अजय सेतिया / जम्मू से भाजपा के निष्कासित पूर्व विधायक डा. गगन भगत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है | जिस में वह कमरे में अपने दर्जनों समर्थकों के साथ बैठे बात कर रहे हैं | उन्होंने जो बात कही है , वह अपन के लिए चौंकाने वाली इस लिए नहीं थी , क्योंकि पांच अगस्त की रात को जब अपन एक न्यूज चेनल पर केंद्र सरकार के फैसले की समीक्षा पैनल में शामिल थे तो वहां मौजूद जम्मू मूल के एक वरिष्ठ पत्रकार ने भी वही बात कही थी | उन का कहना था कि केंद्र सरकार ने उन के साथ धोखा किया है | उन्हें जम्मू अलग राज्य देने की बात कही गई थी , लेकिन अब फिर उन्हें कश्मीर के साथ ही जोड़ दिया गया है , जहां उन्हें अल्पमत में दब कर ही रहना होगा |
जम्मू वासियों का दर्द अपनी जगह है , उन की आशंका है कि विधानसभा सीटों का परिसीमन होने के बावजूद विधानसभा में मुस्लिम विधायकों का बहुमत बना रहेगा | इस समय जम्मू से 37 और घाटी से 46 सीटें हैं , घाटी से तो सभी मुस्लिम आते ही हैं , जम्मू से भी 10 विधायक मुस्लिम चुन कर आते हैं | संसद से पास नए क़ानून में बढाई गई सातों सीटें जम्मू के हिस्से आई और घाटी में आबादी घटने के कारण घाटी की भी दो-तीन सीटें जम्मू में आने के कारण जम्मू की सीटें बढ़ भी गई तो भी बहुमत मुस्लिम विधायकों का ही होगा | उन का कहना था कि 370 हटने के बावजूद जम्मू कश्मीर में हिन्दू मुख्यमंत्री कभी नहीं बन सकेगा, इस लिए जम्मू क्षेत्र के साथ धोखा हुआ है |
अब जम्मू क्षेत्र से आरएसपूरा के पूर्व विधायक डा. गगन भगत की बात | उन का यह वीडियो 370 और 35 ए हटाए जाने से पहले का है , जिस में वह कह रहे हैं कि 35 ए हटने का सब से ज्यादा नुक्सान जम्मू क्षेत्र को होगा , क्योंकि बाहरी लोग जम्मू में ही जमीनें खरीदेंगे , कश्मीर कोई नहीं जाएगा , वहां जाने से सब डरेंगे | जिस कारण जम्मू में जमीनों की कीमतें बढ़ जाएँगी और उसे खरीदना स्थानीय लोगों के बस में नहीं रहेगा | जिस जमीन का रेट आज तीन लाख रूपए मरला है उसी जमीन का रेट रातों रात दस लाख रूपए मरला हो जाएगा | उन का तर्क है कि महाराजा हरिसिंह ने जम्मू के सीधे-सादे लोगों को ध्यान में रख कर ही स्टेट सब्जेक्ट लागू किया था , जिसे बाद में 1954 में 35 ए के अंतर्गत बरकरार रखा गया था | उनका यह भी कहना था कि 35 ए हटने के बाद जम्मू क्षेत्र के युवाओं में बेरोजगारी बढ़ जाएगी | इसलिए वह जम्मू के हित में व्यक्तिगत तौर पर 35 ए हटाए जाने के खिलाफ थे, इसी कारण उन्हें भाजपा से बाहर भी होना पड़ा |
पहली नजर में उन की आशंका जायज दिखाई देती है , इसी तरह की आशंका के कारण ही हिमाचल , उत्तराखंड और पूर्वोतर के सीमान्त राज्यों में बाहरी लोगों के जमीनें खरीदने पर प्रतिबंध है | दूसरी तरफ यह बात भी सत्य है कि 370 और 35 ए से महिलाओं, दलितों, आदिवासियों के साथ भेदभाव हो रहा था और संसद से पारित कई अच्छे क़ानून लागू नहीं हो रहे थे | भारत सरकार का लक्ष्य इस स्थिति को खत्म करना था , जिसमें भारत में दो संविधान और दो निशान चल रहे थे | वह स्थिति अब खत्म हो चुकी है , इस लिए अब नई आशंकाओं को दूर करने का वक्त है | जम्मू कश्मीर के जानकारों की एक आशंका यह भी है कि खाडी देशों के पैसे से कश्मीर घाटी में देश के अन्य हिस्सों के मुसलमानों ने ही बड़े पैमाने पर जमीनें खरीद ली, तो क्या होगा | रोहिंग्या मुसलमानों ने खादी देशों की मदद से जमीनें खरीद ली , तो क्या होगा | इस लिए हिमाचल और उत्तराखंड जैसे कुछ प्रावधान इस सीमान्त राज्य पर भी लागू करने पर विचार करना चाहिए , जैसे कि उत्तराखंड में बाहरी व्यक्ति 250 गज ही जमीन खरीद सकते हैं और हिमाचल में केबिनेट की मंजूरी के बिना कुछ भी नहीं खरीद सकते | प्रियंका गाधी को वीरभद्र सिंह ने केबिनेट से मंजूरी दिला कर कितना आलीशान बँगला बनवा दिया |
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