अपन एंजियो प्लास्टी कराकर लौटे। तो पाकिस्तान में चुनाव नतीजे आ रहे थे। सो तीन दिन अपन ने हाल-ए-पाक बताया। पाक में अब हंगामे से पहले की खामोशी। बुश-मुशर्रफ की जमहूरियत विरोधी साजिश अभी भी जारी। साजिश क्या रुख अख्तियार करेगी? अपन को दिल थामकर इंतजार करना होगा। तब तक अपन अपनी आबो-हवा की पड़ताल करें। राजनीतिक आबो-हवा की बात तो करेंगे ही। पहले हाल-ए-मौसम बता दें। मौसम ने बहुत डर-डरकर करवट ली। फरवरी का आखिरी हफ्ता आ गया। सर्दी जाने का नाम नहीं ले रही। शुक्रवार को तापमान दस डिग्री से नीचे नहीं गया। तो दिल्ली वालों ने राहत की सांस ली। अब तो एक-आध दिन में स्वाटर उतरेंगे ही। अब बात राजनीतिक आबो-हवा की।
तो सोनिया-मनमोहन के सामने आतंकवाद का भूत फिर आकर खड़ा हो गया। उधर बेंगलुरु में पढे-लिखे आतंकी पकड़े गए। हुबली फिर गर्म होने लगी। तो इधर एलओसी से घुसपैठ की फिर खबर आई। आफत आतंकवाद के सामने की ही नहीं। आफत अफजल गुरु की भी। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने तो साफ कह दिया- 'हमने तो अफजल गुरु को सजा-ए-मौत दे दी। अब राष्ट्रपति जानें, सरकार जाने।' राष्ट्रपति की बात चली। तो याद करा दें- बाल ठाकरे ने अब्दुल कलाम का विरोध इसी मुद्दे पर किया। कहना था- 'कलाम ने अफजल गुरु को फांसी नहीं दी।' अब बाल ठाकरे क्या कहेंगे। अपन को उनके अगले बयान का इंतजार। पर आजकल राजनीतिक आबो-हवा में बजट का शोर ज्यादा। देशभर में बजट तैयारियां शुरू। सारे वित्त मंत्री काम में जुट चुके। पर अपनी निगाह सिर्फ चिदंबरम पर। चिदंबरम किस्मत वाले। जो 29 फरवरी को सातवां बजट पेश करेंगे। हां, इस बार 29 फरवरी को बजट पेश होगा। चौथे साल आता है यह मौका। पर इस बार आठवें साल आया। चार साल पहले बजट आया ही नहीं था। वाजपेयी ने 'मिड टर्म' चुनाव का फैसला किया। सो जसवंत सिंह अंतरिम बजट पेश कर पाए। बेचारे जसवंत सिंह। वित्त मंत्री तो बने। पर पूरा बजट पेश नहीं कर पाए। यशवंत सिन्हा किस्मत के धनी निकले। जिनने छह पूरे बजट और दो अंतरिम पेश किए। पांच बार वाजपेयी सरकार के। तो एक चंद्रशेखर सरकार का। दोनों के एक-एक अंतरिम बजट भी। पर बात चिदंबरम की। उनने भी दो बजट यूएफ सरकार में पेश किए। अब मनमोहन सरकार का पांचवां। पर सबसे ज्यादा बजट का रिकार्ड अब भी मोरारजी देसाई का। जिनने आठ पूरे और दो अंतरिम बजट पेश किए। मोरारजी भाई की बात चली। तो बता दें- अपने जन्मदिन पर बजट पेश करने वाले वह अकेले। पर बात बजट के अंदर की। यों तो सरकार का आखिरी बजट नहीं। खुदा-न-खास्ता एटमी करार पर न गिरी। तो अगले साल अंतरिम बजट भी होगा। पर वह तो काम चलाऊ ही होगा। असली चुनावी बजट तो इसी साल का। सो दस जनपथ- चौबीस अकबर रोड का डंडा रहेगा इस बार। उस दिन चिदंबरम चौबीस अकबर रोड तलब हुए। तो अपन ने कांग्रेस की फैहरिस्त बताई ही थी। सोनिया ने भी रायबरेली में सबके सामने चिदंबरम को 'आम आदमी' का ख्याल रखने की बात कह दी। तो कांग्रेसी छुटभईयों को वाह-वाही लूटने का इशारा हो गया। बजट के लिए भी कांग्रेसी शैली शुरू हो गई। रेणुका चौधरी औरतों को लेकर सोनिया के पास पहुंची। तो शमशेर सिंह सूरजेवाला किसानों को लेकर। शुक्रवार को किसान-मजदूर सेल सक्रिय हुआ। प्रभा राव, मुकुल वासनिक, अशोक गहलोत, दीपेंद्र हुड्डा किसान लेकर सोनिया के दरबार में हाजिर हुए। सो महिला, किसान, आम आदमी का चुनावी बजट होगा। यों तो चिदंबरम का हर बजट भूल-भुलैया। सो इस बार भी होगा ही। चिदंबरम का बजट तुरत-फुरत समझ नहीं आता। चिदंबरम की चॉकलेटी लफ्फाजी जल्दी से समझ नहीं आती। पता तो तब चलता है, जब महंगाई धुआं निकाल दे। अब देखो ना, शुक्रवार को ही मुद्रा स्फीति का आंकड़ा आया। महंगाई पिछले छह महीने में सबसे ज्यादा। सोचो, कितना आम आदमी का ख्याल रखा।
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