रोहिंग्या मुस्लिम, गौरी लंकेश और सेक्यूलरिज्मवादी

Publsihed: 06.Sep.2017, 21:21

मेरे एक मुस्लिम मित्र ने मुझे एक वीडियो भेजा | वह चाहता था कि मैं उसे अपने सोशल सर्किल को जारी करूँ | वीडियो म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों की दशा पर तैयार किया गया था |  कुछ मित्र कभी कभी इस्राईल के खिलाफ भी वीडियो भेजते रहते हैं | अपन को इतना ही ठीक लगा कि हत्याओं की निंदा की जाए | सो अपन ने फौरन अपनी फेसबुक वाल और ट्विटर पर म्यांमार में रोहिंग्या  मुस्लिमों की हत्याओं की निंदा की | प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी चीन से सीधे म्यांमार पंहुंच गए थे | सो अपन ने मोदी से भी अपील की कि वह म्यांमार में बात करें | मोदी म्यांमार में थे,इसीलिए भारत के  मुसलमान सक्रिय हुए थे | भारत के ये मुसलमान फलस्तीन और म्यांमार के फ़िक्र में मरे जा रहे हैं | पर इन ने कभी कश्मीरी पंडितों की दशा पर आंसू तक नहीं बहाए | केरल में सत्रह साल के वामपंथी शाषण में आरएसएस के 85 वर्कर मारे जा चुके | इन सेक्यूलर पत्रकारों की न कलम उठी, न आवाज | पर दुनिया के किसी हिस्से में मुसलमानों के साथ कुछ भी हो जाए | भारत के मुसलमान सोशल मीडिया पर फौरन सक्रिय हो जाएंगे | साथ ही वामपंथी और खुद को सेक्यूलर कहने वाले दल भी | उन की चिंता मानवाधिकार की नहीं होती | उन की चिंता मुसलमानों के वोट बैंक पर होती है | जैसे ही कोई वामपंथी नेता बोला, फौरन वामपंथी  पत्रकारों  की स्टोरियाँ आनी शुरू हो जाती हैं | फौंरन प्रशांत भूषण जैसे वकील , जो कश्मीर की आज़ादी की वकालत करते हैं | पर कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से उजाड़े जाने पर कुछ नहीं बोलते | वह भी रोहिंग्या मुसलमानों के लिए मरे जा रहे हैं | इधर गृहमंत्रालय ने सारे राज्यों को रोहिंग्या मुसलमानों की सूची बनाने को कहा | उधर प्रशांत भूषण ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका लगा दी  | याचिका में कहा गया है  कि म्यांमार के घुसपैठिये रोहिंग्या मुसलमानों को भारत से न निकाला जाए | प्रशांत भूषण की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को नोटिस दे कर पूछा | तो वामपंथी जमात की खुशी का ठिकाना नहीं रहा | मंगलवार रात को जब वामपंथी पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या हुई | तो अपन ने उस का आख़िरी ट्विट चेक किया | आख़िरी ट्विट भारट में अवैध घुसपैठियों रोहिंग्या मुसलमानों पर था | उन ने सुप्रीमकोर्ट के नोटिस पर खुशी जताई थी | अपन ने गौरी लंकेश के बारे में पढ़ना शुरू किया | कुछ देर में ही काफी कुछ जान लिया था | वह घोर हिन्दू विरोधी थी | हिन्दू विरोधी कोई स्टोरी कहीं भी छप जाए | वह फौरन मिर्च मसाला लगा कर अपनी गौरी लंकेश पत्रिके में छाप  देतीं थी | इसी चक्कर में सांसद प्रकाश जोशी पर एक स्टोरी छाप दी | प्रकाश जोशी कोर्ट में चले गए , तो गौरी लंकेश के पास कोई जवाब नहीं था | कोर्ट ने छह साल कैद की सजा सुना दी | वह जमानत पर थीं | हिन्दुओं और हिन्दू संस्थाओं से उन का कट्टर वैर था | पत्रिके का एजेंडा भी शायद यही था | बुधवार सुबह सुबह अपने एक और वामपंथी मित्र ने गौरी लंकेश पत्रिके का ताजा सम्पादकीय भेज दिया | वह रातों रात कन्नड़ से अंगरेजी और फिर अंगरेजी से हिन्दी में अनुवाद हुआ था | प्रचार की तैयारी रातों रात हुई | सारा सम्पादकीय हिन्दू विरोध, संघ-भाजपा विरोध से भरा पडा था | खैर पत्रकारिता के नाम पर अपने एजेंडे को थोंपने की भी भारत में आज़ादी है | पर सवाल है उस की हत्या का | हो सकता है किसी सनकी हिंदूवादी ने ही गौरी की हत्या कर दी हो | कर्नाटक में हिन्दू आन्दोलन अभी भी उग्र तेवरों वाला है | मेंगलूर में हिन्दू युवतियों और मुस्लिम युवकों की कई बार उग्र हिन्दूवादियों ने पिटाई की | कर्नाटक सरकार ने एसआईटी बना दी है | जो जांच में जुट गुई है | पर राहुल गांधी की जांच एजेंसी कमाल की रही | उन ने कहा कि हत्या संघ-भाजपा ने करवाई है | पर गौरी लंकेश के भाई ने कहा कि नक्सलियों से धमकियां मिल रही है | उनने कहा कि अगर राहुल गांधी को हत्यारों का पता है, तो वह बताएं | सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी की जांच एजेंसी क्यों पीछे रहती | पर सब से ज्यादा कमाल तो काली सक्रीन वाले ने किया | वह अपने जाने पहचाने भाजपा-संघ विरोधी एजेंडे पर प्रेस क्लब में भाषण देने पहुँच गए | उनने सोशल मीडिया पर उठे सवालों पर जहर उगला | वह खफा थे कि जब गौरी की हत्या हुई ,तो लोग कश्मीर का सवाल क्यों उठा रहे हैं | वे क्यों पूछ रहे हैं कि जब केरल में राजेश एड्वाकोड़े की हाथ पाँव काट कर हत्या की गई , तो हम क्यों चुप रहे | उन को इन सवालों के जवाब पहले चाहिए | अपन जानते हैं काली स्क्रीन का भी अपना एजेंडा है | इन सवालों का न कोई जवाब मिलेगा , न वे इन सवालों को उठाएंगे | पर जो उन का सवाल है, वह अपना भी है | गौरी लंकेश की हत्या पर से पर्दा उठना चाहिए | दाभोलकर और पनसारे की तरह न हो | उन हत्याओं से अभी तक पर्दा नहीं उठा | पर सेक्यूलरिज्म वालों ने लाश पर राजनीति शुरू कर दी | सवाल फिर रोहिंग्या मुसलमानों का | भारत सरकार 40000 अवैध घुसपैठियों को वापस भेजना चाहती है | एक तरफ यूपीए की तासीर वाले दल हैं | जो चाहते है कि बांग्लादेशियों की तरह इन्हें भी वोट बैंक बनाया जाए | दूसरी तरफ भाजपा की तासीर वाले एनडीए के दल हैं , जो चाहते कि भारत की एकता अखंडता सब से जरुरी है | दरअसल कई आतंकी घटनाओं में म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों के शामिल होने की खबर मिली है | इन सताए हुए लोगों को बहकाना आसान है | आतंकी संगठन इन शरणार्थियों को भड़काकर अपने साथ मिलाने की जुगत में है | यही कारण है कि सरकार इन्हें वापस भेजना चाहती है |

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