सिर्फ बादल विरोध की सनक पर सवार बिना आगे की रणनीति सोचे समझे राज्यसभा और भाजपा छोडने वाले नवजोत सिंह सिद्धू अब दर दर भटक रहे हैं. आप ने मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने से इंकार कर दिया था तो बात टूट गई थी, अब कांग्रेस ने भी उन्हे मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने या चुनाव से पहले किसी और को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट न करने की शर्त ठुकरा दी है.
अलबत्ता कांग्रेस ने सिधू के सामने पार्टी में विलय की शत रख दी है. अब सिधू की की नाव कांग्रेस में विलय या फिर कांग्रेस से तालमेल, इन दोनों के बीच अटकी हुई है , कांग्रेस विलय चाहती है और सिद्धू तालमेल. इंडिया टुडे के ओपिनियन पोल ने सिधू की मोल-भाव की औकात घटा दी है, क्योकि पोल ने कांग्रेस को काफी आगे बता दिया है. अब कांग्रेस अपनी शर्तो पर बात कर रही है, सिधू सभी 117 सीटो पर उम्मींदवारो के चयन में अपनी भूमिका चाह रहे थे, कांग्रेस ने उसे सिरे से खारिज कर दिया है. सूत्र बता रहे हैं कि सिद्धू से तालमेल को कांग्रेस राजी हो गई है और उसके लिए फॉर्मूला भी तय हो गया है. फार्मूला यह है कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो उन्हे उप मुख्यमंत्री और और उन के कोटे से एक मंत्री बना देंगे. या फिर अमरेंद्र सिंह के मुख्यमंत्री बनने से खाली होने वाली अमृतसर की सीट पर चुनाव लड ले.
पिछले एक दशक से पानी पी पी कर कांग्रेस को कोसने वाले सिद्धू अब कांग्रेस की शर्ते मानने को बाध्य हैं. जो फॉर्मूला तालमेल का बन रहा है उसके मुताबिक कांग्रेस सिद्धू के मोर्चे को लड़ने के लिए 6 सीटें दे सकती है. यानि कुल मिला कर सीएम बनने का ख्वाब देखने वाले सिधू की स्थिति सिर्फ अपनी पत्नी की टिकट पर आ कर अटक गई है. .बीजेपी से रिश्ता तोड़ने के बाद सिद्धू ने आम आदमी पार्टी में भविष्य की तलाश की थी लेकिन वहां सीएम के सवाल पर केजरीवाल ने सिद्धू को साइड कर दिया. इसके बाद सिद्धू ने सियासत के सिद्धांत को साइड करके कांग्रेस के करीब होने के संकेत दे दिये. फिलहाल बिना सिद्धू के ही पंजाब में कांग्रेस बड़ी ताकत बनने की ओर है.
ओपिनियन पोल में कांग्रेस 49 से 55 सीटें
इंडिया टुडे के ओपिनियन पोल में कांग्रेस को 117 में से 49 से 55 सीटें, आप को 42 से 46 और अकाली-बीजेपी को 17 से 21 सीटें मिल सकती है. कांग्रेस को डर है कि सिद्धू ने तालमेल करके कुछ सीटें जीत ली और सरकार बनने के वक्त गच्चा दे दिया तो क्या होगा ? फिलहाल सिद्धू की जो पॉलिटिक्स चल रही है उसमें ये सोचना गलत भी नहीं है. इसीलिए कांग्रेस काफी ठोक बजाकर फैसला करने के मूड में है.
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