भारत को चिंता भूटान की नहीं, सिक्किम की करनी पड़ेगी 

Publsihed: 07.Jul.2017, 09:48

चीन दबाव की कूटनीति खेल रहा है | अपनी तरफ से कोई बयानबाजी नहीं हो रही | अरुण जेटली ने सिर्फ एक बयान दिया | वह भी तब, जब चीन ने 1962 की याद दिलाई | जेतली का वह एक बयान चीन पर भारी पडा हुआ है | चीन की तरफ से आए दिन बयानबाजी हो रही है | अब जी-20 में बातचीत से इनकार कर दिया | असल में चीन ने कभी सोचा नहीं था कि भारत की सेना उन के सामने आ खडी होगी | जिस तिराहे पर अपनी सेना भूटान  के साथ खडी है | उस पर अपना कभी दावा भी नहीं रहा | अलबता सिक्किम पर चीन दावा करता रहा है | चीन की ताज़ा धमकी है कि भारत की फौजें वहां से न हटी ,तो वे हटा देंगे | अपन नहीं जानते मोदी सरकार ने क्या सोच कर भूटान की मदद का फैसला किया | वह भी इतना बड़ा रिस्क ले कर | क्या भारत और अमेरिका ने मिल कर कोई रणनीति बनाई है | अमेरिका ने चीन की कम्पनियों के खिलाफ कदम उठा लिया है | चीन की कम्पनियों पर बैन लगा दिया है | चीन ने भारत के खिलाफ चाल चली तो वो खुद अकेला पड़ जाएगा | क्या सिक्किम का तनाव चीन-पाकिस्तान इकानामिक कोरिडोर पर दबाव की रणनीति का हिस्सा है | क्या भारत की रणनीति चीन को बातचीत की टेबल पर लाना है | पाकिस्तान-चीन इक्नामिक कोरिडोर के कुछ हिस्से पर भारत का दावा है | चीन ने भारत से बातचीत नहीं की | वह चीन का अब तक का सब से बड़ा प्रोजेक्ट है | 62 बिलियन डालर की लागत से बन रहा है कारीडोर | अपन ने एक रिटायर्ड विदेश सचिव से इस मुद्दे पर जानना चाहा | उन का कहना था , यूपीए सरकार ने गलती की | कारीडोर को रोकने के प्रयास बहुत पहल्रे होने चाहिए थे | तब भारत सरकार सोई रही | कश्मीर के उस हिस्से पर भारत की संसद का प्रस्ताव है | भारत को सही वक्त पर अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर मुद्दा उठाना चाहिए था | चीन तब दबाव में आता | भारत की दिलचस्पी कोरिडोर के दूसरे छोर बलूचिस्तान में भी है | भारत बलूचिस्तान की आज़ादी का समर्थन कर चुका है | चीन की फ़ौज ग्वादर पोर्ट तक पहुँच गई, तो आपरेशन बलूचिस्तान असंभव होगा | बलूचिस्तान पाकिस्तान के साथ चीन की भी कमजोरी बन जाएगा | भारत न बलूचिस्तान में सफल होगा, न कश्मीर में | कूटनीति इतनी उलझ चुकी है | भारत के दो प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और कम्युनिष्ट सिक्किम के बार्डर पर बढे तनाव से खुश हैं | खुशी की वजह है, मोदी के घिर जाने का अंदाजा | तो क्या भारत  कश्मीर के पाक बार्डर के साथ चीन के सिक्किम बार्डर पर भी फंस गया है | हिंद महासागर में भी चीन अपनी नौसेना की मौजूदगी बढ़ाने में लगा हुआ है | तो क्या पाकिस्तान और चीन मिल कर भारत को घेर रहे हैं | क्या दोनों मिल कर भारत को कमजोर करना चाहते हैं | तो क्या मोदी सरकार कश्मीर के बाद सिक्किम में भी फंस रही है | कश्मीर की जनता हाथ में पत्थर लेकर खडी है | भले ही वहां पीडीपी के साथ भाजपा साझेदार है | पर पीडीपी की मुख्यमंत्री महबूबा की भी आतंकियों से सहानुभूति जग जाहिर है | अब सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग का बयान चौंकाने वाला है | हालांकि बयान दार्जिलिंग के बिगड़े हालात पर है | ममता की बांग्ला भाषा नीति ने दार्जिलिंग में हालात बिगाड़ रखे हैं | जिस से सिक्किम में राशन तक पहुंचना मुश्किल हो गया है | चामलिंग का बयान आया है कि सिक्किम के लोग चीन और बंगाल के बीच सैंडविच बन गए हैं | सिक्किम के लोग सैंडविच बनने के लिए भारत से नहीं जुड़े थे | दार्जलिंग की समस्या के कारण सिक्किम को 60000 करोड़ का नुकसान हो चुका है | चामलिंग ने नाथुला दर्रे पर बने चीनी दबाव की बात भी कही | सिक्किम के लोग भारत-चीन के बीच हो रहे टकराव के कारण परेशानियों का सामना कर रहे हैं | चीन को तो मौका चाहिए था कि उसे कहीं से कुछ ऐसी खबर मिल जाए | उसे ये मुद्दा सिक्किम के रूप में मिल गया है | इसी मुद्दे को लेकर चीन के अखबार में खबर छपी है | अखबार में लिखा गया है कि चीन को सिक्किम की नीति के बारे में दोबारा सोचना चाहिए | अब भारत को चिंता भूटान की नहीं, सिक्किम की करनी पड़ेगी |  भारत की असली चिंता सिक्किम के आम लोगों को लेकर होनी चाहिए | सिक्किम के लोगों की बात सीएम ने की है | दार्जिलिंग के कारण कहीं सिक्किम में आक्रोश न हो जाए | इस आक्रोश का कहीं चीन फायदा न उठाए | जैसे पाकिस्तान ने कश्मीर की मुस्लिम आबादी का दिल जीत कर उन के हाथ में पत्थर दे दिए हैं | पवन चामलिंग का बयान मोदी सरकार को सोचने पर मजबूर कर देगा | स्पष्ट है कि अब चीन से ज्यादा भारत को सिक्किम की चिंता होनी चाहिए |

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