कैसे हुआ भोपाल,जूनागढ़,हैदराबाद और कश्मीर का विलय

Publsihed: 26.Jan.2020, 14:21

अजय सेतिया / वह 12 मई 1946 था , जिस दिन भारत की आज़ादी का प्रस्ताव चांसलर के सामने पेश किया गया | तीन जून 1947 को माऊंटबेटन योजना की घोषणा की गई | इस योजना में एक सलाह यह थी कि 562 रियासतें अपना भविष्य खुद तय करें | ब्रिटिश संसद ने 18 जुलाई को भारत की आज़ादी का बिल पास किया | यह बिल भारत पाक बंटवारे का था | बंटवारे के समय बलूचिस्तान पर कलात के राजा अहमद यार खान का शासन था , जो अलग स्वतंत्र राष्ट्र बनाने पर अड़े हुए थे | बलूचिस्तान पाकिस्तान के बीच पड़ता था | इस लिए माऊंटबेटन ने 19 जुलाई को अहमद यार खान और मुस्लिम लीग के प्रतिनिधियों की मीटिंग करवाई | पर अहमद यार खान बलूचिस्तान के स्वतंत्र रियासत बने रहने पर अड़े रहे |

27 जून 1947 को माऊंटबेटन ने सरदार पटेल की रहनुमाई में राज्य विभागका पुनर्गठन किया | वीपी मेनन को पटेल का सहयोगी बनाया गया | 5 जुलाई को सरदार पटेल सभी रियासतों को चिठ्ठी लिख कर भारत में विलय की पेशकश की | माऊंटबेटन ने 25 जुलाई 1947 को सभी रियासतों के राजाओं को बुलाया | इस बैठक में माऊंटबेटन ने सभी राजाओं को सलाह दी कि वे भारत पाकिस्तान में से एक चुन लें | उन ने राजाओं से यह भी कहा कि नजदीकी बाऊंड्री और अपनी प्रजा को नजरअंदाज करें | इस बैठक में सरदार पटेल भी थे और उन्होंने सभी को 15 अगस्त से पहले फैसला लेने की सलाह दी |

माउंटबेटेन ने रियासतदारों को चेतावनी दी कि उन के हालात अब बिना पतवार की नावजैसी है | अगर उन्होंने भारत में विलय किया तो इससे अपजी अराजकता के लिए वे ख़ुद ज़िम्मेदार होंगे | बकौल माउंटबेटन,’... आप अपने सबसे नज़दीक पडोसी यानी आज़ाद भारत से भाग नहीं सकेंगे | ही लंदन की महारानी आपकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी लेंगी | बेहतर होगा कि आप आज़ाद होने का खवाब देखें | अगर बैठक में मौजूद राजा हिंदुस्तान में विलय को स्वीकार करते हैं, तो मैं आपके लिए कांग्रेस की निर्वाचित सरकार से कुछ बेहतर शर्तों मनवा पाऊंगा...

नतीजा यह निकला कि 15 अगस्त 1947 आते आते सभी राजाओं और नवाबो ने संधि पर दस्तखत कर दिए | पांच रियासतों के राजाओं की कोशिश थी कि वे अपनी रियासतें कायम रखें | ये पांच रियासतें थीं कश्मीर , भोपाल , जूनागढ़, हैदराबाद और बलूचिस्तान | बलूचिस्तान पाकिस्तान के किनारे पर था | कश्मीर भारत पाकिस्तान के बार्डर पर था | जबकि बाकी तीन रियासतें भोपाल, जूनागढ़ और हैदराबाद भारत के बीचोबीच | इनमें से कश्मीर को छोड़ कर बाकी सभी रियासतों के राजा मुसलमान थे |

जूनागढ़ गुजरात के बीचोंबीच था | उस के शासक महावत खान मुसलमान थे, जबकि उस की प्रजा ज्यादातर हिन्दू थी | महावत खान को मोहरा बना कर जिन्ना भारत से कश्मीर पर सौदा करना चाहते थे | क्योंकि कश्मीर का राजा हरिसिंह हिन्दू था , जबकि कश्मीर में ज्यादातर बाशिंदे मुसलमान थे | सरदार पटेल किसी सौदेबाजी को तैयार नहीं थे | 14 अगस्त 1947 को महावत खान ने जूनागढ़ के पाकिस्तान में विलय का एलान कर दिया | सरदार पटेल ने ब्रिगेडियर गुरदयाल सिंह के नेतृत्व में सेना भेज दी | जिस ने जूनागढ़ के दो बड़े प्रान्तों मांगरोल और बाबरियावाड़ पर कब्ज़ा कर लिया | सरदार पटेल ने कूटनीतिक चाल चली | उन्होंने महात्मा गांधी के पोते समल दास की रहनुमाई में जूनागढ़ की अंतरिम सरकार बना दी | जिस ने जनता के साथ मिलकर महावत खान के खिलाफ विद्रोह का माहौल खड़ा किया | जिस से डर कर महावत खान एक विमान पर अपने कुत्ते साथ लेकर कराची भाग गया | अपनी बेगमों को वह जूनागढ़ में ही छोड़ गया |

