठी। पर केबिनेट में महंगाई से ज्यादा क्रीमी लेयर पर बवाल हुआ। अपन ने कपिल सिब्बल से पूछा। तो उनने इनकार नहीं किया। पर खुलासा करने से इनकार किया। अंदर क्रीमी लेयर पर जमकर चख-चख हुई। यूपीए के घटक एक तरफ, कांग्रेस एक तरफ। यों कांग्रेस में भी क्रीमी लेयर पर दो धाराएं। एक धारा अर्जुन सिंह की- जो क्रीमी लेयर को भी आरक्षण की हिमायती। दूसरी धारा- मनमोहन सिंह की।
जिनने बजरिया मोइली की 'ओवरसाइट' कमेटी क्रीमी लेयर को बाहर रखना चाहा। अपनी याददाश्त काफी कमजोर। सो याद करा दें। यूपीए सरकार ने 2005 में 93 वॉ संविधान संशोधन किया। तो एजुकेशन में ओबीसी आरक्षण का रास्ता साफ हुआ। पर मनमोहन को तो तब तक इसका मतलब समझ नहीं आया। जब तक अर्जुन ने फरवरी 2006 में आरक्षण का तीर नहीं चलाया। मनमोहन तो 'ज्ञान आयोग' के जरिए टेलेंट ढूंढ रहे थे। 'ज्ञान आयोग' से इस्तीफे हुए। तो मनमोहन ने मोइली की ओवरसाइट कमेटी बनाई। कमेटी क्रीमी लेयर को आरक्षण के हक में नहीं थी। पर सिफारिश पहले ही लीक हो गई। तो यूपीए में बवाल मचा। मोइली ने फैसला केबिनेट पर छोड़ जान बचाई। केबिनेट का फैसला भी क्रीमी लेयर को आरक्षण के हक में नहीं था। सो जब पहले बिल पेश हुआ। तो क्रीमी लेयर शामिल नहीं थी। लालुओं-पासवानों और करुणानिधियों का दबाव बढ़ा। पर्दे के पीछे अर्जुन भी खेल में शुमार दिखे। मनमोहन भीड़ के आगे झुके। सो बिल क्रीमी लेयर के साथ ही पास हुआ। इसी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। जिसका फैसला दस अप्रेल को आया। क्रीमी लेयर आरक्षण के बाहर होगी। मौजूदा क्रीमी लेयर 1992 में बनी थी। जिसका जिक्र अपन ने कल किया। पर अपने वाजपेयी जाते-जाते मार्च 2004 में बदलाव कर गए। पहले एक लाख से ज्यादा आमदनी वाले क्रीमी लेयर में थे। वाजपेयी बढ़ाकर ढाई लाख कर गए। अब यूपीए के पास भी यही रास्ता। जुगाड़ शुरू हो चुका। क्रीमी लेयर की लिस्ट में कांट-छांट होगी। रामदास सुबह अर्जुन से मिले। आरक्षण का मौजूदा बखेड़ा इन दोनों ने ही शुरू किया था। दोनों ने एक-दूसरे को बधाई दी। अर्जुन दूसरे वीपी सिंह बनकर फूले नहीं समा रहे। दोनों ने मिल-बैठ क्रीमी लेयर के पेंच ढूंढे। फिर अर्जुन गए मनमोहन के दरबार। रामदास ने क्या कहा। जरा वह भी सुन लो। बोले- '1990 में बिना क्रीमी लेयर के रोजगार में आरक्षण लागू हुआ। तो 5.3 फीसदी सीटें ही भरी गई। अब फिर वैसा ही होगा।' उनने सांसदों-विधायकों के बच्चों को क्रीमी लेयर मानने पर भी नाक-भौंह सिकोड़ी। बोले- 'अनेकों पूर्व सांसदों की हालत खस्ता। कई एमएलए अपनी तनख्वाह घर नहीं ले जाते। उनके बच्चों का क्या कसूर।' रामदास ने सही कहा। पिछले दिनों कई सांसद भी दूसरी पत्नी रखते पाए गए। पर अपन बात कर रहे थे महंगाई की। केबिनेट के बाद कपिल सिब्बल अपने ही कपड़े फाड़ते दिखे। उनकी वही दलील थी। जो तीस मार्च को वीरप्पा मोइली ने दी थी। याद करा दें, कम्युनिस्टों को आईना दिखाते हुए उनने कहा था- 'चीन में महंगाई दर 8.7 फीसदी।' सिब्बल ने चीन के साथ रूस, तुर्की की मुद्रा स्फीति भी बताई। बोले- 'चीन में 8.7, रूस में 11.9 और तुर्की में 8.1 फीसदी।' केबिनेट से निकलते लालू बोले- 'चीजों की कोई कमी नहीं। भाजपाई व्यापारी महंगाई बढ़ा रहे हैं। मुद्रा स्फीति की जांच होनी चाहिए।'
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