राहुल फिर भारत तोड़ों गैंग के चंगुल में 

Publsihed: 05.Jan.2018, 21:24

अजय सेतिया / नक्सलियों,वामपंथियों ने दलितों और मुसलमानों को उकसाना शुरू कर दिया है | देश 1947 जैसे तनाव के मुहाने पर खड़ा है | सॉफ्ट हिदुत्व के सही रास्ते पर लौटी कांग्रेस फिर भटकती हुई दिखाई दे रही है | लोकसभा में तीन तलाक का समर्थन करने वाली कांग्रेस राज्यसभा में पलट गई | बुधवार को जब लोकसभा में कांग्रेस ने समर्थन किया था | वीरप्पा मोईली ने मीडिया को बताया था-" हमने लोकसभा में इस लिए विरोध नहीं किया ताकि हमें मुस्लिम महिलाओं के विरोध में न समझा  जाएं |" पर कांग्रेस ने लोकसभा की सारी कमाई राज्यसभा में गँवा दी | राहुल गांधी ठीक उसी तरह मुस्लिम कट्टरपंथीयों के दबाव में आ गए | जैसे उन के पिता राजीव गांधी शाहबानों मामले में दबाव में आए थे | कांग्रेस की हठधर्मिता से राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास नहीं हुआ | भाजपा की रणनीति बिल को कांग्रेस और समूचे विपक्ष के हाथों पिटवाने की थी | ताकि मुस्लिम महिलाओं में कांग्रेस को बदनाम किया जा सके | फिर कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले ज्वाईंट सैशन में बिल पास करवाने की रणनीति थी | पर आनन्द शर्मा ने सलेक्ट कमेटी का प्रस्ताव पेश कर गुगली चल दी | जिस पर मोदी की गुगली पिट गई | अपन ने शुक्रवार को छपे कालम में लिखा था-" अब देखना होगा कि शुक्रवार को सरकार सलेक्ट कमेटी के प्रस्ताव से कैसे निपटेगी | तीन तलाक का बिल राज्यसभा से नामंजूर न हुआ तो ज्वाईंट सेशन कैसे होगा | " अपनी आशंका सही निकली | शुक्रवार को सरकार सलेक्ट कमेटी के प्रस्ताव से नहीं निपट पाई | अब जब तक बिल राज्यसभा में पिटेगा नहीं ,तब तक ज्वाईंट सेशन की संभावना नहीं बनती | संसदीय कार्यवाही के चतुर खिलाड़ी आनन्द शर्मा ने खुद को चतुर समझने वाले मोदी को निपटा दिया | मोदी अगर अपने अनुभवी भाजपाई सांसदों-मंत्रियों से सलाह नहीं लेंगे , तो ऐसे ही होगा | बिना तीन तलाक पास हुए सत्रावसान हो गया | हालांकि राहुल गांधी की ट्विटर टीम अच्छा मसाला परोस रही है | जैसे शुक्रवार को सत्रावसान होते ही राहुल के ट्विटर से मोदी पर काव्यात्मक हमला हुआ -" बीत गए चार साल,नहीं आया लोकपाल, जनता पूछे एक सवाल, कब तक बजाओगे 'झूठी ताल'?" पर शीत सत्र में कांग्रेस तीन तलाक पर बदनामी ले कर निपटी है | सिर्फ इतना ही नहीं | राहुल गांधी फिर से रोहित वैमूला और कन्हैया-उमर खालिद ब्रिगेड के जाल में फंस रहे हैं | भारत के टुकड़े करने की इच्छा पालने वाले इन दोनों तरह के आंदोलनों में नक्सलियों वामपंथियों का हाथ था | यह कौरेगांव के मंच पर बैठे लोगों से फिर जाहिर हुआ | अब यही ब्रिगेड 9 जनवरी को दिल्ली में फिर भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगाएंगी | महाराष्ट्र में दंगा करवा कर गायब हुए जिग्नेश मवानी शुक्रवार को दिल्ली में प्रकट हुए |  महाराष्ट्र की