हैदराबाद के निजाम उस्मान अली ने खुद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया | हैदराबाद निजाम की 85 फीसदी आबादी हिन्दू थी | पर शासन और सेना पर मुस्लिम हावी थे | हिन्दू अगल बगल के भारतीय प्रान्तों में पलायन करने लगे | जिन्ना की शह पर निजाम ने एक साल से भी ज्यादा समय तक हैदराबाद को स्वतंत्र देश बनाए रखा | जब 11 सितम्बर 1948 को जिन्ना की मौत हो गई , तो सरदार पटेल ने दूसरे ही दिन फ़ौज भेज कर हैदराबाद पर कब्जा कर लिया | भोपाल का भारत में विलय तो हैदराबाद के भी बाद में हुआ | उन के खिलाफ विद्रोह हुआ | जिस में डा शंकर दयाल शर्मा को जनवरी 1949 में आठ महीने के लिए जेल भेज दिया गया था | जिस पर सरदार पटेल के तेवर तीखे हो गए | उन्होंने नवाब को चेतावनी भेज दी | तब जा कर नवाब हमीदुल्ला ने 30 अप्रेल 1949 को भारत में विलय पर दस्तखत किए |

जम्मू कश्मीर की समस्या यह थी कि उस का भारत के साथ कोई सडक मार्ग ही नहीं था | जम्मू कश्मीर से लोगों को पाकिस्तान से हो कर ही भारतीय पंजाब या दिल्ली आना पड़ता था | इस लिए महाराजा हरिसिंह भयंकर दुविधा में पड़े हुए थे | हालांकि वह जम्मू कश्मीर का विलय भारत में करना चाहते थे | दूसरी तरफ महाराजा हरिसिंह के प्रधानमंत्री राम चन्द्र काक पाकिस्तान से मिले हुए थे | यहाँ तक कि माऊंटबेटन ने भी काक और जिन्ना की मुलाक़ात करवाई थी | वह महाराजा हरी सिंह को डरा रहे थे कि भारत में विलय हुआ तो पाकिस्तान से लोग घुस आएँगे और उपद्रव हो जाएगा | महाराजा हरिसिंह को जब चाल पता चली तो उन्होंने 10 अगस्त 1947 को काक को बर्खास्त कर दिया | 12 अगस्त 1947 को महाराजा हरिसिंह ने भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ स्टेंडस्टील एग्रीमेंट की पेशकश की | जिसे पाकिस्तान ने मांन लिया, लेकिन भारत ने नहीं माना था | सरदार पटेल ने 2 अक्टूबर को महाराजा हरिसिंह को चिठ्ठी लिखी | जिस ने उन्होंने आश्वासन दिया कि जितनी जल्दी हो सकेगा कश्मीर से लिंक जोड़ा जाएगा | टेलीग्राफ, टेलीफोन, वायरलेस और सडकों का जाल बिछाया जाएगा | सरदार पटेल ने इस चिठ्ठी में जम्मू कश्मीर को खाद्ध्य सामग्री पहुँचाने का भी भरोसा दिया | तभी स्टेंड स्टील संधि को तोड़ते हुए पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर को खाद्ध्य सामग्री की आपूर्ति रोक दी | 29 अगस्त 1947 को हजारा के राजा याकूब खान ने महाराजा को चिठ्ठी लिख कर हमले का एलान किया | तीन सितम्बर 1947 को हमला शुरू हो गया | 21 अक्टूबर को हजारा की फौजें श्रीनगर के करीब पहुंच गई | महाराजा ने 24 अक्टूबर को भारत से सहायता माँगी | इस तरह 26 अक्टूबर को वीपी मेनन विलय के कागजात ले कर जम्मू गए | उसी दिन महाराजा हरिसिंह ने विलय पत्र पर दस्तखत कर दिए |  

 

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