अजय सेतिया / यो तो भाजपा अभी उत्तरप्र्देश और उत्तराखंड का निर्णय नहीं कर पाई है कि मुख्यमंत्री के तौर पर किसे प्रोजेक्ट किया जाए , जहाँ फरवरी 2017 में चुनाव होना है, हिमाचल प्रदेश में जहाँ नवम्बर 2017 में चुनाव होना है, राजनीति ज्यादा गर्म हो गई है.भाजपा में इस बात पर अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा दावेदार होंगे या बरसों तक प्र्देश में भाजपा का चेहरा रहे प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर को पेश किया जाएगा.
पार्टी सूत्र बताते हैं कि 73 साल के प्रेम कुमार धूमल को प्रोजेक्ट नहीं किया जाएगा. कल राज मिश्रा को छोड कर न तो अभी 75 से ऊपर कोई केंद्रीय केबिनेट में है और न ही भाजपा की राज्य सरकारो में. नज़मा हेपतुल्ला (76) को केंद्रीय मंत्री मंडल और बाबू लाल गौड (86) और सरताज सिंह (76) को हाल ही में मध्यप्रदेश की केबिनेट से उम्र के आधार पर ही बाहर किया गया है. उत्तराखंड के दिग्गज़ नेता जनरल खंडूरी (83) और भगत सिंह कोश्यारी (74) को भी इसी लिए केंद्रीय मंत्री मंडल में जगह नहीं मिली.
नड्डा के नरेंद्र मोदी के साथ उस समय से सीधे सम्बंध हैं,जब वह हिमाचल में विधायक और मोदी प्रभारी थे. हालांकि उन्हे राष्ट्रीय पटल पर नितिन गडकरी ले कर आए ,जब उन्होने नड्डा को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव व संसदीय बोर्ड का सदस्य और राज्यसभा का सदस्य. बनाया. लेकिन नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही नड्डा के राजनीतिक सितारे बुलंद हो गए.पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के गृहमंत्री बनते ही नड्डा का नाम बडी तेजी से पार्टी अध्यक्ष पद के लिए उभरा, लेकिन बाद में मोदी ने अपनी पसंद के अमित शाह को अध्यक्ष पद पर बिठवाया, अमित शाह को राजनाथ सिंह ने अपनी टीम में महासचिव बनाया था. नड्डा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते बनते रह गए ,लेकिन उन्हे सीधे केबिनेट मंत्री बना दिया गया. तब से राजनीतिक हल्को में क्यास लगाए जा रहे हैं कि धूमल की जगह नड्डा ( 56) को मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट किया जाएगा.
लेकिन प्रेम कुमार भी कभी नरेंद्र मोदी के बहुत करीब रहे हैं. शांता कुमार हालांकि अटल बिहारी वाजपेयी के बेहद करीबी थे, लेकिन नरेंद्र मोदी जब से हिमाचल के प्रभारी बने, उन के राजनीतिक सितारे गर्दिश में चले गए. हालांकि अभी प्रेम कुमार धूमल ने खुद हिम्मत नहीं हारी है, लेकिन अगर उन्हे उमर के मापदंड पर सक्रिय राजनीति से बाहर किया गया तो वह अपने बेटे अनुराग ठाकुर को अपना राजनीतिक वारिस बनाने के लिए पूरी ताकत लगा देंगे. केंद्र में अरुण जेतली ,जो अनुराग को क्रिकेट राजनीति में ले कर आए हैं, अनुराग ठाकुर के लिए पूरा जोरे लगा देंगे, हालांकि यह अभी तय नहीं है कि निर्णय करवाने में अब उन का कितना जोर बचा है. ठाकुर होने के नाते राजनाथ सिंह भी धूमल का साथ दे सकते हैं.
अनुराग ठाकुर ने अपनी अलग राजनीतिक पहचान भी बनाई है. वे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष हैं और दो बार सांसद रह चुके. भाजपा के युवा मोर्चे के अध्यक्ष के नाते भी उनको खासी लोकप्रियता मिली है. अगर नड्डा को प्रदेश में भेजने का फैसला हुआ तो अनुराग ठाकुर उन की जगह केंद्र में राज्यमंत्री बन जाएंगे. इस लिए अनुराग ठाकुर के तो दोनो हाथो में लड्डू हैं.
माना जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व की ओर से उनके हिमाचल वापस लौटने का संकेत मिला है. तभी पिछले महीने से उन्होंने सक्रियता बढ़ाई है.वे अक्टूबर में पांच बार हिमाचल के दौरे पर गए और वीरभद्र सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला. कहा जा रहा है कि सर्बानंद सोनोवाल की तरह मंत्री बनाए रखते हुए भी उनके नाम की घोषणा हो सकती है.
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