पूर्व सैनिकों को वन रैंक वन पेंशन पर तमाम विवाद के बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा है कि दो महीने के अंदर इसका भुगतान शुरु कर दिया जाएगा.जब कि सरकार ने पहले कहा था कि भुगतान किया जा चुका है. अब रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री दोनो नरेंद्र मोदी के दावे का बचाव करने के लिए सामने आए हैं. पर्रिकर ने कहा कि सरकार जस्टिस एल नरसिम्हा रेड्डी कमेटी की रिपोर्ट पर विचार कर रही है.
मोदी-जेतली से पहले से नाराज चल रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री और पटना से सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने भी मौका देख एक बार फिर अपनी पार्टी पर हमला बोला . सिन्हा ने बीजेपी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा है कि पार्टी इसको अच्छे ढंग से संभाल सकती थी.
उन्होंने ट्वीट किया कि काश दिल्ली में पूर्व सैनिक के आत्महत्या के बाद उत्पन्न हालात को बेहतर, परिपक्व, व्यवहारिक और निष्पक्ष तरीके से संभाला गया होता. सिन्हा ने इस बात पर भी नाराजगी जाहिर की है कि पूर्व फौजी की आत्महत्या का विरोध करने पर जिस तरीके से कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया, उससे सरकार की किरकिरी हुई. केंद्र सरकार को समझना पड़ेगा कि विरोधी दल के नेता हमारे दुश्मन नहीं हैं.
पर्रिकर ने कहा, 'ओआरओपी की मांग 43 साल पुरानी है जिसे मोदी सरकार ने हरी झंडी दी है. प्रत्येक साल 75000 करोड़ रुपए दिए जाएंगे, साथ ही बकाए 11000 रुपए का भी भुगतान किया जाएगा. ओआरओपी के लिए पूर्व सैनिकों को हो रही परेशानी का समाधान 2 महीने के अंदर किया जाएगा. यदि पुराने दस्तावेज ने भी मिलें तो औपचारिक दस्तावेज तैयार करके ओआरओपी का लाभ सैनिकों को दिया जाएगा.'
वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस पर वार करते हुए कहा कि यूपीए ने सत्ता में रहते हुए OROP के लिए 10 सालों में एक भी रुपया खर्च नहीं किया और अब राजनीति कर रही है. साल 2004 से 2014 तक 10 साल तक यूपीए की सरकार सत्ता में रही थी. तब भी OROP को लेकर मांगें उठ रही थी.
रामकिशन ग्रेवाल के खुदकुशी के बाद से ओआरओपी का मामला काफी गरमा गया है. विपक्ष लगातार नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोल रहा है. वहीं रामकिशन के सुसाइड के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि अगर ओआरओपी लागू हो गया है तो सैनिक ने खुदकुशी क्यों की. सरकार ने झूठ बोला है, सैनिकों से माफी मांगी जानी चाहिए.
ओआरओपी का लाभ पाने के लिए 15 साल का कार्यकाल जरूरी होता है. इसके सबूत के तौर पर दस्तावेज जरूरी होते हैं, जबकि 1 लाख सैनिकों के दस्तावेज खराब हो चुके हैं. ऐसे में मनोहर पर्रिकर ने कहा है कि अगर सर्विस कागजात न भी मिलें तो हलफनामा तैयार करवा कर उसका रास्ता निकाला जाएगा.
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