अजय सेतिया / वित्त मंत्री अरुण जेतली ने विपक्ष की इस मांग को ठुकरा दिया है कि आम बजट चुनावो के दौरान पहली फरवरी को पेश नहीं किया जाए. उन्होने कहा कि सरकार की योजना के अनुसार बजट पहली फरवरी को ही पेश किया जाएगा. क्या राष्ट्रपति हस्तक्षेप कर सरकार को सलाह देंगे कि वह बजट को चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक टाल दे. क्या इस तरह की सलाह या हिदायत चुनाव आयोग देगा.
2012 में भी यही स्थिति पैदा हुई थी, जब इन्हीन पांच राज्यो का चुनाव 24 दिसम्बर 2011 को घोषित हुआ था और उत्तरप्रदेश के चुनाव 11 मार्च 2012 तक हो रहे थे. तत्कालिन वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने 25 दिसम्बर को कोलकात्ता में अपने बयान में कहा था कि चुनावो की वजह से बजट टाले जाने की कोई जरुरत नहीं. मुख्य चुनाव आयुक्त याई.एस.कुरैशी भी उस दिन कोलकात्ता में थे, जब उन से चुनावो के दौरान बजट आ जाने क्ले बारे में पूछ गया तो उन्होने कहा कि चुनावो के कारण एक बार पहले भी बजट मध्य मार्च तक टाला गया था.
मुख्य चुनाव आयुक्त का सदेश साफ था कि आचार सहिंता का पालन किया जाना चाहिए और उस के लिए बजट टालने में कोई हर्ज नहीं. सम्भवत चुनाव आयोग ने सरकार पर दबाव बनाया होगा, इस लिए प्रणव मुखर्जी ने 29 फरवरी 2012 की बजाए चुनावो के बाद 16 मार्च को बजट पेश किया था.
इस बार भी वित्त मंत्री का बयान हू-ब-हू 2012 के समय दिए गए वित्तमंत्री के बयान जैसा ही है. सरकार ने मंगलवार को ही फैसला किया था कि पहली फरवरी को पेश कर पहली अप्रेल से लागू कर दिया जाएगा. लेकिन केंद्र सरकार की तैयारी में विपक्ष ने फच्चर फंसा दिया है. कांग्रेस समेत 16 विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति और चुनाव आयोग को पत्र लिख कहा है कि अगर बजट पहली फरवरी को पेश हुआ तो यह आचार सहिंता का उलंघन होगा क्योंकि उस समय पांच विधानसभा चुनावों का प्रचार चरम पर होगा.
हालांकि सरकार ने अपनी मंशा कई महीने पहले प्रकट कर दी थी, लेकिन आधिकारिक निर्णय मंगलवार को लिया गया था, विपक्ष ने सोमवार को ही राष्ट्रपति और चुनाव आयोग को पत्र लिख कर अपनी आपत्ति दायर कर दी. इस पत्र में विपक्ष ने एनडीए सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार बजट के दौरान वोटरों को रिझाने के लिए लोक-लुभावन वादे कर सकते है. विपक्ष ने अपने पत्र में कहा है कि चूंकि यह बजट आगामी विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान आएगा, ऐसे में इस तरह की बजट की संभावना और बढ़ जाती है.
विपक्ष ने अपने पत्र में राष्ट्रपति और चुनाव आयोग से आग्रह किया कि चुनाव, स्वतंत्र और निष्पक्ष हो इसके लिए जरूरी है कि सरकार को जल्दी बजट लाने से रोका जाना चाहिए. विपक्ष ने अपने पत्र में कहा है कि पहले भी चुनावों को ध्यान में रखकर बजट देरी से पेश किया जा चुका है.
विपक्ष ने पत्र में कहा कि 2012 में भी जब इन्ही दिनो में पांच राज्यों, उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर, में चुनाव होने वाले थे, तो इन राज्यों के चुनाव में बजट का प्रभाव न पड़े इसलिए यूपीए सरकार ने बजट 28 फरवरी की बजाए 16 मार्च को पेश किया था, लेकिन एनडीए सरकार तो चुनाव प्रचार के चरम पर पहली फरवरी को बजट पेश करना चाहती है, जो अमर्यादित भी है.
इस पत्र में कांग्रेस की तरफ से गुलाम नबी आजाद ने हस्ताक्षर किए हैं.अन्य हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में सीपीआई(एम) के सीताराम येचूरी, सपा के राम गोपाल यादव और जेडयू के शरद यादव शामिल हैं. मंगलवार (3 जनवरी) को संसदीय मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने बजट सत्र को 31 जनवरी से शुरू करने का फैसला लिया था. इस फैसले के मुताबिक वित्त मंत्री अरूण जेटली 1 फरवरी को बजट पेश करेंगे. यानि इस बार बजट तय समय से लगभग 3 हफ्ते पहले पेश किया जाएगा.
आपकी प्रतिक्रिया