यूपी में मोदी की हार की मन्नत मांगते विरोधी

Publsihed: 06.Mar.2017, 21:04

चुनाव का शौर ख़त्म हुआ | बुधवार को सातवें और अंतिम चरण में वोट पड़ेंगे | यूपी के 7 जिलों की 40 सीटों पर मतदान होगा । इस सातवें चरण में पूर्वी उत्तर प्रदेश के सात जिलों में वोट पड़ने हैं | भदोही, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र और वाराणसी | नरेंद्र मोदी को आख़िरी दिन दो-दो रैलियाँ करनी पडी | पांच राज्यों का  चुनाव प्रचार निम्न स्टार के कई उदाहरण स्थापित कर गया | मोदी विरोधियों का अपना तर्क है | मोदी समर्थनों का अपना | मोदी विरोधी मानते हैं कब्रिस्तान- शमशान घाट वाला जुमला साम्प्रदायिक वोट अपील थी | जो निम्न स्तर की थी | मोदी मने यह जुमला अखिलेश सरकार को मुस्लिम परस्त बताने के लिए बोला | मोदी समर्थक इस जुमले को हकीकत बताने के तर्क देते रहे | पर घटिया जुमले के मामले में अखिलेश ने भाषा की मर्यादाएं तोड़ दी | उन ने मोदी और अमित शाह को गधा तक कह डाला | अखिलेश ने अमिताभ बच्चन के एक पुराने वीडियो विज्ञापन को मोहरा बनाया | जो अब चल भी नहीं रहा | किसी मसखरे ने अखिलेश को चंडूखाना पेल दिया | और उन ने बिना सोचे मंच से बोल दिया | राजनीति क्या इतनी गंदी हो जाएगी | लोग अखिलेश की तारीफ़ करते नहीं थकते थे | अपन खुद दो बातों को ले कर अखिलेश के प्रशंसक हो गए थे | एक बात थी, उन का किसी भी स्थिति में सौम्य बना रहना | दुसरी बात थी , खुद को यादववाद  से बाहर निकालना | हालांकि इस में अखिलेश से ज्यादा ठाकुर परिवार से आई पत्नी डिम्पल की भूमिका थी |  पर चुनाव के आख़िरी दौर में अखिलेश यादववाद पर सवार रहे | गधे वाले जुमले से अखिलेश ने अपनी बनी बनाई इमेज का बंटाधार कर लिया |  क्या यह सोहबत का असर था या अरविन्द केजरीवाल के राजनीति में आने का असर है | जो हर रोज ट्विटर पर प्रधानमंत्री के खिलाफ ओछी भाषा में टिप्पणियाँ कर रहे | अखिलेश को तो यह भी नहीं पता था कि बच्चन ने जो विज्ञापन किया था | उसमें दिखाए गए गधे नहीं थे | इन जीवों को गधा नहीं, घुडखर कहा जाता है | ये कच्छ के रण में पाए जाते हैं | दुनिया में और कहीं नहीं पाए जाते | इस लिए गुजरात के पर्यटन का मुद्दा बनते हैं |  घुडखर यानी गधे और घोड़े के बीच का जीव | घुड़खर पूरी दुनिया में सिर्फ कच्छ के छोटे रण में ही बचे हैं | धरती पर इन सुंदर प्राणियों का अस्तित्व बना रहे | इसलिए इन्हें भारतीय वन्य पशु संरक्षण कानून 1972 के तहत शेड्यूल 1 प्राणी की श्रेणी में रखा गया है | यानी वो प्राणी, जो लुप्त होने के बिल्कुल कगार पर हैं  | और इन्हें बचाने की हर संभव कोशिश की जानी चाहिए | अगर अमिताभ बच्चन ने इनके बारे में "खूशबू गुजरात की" कैंपेन में बताया | तो अखिलेश को  भला इसमें क्या बुरा लगा |  जो उन ने कह दिया कि अमिताभ बच्चन गुजरात के गधों का प्रचार न करें | गुजरात के घुडखारों से अखिलेश की क्या दुश्मनी हो सकती है | नहीं, घुडखरों से नहीं | अखिलेश की दुश्मनी मोदी से है, अमित शाह से है, घुडखर तो बेचारे मोहरा बने | किसी को समझने में दिक्कत नहीं हुई कि अखिलेश ने गधा किसे कहा | खुद नरेंद्र मोदी ने भी समझ लिया |मोदी और अमित शाह को ही तो गुजरात के गधे कहा था | अब यूपी की जनता को तय करना है कि चुनाव में दो गधों की जोड़ी कौन सी थी | मोदी शब्दों के साथ खेलने के खिलाड़ी तो हैं ही | उन ने तो खुद को  जनता का गधा बता कर अखिलेश को बुरा फंसा दिया | उस के बाद अखिलेश को जवाब नहीं सूझा | तो क्या यह गधे वाला जुमला प्रशांत किशोर ने अखिलेश को दिया था | इस जुमले से अखिलेश को चुनाव में फायदा हुआ या नुकसान ? कब्रिस्तान वाले मोदी के मुद्दे से बीजेपी को फ़ायदा हुआ या नुकसान ? चुनाव नतीजों के बाद जरूर समीक्षा होगी | पर आखिर के तीन दौर के चुनावों को  नरेंद्र मोदी ने इज्जत का सवाल बना कर लड़ा | किसी प्रधानमंत्री ने किसी एक जिले में तीन दिन कभी नहीं लगाए | संसद के गलियारों में मोदी विरोधी इसे मोदी की बौखलाहट बता रहे | पर ऐसा कहने वाले सच मुच चुनाव का इतिहास नहीं जानते | इंदिरा गांधी ने 1971 में बांग्लादेश की जंग जीती थी | इस के बावजूद वह एक सीट पर घर-घर गयी थी | फिर भी वह सीट कांग्रेस हार गयी थी | पर मोदी वाराणसी में हारे , तो राजनीतिक रूतबा जरूर घटेगा | यूपी हारे, तो भी घटेगा | लोकसभा चुनाव में बीजेपी 333 विधानसभा सेगमेंट जीती थी | अब अगर 202 भी नहीं आती | तो बिहार-दिल्ली दोहराव ही माना जाएगा | इसी उम्मींद में बैठे हैं मोदी विरोधी | और खुदा से मन्नत भी यही मांग रहे हैं | 

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