कांग्रेस के प्रवक्ताओं की भीड़ भद्द पिटा रही थी। तभी चौंकाने वाली खबर आई- 'राहुल बाबा नहीं थामेंगे ओलंपिक मशाल।' अपन राहुल बाबा के फैसले की दाद देंगे। पर ज्यादा भी मत चौंकिए। अपन ने टॉम वड़क्कन से पूछा- 'मशाल नहीं थामने की वजह क्या?' तो उनने कहा- 'फिलहाल मशाल दौड़ में नहीं जाने का फैसला।' अपन जानते हैं- फैसला तिब्बत के समर्थन में नहीं। अपन को तो आज-कल में स्पष्टीकरण की उम्मीद। कहा जाएगा- फैसला एसपीजी सुरक्षा की वजह से हुआ। आखिर राहुल बाबा चीन के लाड़ले। राजीव के चीन दौरे की बीसवीं सालगिरह पर राहुल को न्यौता मिला। रिश्ते की नजाकत को समझिए। वाजपेयी को चीन दौरे की बीसवीं सालगिरह पर न्यौता नहीं मिला। ताकि सनद रहे सो याद दिला दें। वाजपेयी 1978 में चीन गए थे। तब वह मोरारजी सरकार में विदेश मंत्री थे। यह अलग बात। जो तभी चीन ने कोरिया पर हमला कर दिया। तो वाजपेयी दौरा बीच में छोड़ वापस आ गए।
पर अपन ने बात शुरू की थी कांग्रेस की भद्द पिटने से। भद्द पिटने के किस्से प्रवक्ताओं की फौज के कारण। सोनिया ने दर्जनभर आधिकारिक प्रवक्ता बना दिए। जिसके मन में जो आए। वही बोल देता है। किसी में कोई को-आर्डिनेशन नहीं। जब मीडिया सेल का प्रभारी ही अपनी नेता की चमचागिरी में डींग हांकने लगे। तो बाकियों को कौन रोकेगा। मीडिया सेल के प्रभारी हैं अपने वीरप्पा मोइली। मंगलवार को उनने बेंगलुरु में डींग हांकी- 'करुणानिधि ने सोनिया के कहने पर होगेनक्कल परियोजना ठंडे बस्ते में डाली।' मोइली के इस बयान से करुणानिधि फंस गए। उनने सुबह ही एसेंबली में कहा था- 'मैंने कांग्रेस के कहने पर परियोजना नहीं रोकी।' इसी मुद्दे पर एसेंबली में जयललिता से तू-तू, मैं-मैं भी हुई। जयललिता ने वाकआउट भी किया। डीएमके गठबंधन में दरार भी पड़ गई। रामदौस ने करुणानिधि के खिलाफ ताल ठोक दी। बोले- 'कर्नाटक कावेरी पर पेयजल परियोजनाएं बना चुका। तमिलनाडु की परियोजना रोकने का कोई कारण नहीं।' चारों तरफ से घिरे करुणानिधि ने दस जनपथ की घंटी बजाई। तो दस जनपथ से मोइली की खाट खड़ी हुई। सो बुधवार को अपनी जयंती नटराजन ने मोइली का नया बयान बांटा। मंगलवार के बयान से मुकर गए। बयान से पलटना कोई नेताओं से सीखे। उनने बेंगलुरु में साफ-साफ कहा था- 'कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने करुणानिधि से बात की और परियोजना रोकने को कहा।' अब बोले- 'मेरे कहे का गलत मतलब निकाला गया।' मोइली के इस भद्द पिटाऊ स्पष्टीकरण पर कौन भरोसा करेगा। यह किसी से छिपा नहीं- करुणानिधि ने जब परियोजना रोकी। तो उससे एक दिन पहले सोनिया ने करुणानिधि से फोन पर बात की थी। मोइली ने इसे कर्नाटक चुनावों में भुनाना चाहा। पर खाट खड़ी हुई। तो मोइली को मुकरना पड़ा। भद्द पिटने की दूसरी घटना भी मंगलवार की। खबर थी- 'विलासराव देशमुख पर फैसले के लिए सोनिया ने तीन मेंबरी कमेटी बनाई।' मोती लाल वोरा, शकील अहमद, वीरप्पा मोइली ने कहा- 'हमें जानकारी नहीं।' पर प्रवक्ता मनीष तिवारी बोले- 'हां, इस तरह की कमेटी बनी है।' पर अपन बात कर रहे थे तिब्बत और ओलंपिक मशाल की। अपन को नहीं पता अपने सचिन पायलट क्या करेंगे। पर राहुल बाबा नहीं जाएंगे। यह तय हो चुका। बुधवार को किरण बेदी ने भी स्पष्ट स्टेंड लिया। वह बोली- 'आमिर खान जैसों को ही दौड़ने दो।' अपन जानते हैं- किरण बेदी मानवाधिकारों की पैरोकार। पर मानवाधिकारों का झंडा तो बुधवार को बाबा रामदेव ने उठाया। राज सरोकार मैगजीन के विमोचन पर पहुंचे। तो बोले- 'भारत का मुकुट है तिब्बत। तिब्बत से भारत की हजारों साल के सांस्कृतिक संबंध। सो तिब्बत की आजादी भारत के लिए बहुत जरूरी।' तिब्बतियों के समर्थन में अब कई हाथ उठ खड़े हुए। शुक्रवार को दिल्ली के बच्चे राजघाट पर कूच करेंगे। बचपन बचाओ आंदोलन भी मैदान में कूदा।
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