पाकिस्तान में अपने एक अजीज दोस्त हैं- शाहिद अब्दुल कयूम। वहां के एक टीवी चैनल में सीनियर सब एडिटर। चार साल पहले अपन जब पाक गए। तो कयूम से दोस्ती हुई। फिर गाहे-ब-गाहे बजरिया ई-मेल बातचीत होती रही। कभी कभार एसएमएस भी। कयूम से हुई ताजा चर्चा पर आप भी गौर फरमाएं। लिखते हैं- 'मेरा देश जल रहा है। हालात बद से बदतर हो रहे हैं। आपने भी सीमा पार की बुरी खबरें सुनी होंगी। फिदायिन हमले, विद्रोही गतिविधियां। भुट्टो की हत्या के बाद राजनीतिक संकट। हमारी सीमाओं में जंग छेड़ने की अमेरिकी धमकियां। हमारे परमाणु बम की सुरक्षा का सवाल। आप क्या सोचते हैं- इस सबके लिए कौन जिम्मेदार है?'
अपन ने छोटा सा जवाब भेजा- 'खुद पाकिस्तान, जिसमें लोकतंत्र मजबूत नहीं हुआ और अमेरिका भी। जिसकी शह पर पाक कूदता रहा। अपन पाकिस्तान की इस दशा पर फिक्रमंद हैं। पड़ोसी की झोपड़ी जलने की आंच हमें भी पहुंचेगी। आपकी याद आती है। छोटे भाई को प्यार।' कयूम का जवाब आया- 'प्रिय, आपकी सहानुभूति के लिए शुक्रगुजार हूं। मेरे और मेरे देश के लिए फिक्रमंद होने पर आभार। मैं ई-मेल भेजूंगा। शुभ रात्रि, शब-ए-खैर।' कयूम का ई-मेल आया। उनने चार साल पहले कही अपन की बातों को सही माना। अपन ने तब कयूम से कहा था- 'पाकिस्तान को भी आतंकवाद की आंच सहनी पड़ेगी। पाकिस्तानी सेना ने जमहूरियत पनपने नहीं दी। वही है भारत-पाक के रिश्तों में बड़ी अड़चन।' कयूम ने अपने जवाब में वह बात याद की। उनने माना- 'अपन तब सही थे।' कयूम के ई-मेल का अपन ने फौरन जवाब भेजा। अपने लंबे जवाब में अपन ने कहा- 'पाकिस्तान में हो रहे फिदायिन हमलों पर अपन को अफसोस। पर भारत तीन दशक से ऐसे आतंकी हमले झेल रहा था। तो आपका रेडियो आतंकियों को आजादी के दीवाने कहता रहा।' याद है- इसी बात पर तो मुशर्रफ की आगरा बात टूटी। खैर अपने ई-मेल पर कयूम का जवाब आया- 'आभार। आपके जज्बात ने मेरे दिल को छू लिया। आपसे मित्रता पर मुझे गर्व है। मेरे देश के प्रति आपकी भावनाओं की मैं कद्र करता हूं। आप सही थे। भारत-पाक प्रतिद्वंदी नहीं। मेरी समझ गलत थी।' कयूम से अपनी खत-ओ-खिताबत ठीक उस वक्त हुई। जब स्पेन में चौदह आतंकी पकड़े गए। इनमें बारह पाकिस्तानी, दो हिंदुस्तानी। पाक के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ स्पेन पहुंचने वाले थे। आतंकियों का इरादा बार्सिलोना में हमले का था। स्पेनिस खोज-खबर से खबर निकली- 'आतंकियों का रिश्ता अल कायदा से। यों ज्यादातर आतंकी पाकिस्तानी लश्कर-ए-तोएबा के मरजीवड़े।' स्पेनिस अखबार 'एल पेरियोडिको ड कैटालूनिया' लिखता है- 'लश्कर-ए-तोएबा भारत में आतंकी हमलों का जिम्मेदार। बाकी आतंकी मिस्र के आतंकी ग्रुप तकफीर-उल-हियरा के मेंबर।' स्पेनिस पुलिसिया छानबीन से खुलासा हुआ- 'पकड़े गए सभी कट्टरपंथी मुस्लिम हाल ही में पाक गए थे। जहां वजीरीस्तान में उनने आतंकी टे्रनिंग ली।' आतंकियों का टारगेट था- मुशर्रफ। एक ऐसी मस्जिद भी जहां बेनजीर समर्थक जाते हैं। बात मुशर्रफ की चली। तो बताते जाएं- जो दूसरों के लिए कुआं खोदता है, खुद उसी में गिरता है। मुशर्रफ पर हो रहे आतंकी हमले इसका सबूत। अपने पास और भी ऐसे उदाहरण। राजीव शासन की लिट्टे आतंकियों को टे्रनिंग। अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ अमेरिका का ओसामा बिन लादेन को खड़ा करना। पर बात पाकिस्तान के आतंकवाद को पालने की। जिसका जिक्र अपन ने कयूम से किया। सोमवार को ब्रिटिश पीएम गार्डन ब्राउन दिल्ली में थे। उद्योगपतियों से मीटिंग में बोले- 'फेल और फेल हो रहे देशों के कारण दुनियाभर में आतंकवाद का खतरा।' इशारा जरूर पाक की तरफ ही था। पर मौजूदा आतंकवाद की वजह सिर्फ पाक नहीं। ब्रिटेन भी। ब्रिटेन ने हिंदुस्तान का बंटवारा कराकर आतंकवाद के बीज बोए। इराक पर अमेरिकी-ब्रिटिश हमला दुनियाभर में आतंकवाद की ताजा वजह।
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