लखनऊ: आम तौर पर विपक्षी दल इस बात पर खुश थे कि नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को दशहरे के मौके पर सर्जिकल स्ट्राईक का जिक्र नहीं किया. मंगलवार रात को हुई टीवी बहसो में राहत की सांस लेने वालो में बसपा के प्रवक्ता भी थे. लेकिन बसपा को रेस से बाहर करने की जीतोड कोशिश में लगी बसपा अध्यक्ष मायावती ने पैंतरा बदलते हुए बुधवार को कहा कि मोदी ने अपने भाषण में ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करने पर सेना की तारीफ में एक शब्द भी नहीं कहना बड़े दुख की बात है.
मायावती ने लखनऊ में जारी एक बयान में कहा कि अगर प्रधानमंत्री मोदी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ के लिये सुनियोजित तौर पर दूसरों से अपनी प्रशंसा करवाते रहने का शौक पालने के बजाय प्रतिपक्षी पार्टियों की तरह ही उस सेना की प्रशंसा करते तो बेहतर था जिसने नियन्त्रण रेखा के उस पार जाकर पाकिस्तान में आतंकवादी शिविरों को तबाह किया. उन्होंने कहा कि मोदी ऐशबाग रामलीला में शामिल होकर जो राजनीतिक व चुनावी संदेश देना चाहते थे वह रामलीला मैदान के आस-पास लगे बड़े-बड़े पोस्टर, बैनर और होर्डिग में सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता के लिये सेना के बजाय उन्हें श्रेय देने की इबारतों से जाहिर था. यह ग़लत है और पार्टी की गलत नीयत को दर्शाता हैं. मायावती ने प्रधानमंत्री के ‘युद्ध से बुद्ध’ की तरफ जाने सम्बन्धी बयान पर कहा कि युद्ध से बुद्ध के रास्तों पर जाने के बजाय बेहतर होगा कि अपना देश और पूरी दुनिया बुद्ध के रास्तों पर चलने का वास्तविक प्रयास करे ताकि फिर युद्ध करने की जरूरत ही ना पड़े.
उन्होंने मोदी के संदेश पर तंज करते हुए कहा कि सामाजिक बुराइयों से लड़ने के लिये सूखे उपदेश नहीं बल्कि सरकारों की दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है, जो कि खासकर भाजपा की सरकारों के पास नहीं है. मायावती ने कहा कि मोदी देश में व्याप्त जातिवाद तथा अन्य बुराइयों के खात्मे के लिये आये दिन केवल किस्म-किस्म की जुमलेबाजी करते रहते हैं, लेकिन काम चलने वाला नहीं है, बल्कि इसके लिये बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर द्वारा बताये हुये रास्तों पर सही नीयत और नीति के साथ काम करना होगा. उन्होंने कहा कि इस मामले में खासकर जातिवादी शोषण व उत्पीड़न को रोकने के लिये केन्द्र तथा राज्य सरकारों को भरपूर सरकारी शक्ति का भी प्रदर्शन करना होगा. साथ ही लोगों को कानून का सम्मान करने की जबर्दस्त सीख देनी होगी.
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