पुलिस जिग्नेश को एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशनों पर ढूंढ रही थी | पर राहुल के दफ्तर की टीम जिग्नेश को दिल्ली के प्रेस क्लब में ले कर पंहुच गई | प्रेस से मिलने का सारा इंतजाम कांग्रेस ने किया था | भाजपा की परेशानी यह है कि प्रेस क्लब आफ इंडिया मोदी विरोधियों का अड्डा बनता जा रहा है | चाहे वह एनडीटीवी का मामला हो , चाहे वह रोहित वैमूला का मामला हो , चाहे गौरी लंकेश का मामला हो | या फिर चाहे अब महाराष्ट्र से छुपते-छुपाते भाग कर आए जिग्नेश का मामला हो | इस दौरान प्रेस क्लब ने कभी भाजपा के किसी बड़े नेता को नहीं बुलाया | पर जिग्नेश मवानी ने दिल्ली आ कर महाराष्ट्र के बायस्ड मीडिया की पोल खोल दी | उन ने विपक्षियों का सिद्ध किया कि दिल्ली का मीडिया मोदी के हाथों बिक गया है | पढ़िए मेवाणी ने कहा -" मेरे खिलाफ केस दर्ज करना सरकार की बचकाना हरकत है | मैं भीमा कोरेगांव गया ही नहीं हूं और ना ही मैंने कोई भडकाऊ भाषण दिया | इतना ही नहीं जो बंद बुलाया गया था उसमें मैंने भाग लिया ही नहीं लिया | तो मेरे चलते हिंसा कैसे हुई | गुजरात में संघ परिवार और बीजेपी का घमंड टूटा है | इस लिए मुझे टारगेट किया गया |" अगर ऐसा है तो महाराष्ट्र पुलिस की ऍफ़आईआर का क्या होगा | महाराष्ट्र सरकार ही क्यों, मीडिया भी तो कटघरे में होगा | मीडिया में जिग्नेश का एक वीडियो चल रहा है , जिस में वह कह रहा है -" फैसला सड़कों पर होगा |" जिग्नेश ने प्रेस क्लब में इसी वीडियो में कही बात पर सफाई देते हुए कहा-"  मैं ख़ुद पेशे से वकील हूं और मैंने कानून के दायरे में रह कर ही काम किया है और मेरे ऊपर मुकद्दमा दर्ज होने से किसी की भी भावनाएं आहत हुई हैं तो मैं अपील करता हूं कि लोग सड़कों पर न उतरें |" सच अभी सामने आना बाकी है | जिग्नेश ने महाराष्ट्र पुलिस के साथ मीडिया को भी कटघरे में खड़ा किया है | अगर जिग्नेश कौरेगांव गए ही नहीं , मीडिया ने उन का कोई पुराना वीडियो इस्तेमाल क्यों किया | जिस जिस मीडिया ने जिग्नेश का वह वीडियो दिखाया | क्या उस मीडिया पर भी दंगा भड़काने का केस दर्ज नहीं होना चाहिए | पर अपना सवाल दूसरा है | जिस की बात अपन ने शुरू में की थी | राहुल गांधी क्यों खुद भटक रहे हैं और क्यों कांग्रेस को भटका रहे हैं | वह अच्छा खासा जातीय और साम्प्रदायिक राजनीति से बाहर आए थे | उन के पास तो अच्छा मौक़ा था राम मंदिर की धुन बजाने का | दो-चार महीनों में राम जन्मभूमि का फैसला आने ही वाला है | राममन्दिर के पक्ष में फैसला आने पर बस उन्हें उतना ही तो कहना है -" मंदिर के दरवाजे उन के पिता राजीव गांधी ने खुलवाए थे |" कांग्रेस के दो दशक के मुस्लिम परस्ती के पाप धुल जाएंगे | पर वह गुजरात में  हिंदुत्व पर लौट कर फिर भटक रहे हैं | वह कट्टरपंथी मुस्लिमों और भारत तोड़ो जेएनयू ब्रिगेड के जाल में फंस रहे हैं | 

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