चुनाव निशान बना लिया "दो गधों की जोड़ी"

Publsihed: 25.Feb.2017, 16:06

अपन ने कभी नहीं सोचा था चुनाव में गधे भी खड़े हो जाते हैं | पर उत्तरप्रदेश का चुनाव तो गधों के इर्द गिर्द ही सिमट गया | जम  कर गधागिरी हो रही  | अच्छा होता अखिलेश बाबू अपनी  पांच साल की उपलब्धियों पर वोट मांगते | भाजपा अपने विकास के एजेंडे पर वोट मांगती | चुनाव की शुरुआत ऐसे ही हुई थी | पर यूपी में हमेशा से धर्म-जाति पर वोट होता आया है | जब बाबरी मस्जिद और गुजरात दंगे के नाम पर मुस्लिम वोट मांगा जाएगा | जब डरा कर मुस्लिमो ध्रुविकरण होगा | तो बीजेपी भी राम मंदिर के नाम पर हिन्दू वोट को अपनी ओर क्यों नहीं खींच सकती।जब जनता को ही राम रहीम चाहिए तो नेता भी उनको वही दे रहे हैं। उपलब्धियां चुनावों का मुद्दा नहीं बनतीं  | वही इस बार भी हुआ | अलबत्ता जिस तरह टिकटों का बंटवारा हुआ | उसी से जाहिर था धर्म-जाति ही चुनाव का मुद्दा बनेंगे | बसपा और सपा ने जब टिकटों का बंटवारा किया | तो मुसलिम वोट बैंक को सामने रखा | मुसलमानों को प्रभावित करने के लिए टिकटों का बंटवारा किया | चुनाव न भी हों, तो भी धर्म-जाति के आधार पर सरकारें चले लगी हैं | इमरजेंसी में इंदिरा गांधी ने सविधान में सेक्यूलरिज्म तो लिखवा दिया | पर सरकार सेक्यूलर नहीं बनीं | हज की सब्सिडी हमेशा से हिन्दुओं के मन में गुस्से का कारण रही | इंदिरा गांधी अगर सेक्यूलरिज्म के साथ ही हज की सब्सिडी बंद कर देती |  तो सेक्यूलरिज्म की शुरुआत होती | पर सेक्यूलरिज्म के बावजूद मुसलमान वोट बैंक बने रहे | कोइ सरकार मुसलमानों का  आर्थिक-शैक्षणिक-सामाजिक विकास भी करती | तो तारीफ़ की जाती | सच्चर कमेटी ने उस की भी पोल खोल कर रख दी थी | मुसलमानों का सिर्फ वोट बैंक के लिए इस्तेमाल हुआ | सेक्यूलरिज्म सिर्फ हिन्दुओं को इक्कठे होने से रोकने का हथियार बना रहा | नरेंद्र मोदी ने जब मुसलमानों का नाम लेकर बराबरी की बात की | तो तुरंत साम्प्रदायिकता का आरोप लगा दिया | मोदी ने यही तो कहा था कि रमजान पर बिजली दो,तो होली पर भी दो | दिवाली पर बिजली दो तो ईद पर भी दो | अपन को तो इस में साम्प्रदायिकता नहीं दिखती | यह सिर्फ उन को दिखी , जो सेक्यूलरिज्म को हथियार बना कर इस्तेमाल करते रहे | इस में मीडिया भी आग में घी डालने का  दोषी | जो टीआरपी के लिए अर्थ का अनर्थ करने में माहिर | चुनावी जुमलों की ऐसी-तैसी करने का एक और उदाहरण देखिए | अपन ने बचपन ने एक बार अटल बिहारी वाजपेयी के मुहं से कांग्रेस पर जुमलेबाजी सूनी थी | उनने कांग्रेस को कौए,गऊ ,रींछ,साप कहा था | करीब करीब वैसी ही जुमलेबाजी बुधवार को अमित शाह ने की | उन ने एक पब्लिक मीटिंग में कांग्रेस,सपा,बसपा को मिला कर "कसाब" बता दिया |  ' ('क से कांग्रेस, ‘स’ से सपा और ‘ब’ से बसपा) | अब यह जुमलेबाजी के सिवा कुछ नहीं | उनने कहा था कि जब तक यूपी में इनका खात्मा नहीं होगा | तब तक राज्य का भला नहीं होगा | अमित शाह के इस बयान के जवाब में मायावती भड़क उठी | उनने गुरुवार को अंबेडकरनगर में एक रैली में कहा, "आज अपने देश में अमित शाह से बड़ा कोई भी कसाब नहीं हो सकता है |." यह वही बयान है,जो दो दिन पहले सपा के राजेन्द्र सिंह ने दिया था | उन ने मोदी और अमित शाह को आतंकी कहा था | यूपी का चुनाव जुमलेबाजी पर आ कर अटका है | अब अखिलेश के बयान का चुनाव में क्या तुक था | जो उन्होंने मोदी और अमित शाह को गुजरात के गधे कहने की कोशिश की | वह अमिताभ बच्चन का पुराना विज्ञापन था | जो अब चल भी नहीं रहा | किसी मसखरे ने अखिलेश को चंडूखाना पेल दिया | और उन ने बिना सोचे मंच से बोल दिया | राजनीति क्या इतनी गंदी हो जाएगी | क्या यह अरविन्द केजरीवाल के राजनीति में आने का असर है | जो हर रोज ट्विटर पर प्रधानमंत्री के खिलाफ ओछी भाषा में टिप्पणियाँ कर रहे | अखिलेश को तो यह भी नहीं पता था कि अमिताभ बच्चन ने जो विज्ञापन किया था | उसमें दिखाए गए गधे नहीं थे | इन जीवों को गधा नहीं, घुडखर कहा जाता है | ये कच्छ के रण में ही पाए जाते हैं |  घुडखर यानी गधे और घोड़े के बीच का जीव | घुड़खर पूरी दुनिया में सिर्फ कच्छ के छोटे रन्न में ही बचे हैं | धरती पर इन सुंदर प्राणियों का अस्तित्व बना रहे | इसलिए इन्हें भारतीय वन्य पशु संरक्षण कानून 1972 के तहत शेड्यूल 1 प्राणी की श्रेणी में रखा गया है | यानी वो प्राणी, जो लुप्त होने के बिल्कुल कगार पर हैं  | और इन्हें बचाने की हर संभव कोशिश की जानी चाहिए | अगर अमिताभ बच्चन ने इनके बारे में "खूशबू गुजरात की" कैंपेन में बताया | तो आपको भला इसमें बुरा क्यों लगा |  जिस कांग्रेस के साथ चुनावों में आपने दोस्ती की  | जिस के नेता से साथ आप हर मंच पर जोड़ी बनाए हुए हैं | और जोड़ी बना कर रोड शो कर रहे | उसी कांग्रेस की यूपीए सरकार ने 2013 में इन्हीं घुडखरों पर डाक टिकट जारी किया  था | किसी को समझने में दिक्कत नहीं हुई कि आप ने गधा किसे कहा | खुद नरेंद्र मोदी ने भी समझ लिया | आपने मोदी और अमित शाह को ही तो गुजरात के गधे कहा था | यह अलग बात है,जो अब यूपी की जनता किसे दो गधों की जोड़ी कह रही है | मोदी शब्दों के साथ खेलने के खिलाड़ी तो हैं ही | उन ने तो खुद को  जनता का गधा बता कर आप को ......बना दिया | 

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