मां नर्मदा मरुभूमि आ पहुंची। वसुंधरा ने आगवानी की। पर नरेंद्र मोदी राजस्थान में नहीं घुसे। वह नारोली से ही पानी छोड़ने की रश्म अदायगी कर गए। सीलू में वसुंधरा ने मंत्रोच्चारण से आगवानी की। नरेंद्र भाई क्यों नहीं आए। वसुंधरा के पास कोई जवाब नहीं था। पूछा, तो बोली- 'दोनों सरकारों ने अपना-अपना प्रोग्राम किया। उनका कोई प्रोग्राम होगा।' पर ओम माथुर को माजरा समझ नहीं आया। नरेंद्र भाई का आना आखिर तक तय था। गुजरात का अमला भी पहुंचा हुआ दिखा। पत्थर पर नरेंद्र भाई चीफ गेस्ट के तौर पर खुदे थे। अपन ने वसु से पहले ही घूंघट उठाकर देख लिया था। पर मोदी नहीं आए। तो अच्छा ही हुआ। मोदी आते, तो सारा शो वही उड़ा ले जाते। जिस महफिल में मोदी हों। उस महफिल में कोई और नहीं जमता। अपन असली माजरा तो नहीं जानते। पर वसु ने नर्मदा की अगवानी में बहुत तैयारी की थी। सो उनने चुनावी बिगुल वहीं पर बजा दिया।
आखिर मरुभूमि का ऐतिहासिक मौका था। खुशी की मारी फूली नहीं समाई। गदगद वसु की आंखों से आंसू झलक आए। अपन को देखकर बोली- 'आप भी इस ऐतिहासिक मौके के चश्मदीद गवाह बनेंगे। आपको यहां देख मुझे खुशी हुई।' पर बात वसु की चुनावी तैयारी की। वह मारवाड़ी में बोली। बिल्कुल वैसे ही जैसे इंदिरा गांधी किया करती थी। जैसे अब राहुल बाबा कभी उड़िया। तो कभी कन्नड़ बोल रहे हैं। बात राहुल की चली। तो कर्नाटक की बात करते जाएं। राहुल बाबा आजकल कर्नाटक के दौरे पर। जहां चुनाव का बिगुल बज चुका। चुनाव का बिगुल तो गुरुवार को वसु ने भी बजा दिया। अपने कान तो तभी खड़े हो गए थे। जब लोकल एमएलए जीवाराम बोले। उनने सबसे हाथ खड़े करवाकर समर्थन मांगा। अपने कान तब भी खड़े हुए। जब ओम माथुर बोले- 'जब मारवाड़ का इतिहास लिखा जाएगा। तो वसुंधरा का नाम स्वर्ण अक्षरों में होगा।' पर वसु ने तो कोई लुका-छुपी नहीं की। उनने कहा- 'मैं सुंधा माता को माथा टेक चुनावी मुहिम छेड़ रही हूं।' यों उनने इलाके के तीनों देवताओं का आशीर्वाद मांगा। सुंधा माता, गोलाशन हनुमान जी, सीलू की हिंगलाज माता। हिंगलाज माता की बात चली। तो याद दिला दें। हिंगलाज माता के इतिहास पर जसवंत सिंह किताब लिख चुके। पर बात चुनावों की। वसुंधरा ने नरेंद्र मोदी से मिलता-जुलता चुनावी नारा उछाल दिया। मोदी का नारा था- 'जीतेगा गुजरात।' तो वसु का नारा होगा- 'जय, जय राजस्थान।' यों भी नर्मदा का पानी देख वसु 'फील गुड' के नशे में सराबोर दिखी। उनने चुनावी अभियान का एलान ही नहीं किया। अलबत्ता चुनावी घोड़े दौड़ाने शुरू भी कर दिए। जालौर के एमएलए अपने जोगेश्वर गर्ग की गुहार थी। ग्रेनाइट पर वैट घटाया जाए। बजट के वक्त तो नहीं मानी। पर सीलू आकर तोहफा दे गई। तो जोगेश्वर भी गदगद दिखे। ग्रेनाइट का घर है जालौर। वैट आधा फीसदी घटकर चार फीसदी होगा। तो चुनावी रेवड़ी से दोहरा फायदा। चंदे और वोटों दोनों की बरसात होगी। पर बात नर्मदा मैय्या की। जो बीती रात ही सीलू पहुंच गई थी। सीलू के जीरो प्वाइंट से वसु ने बटन दबाकर नहर का पानी छोड़ा। तो पानी देख मरुभूमि के लोग फूले नहीं समाए। अब तक बरसाती नदी लोनी पर निर्भर थे। या फिर जमीनी पानी पर। अब सारा साल पानी मिलेगा। खेतों तक सरकारी फव्वारे जाएंगे। फव्वारों से खेती होगी। तो जालौर-बाड़मेर कुवैत बनेगा। यों तो पिछली बार ही यह कांग्रेसी गढ़ टूट चुका। अबके तो फील गुड भी। वसुंधरा बताना नहीं भूली- 'पिछली सरकार राजस्थान को बीमारू राज्य बनाकर गई। मेरी सरकार ने राज्य को हृष्ट-पुष्ट बना डाला। तभी तो गुजरात को नहर के लिए साढ़े छह सौ करोड़ दिया। तब जाकर मां नर्मदा मरुभूमि में आई।' इससे बढ़िया 'फील गुड' क्या होता।
आपकी प्रतिक्रिया