मुठभेड़ को बाटला हाऊस की तरह फर्जी मत बताना 

Publsihed: 07.Mar.2017, 21:53

क्या भारत में बम धमाकों का चुनावों से कोई सम्बन्ध है | चुनावों के समय बम धमाके होते रहे हैं | जब से नरेंद्र मोदी आए हैं, तब से तो सम्बन्ध बन ही गया | वैसे तो मध्यप्रदेश में अपन कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में भी बमबाजी देख चुके हैं | नरेंद्र मोदी जब अक्टूबर 2013 में पटना रैली करने गए तो धमाके हुए | सात धमाकों में 6 लोग मरे थे | अब जब यूपी के आख़िरी दौर का चुनाव है | तो मध्य प्रदेश में ट्रेन को बम से उड़ाने की कोशिश हुई | पर मध्यप्रदेश के ट्रेन बम धमाकों का यूपी से सीधा रिश्ता पाया गया है | । मध्य प्रदेश शाजापुर में मंगलवार सुबह ट्रेन में बम फटा |  भोपाल-उज्जैन पैसेंजर उज्जैन की तरफ जा रही थी । कालापीपल में जबड़ी स्टेशन के पास ट्रेन में जोर का धमाका हुआ । मध्य प्रदेश के गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने जब आतंकवाद की घटना बताई | तो पहली नजर में भरोसा नहीं हुआ | पिछले साल के आखिर में कई ट्रेन दुर्घटनाएं हुई थी | तो आतंकियों की नई तरकीब का खुलासा हुआ था | आतंकियों ने कभी साईकिल बम चलाए थे | कभी स्कूटर बम चलाए | फिर घड़ियों में बम बना कर रखे गए | अब ट्रेनों को बमों का शिकार बनाया जा रहा | वैसे पहले मुम्बई में ट्रेनों को शिकार बनाया गया था | मुम्बई की बात चली तो अपन बताते जाएं | बाबरी ढांचा टूटने के बाद दाऊद इब्राहिम के गैंग ने कैसे कहर धाया था | बारह जगह पर एक साथ वाहन बम धमाके हुए थे | वाहनों में विस्फोटक भर कर खड़े कर दी गए थे | एक ही दिन 12 जगह पर 257 लोग मार दी गए | कहते हैं , वह इस्लामिक आतंकवाद नहीं था | इन्हीं बम धमाको के दोषी याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन को फांसी हुई थी | तब लाखों मुसलमान जनाजे में शामिल हुए  | याकूब की बहन रुबीना सुलेमान मेमन अभी भी जेल में है | रुबीना मुंबई हमले के मुख्य साजिशकर्ता टाइगर मेमन के भाई की पत्नी है । टाईगर पाकिस्तान में छिपा बैठा है | कोर्ट ने जब आतंकवाद की उस वारदात का फैसला सुनाया |  तो फैसले में यह अजीब-ओ-गरीब तर्क दिया था -" मौत की सजा का सामना कर रहे 10 अन्य दोषी समाज के कमजोर वर्ग के हैं | उनके पास रोजगार नहीं था  | इसलिए वे षड्यंत्रकारियों के ‘गुप्त इरादों’ के शिकार बन गए । आतंकवाद से निपटने की अपनी ऐसी मानसिकता अपन को कभी सफल नहीं होने देगी | फिर अक्टूबर 2005 में अपन ने दिल्ली के बाजारों में जोरदार धमाके सुने | इन धमाकों में में भी 66 लोग मारे गए थे | फिर 2006 में बनारस में बम फूटे | वह भी कहीं और नहीं, काशी विश्वनाथ मंदिर के सामने | पन्द्रह लोग उस में भी मारे गए थे | फिर 11 जुलाई, 2006 मुंबई के रेलवे स्टेशनों और लोकल ट्रेनों में सात बम धमाके हुए | इन धमाकों मेंभी 180 से ज्यादा  लोगों की मौत हुई । मालेगाँव में एक मस्जिद के पास धमाकों में 32 लोगों की मित फिर 2007 में समझौता एक्सप्रेस में धमाके से 66 की मौत | हैदराबाद में जुमे की नमाज के समय मस्जिद में बम फटने से 11 की मौत । हैदराबाद में ही मनोरंजन पार्क और सड़क किनारे के ढाबे में तीन धमाको में 40 की मौत । जयपुर के साईकिल बम धमाको में 67 की मौत । अहमदाबाद में 21 बम धमाकों में 76 की मौत । और वह 26/11 जिस में 160 लोग मरे थे | अभी कल की ही तो बात है | जब पाकिस्तान के तब के एनएसए ने पाक का हाथ होने की बात कबूल की |  अपन दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर हुए धमाकें और  हैदराबाद में दिलसुखनगर धमाके भी नहीं भूले | और अब इन पाकिस्तानियों या पाकिस्तान के भारतीय आतंकियों ने नया तरीका निकाल लिया | ट्रेनों का एक्सीडेंट करने का | आतंकवाद की वारदात ही न लगे और काम भी हो जाए | पिछले साल अक्टूबर से दिसम्बर तक लगातार दुर्घटनाएं हुई ,तब जा कर शक हुआ | जांच में पता चला कि भारतीय रेल आईएसआई के निशाने पर है | एनआईए ने बलराम की गिरफ्तारी के बाद खुलासा किया था । उसी की निशानदेही पर आईएसआई का खास गुर्गा शमसुल हुदा दुबई के गिरफ्तार हुआ | उस ने भारत में आईएसआई के कहने पर ट्रेन हादसों को अंजाम देने की बात कबूल की | फिलहाल शमसुल हुदा तो नेपाल पुलिस की गिरफ्त में है । पर उस के बनाए स्लीपिंग सेल अपना काम कर रहे | भारत के आतंकवाद की सब से बड़ी भारतीय स्लीपिंग सेल हैं | जिन की अमेरिकी राष्ट्रपति ने तो पहचान कर ली | पर भारत के बुद्धिजीवी भारत में उन के पहचान नहीं होने देते | भारत के टुकडे करने वालों के समर्थक खुले आम घूम रहे | टीवी चेनलों पर उन के समर्थन में बहस कर रहे |  जेएनयूं  में ऐसे बुद्धीजीवी भरे पड़े हैं | और दिल्ली यूनिवर्सिटी भी कम नहीं | कई गुरमेहेरें  दिल्ली यूनिवर्सिटी में भी पनप रही | उस बस्तर में नक्सलियों के समर्थक साईंबाबा को तो मंगलवार को ही सजा हुई | पर आप देखना | अब स के समर्थन में मोमबत्तियां जलाई जाएँगी |  पर बात मगलवार को शाजापुर में हुए धमाके की | तीन मध्यप्रदेश में पकडे गए | दो कानपुर में पकडे गए | और आख़िरी को लखनू में पकड़ने गए | तो पुलिस को वैसे ही मुठभेड़ का सामना करना पडा | जैसे दिल्ली के बाटला हाऊस में करना पडा था | जिसे लम्बे समय तक कांग्रेस फर्जी मुठभेड़ बताती रही | 

आपकी प्रतिक्रिया