बस्तर और घाटी में बच्चो का दुरूपयोग 

Publsihed: 04.May.2017, 23:33

मोदी सरकार दो मुद्दों पर मुश्किल में है | अपन ने लगातार ये दोनों मुद्दे उठाए | दो मुद्दे हैं आतंकवाद और नक्सलवाद | या ये खो कि बस्तर और कश्मीर घाटी में मोदी सरकार विफल हुई है | इस विफलता को मानना चाहिए | भले ही भाजपा के नेता सार्वजनिक तौर पर नहीं मानते | अंदरूनी बैठकों में मोदी तक सन्देश पहुंचाया जा रहा है | सुझाव भी दिए जा रहे हैं | सरकार ने पिछली गलतियों से सबक सीखा है | तीन दिन तक दोनों मुद्दों पर जमकर मंथन हुआ | बस्तर मुद्दे पर गृहमंत्रालय स्तर पर आधा दर्जन से ज्यादा बैठकें हुई | हर स्तर से जानकारियाँ हासिल की गई | बस्तर में खुफिया तंत्र को मजबूत किया गया | पुराने सूत्र खंगाले गए | नक्सलियों से भी सम्पर्क किया गया | नतीजतन गुरूवार को सकारात्मक नतीजा दिखने लगा | झारखंड में दो नक्सलियों ने गुरुवार को पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया | इनमें से एक  नकुल यादव नक्सलियों का जोनल कमांडर है | वह बिहार और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय था | नकुल यादव पुलिकर्मियों की हत्या सहित नक्सली गतिविधियों के 70 से अधिक मामलों में वांछित था | सीआरपीएफ , छतीसगढ़  और झारखंड पुलिस ने संयुक्त अभियान चलाया | नकुल ने गुरुवार सुबह अपने साथी मदन यादव के साथ आत्मसमर्पण कर दिया | वह नक्सलवादियों में बच्चों को भर्ती करने का एक्सपर्ट माना जाता था | हालांकि उसने कहा है कि बच्चे अपनी इच्छा से नक्सली संगठन में शामिल हो रहे हैं | बच्चो का इस्तेमाल नक्सली भी कर रहे हैं | कश्मीर में आतंकी भी कर रहे हैं | बच्चो के सशस्त्र विद्रोह में दुरूपयोग पर अपन आगे चल कर लिखेंगे | फिलहाल मोदी की मुश्किल वाले दूसरे मुद्दे की बात | जवानों पर पत्थराव की घटनाओं से देश गुस्से में था ही | दो सैनिकों का सर काटे जाने की घटना ने गुस्सा बढ़ा दिया है | अब यह गुस्सा नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ है | मोदी सरकार के दो बड़े मंत्रियों की जवाबदारी बढ़ गई है | कश्मीर और बस्तर की समस्या तो सीधे गृहमंत्री राजनाथ सिंह से जुडी है | वह आज कल दिन रात मीटिंगों में जुटे हुए हैं | सलाह, समीक्षा और आदेश | सर काटे जाने की घटना ने अरुण जेटली की नींद उड़ा रखी है | मनोहर पर्रीकर के गोवा का सीएम् बन कर जाने के बाद वह रक्षा मंत्री भी हैं | पिछले  दिनों संसद के सेंट्रल हाल में जेटली पत्रकारों से बतिया रहे थे | किसी ने कहा, जीएसटी के बाद आप के पास वित्त मंत्रालय में कोई काम नहीं बचेगा | इस पर जेटली ने कहा था कि वह रक्षा मंत्रालय पर ध्यान देंगे | अब अचानक उन की जवाबदेई बढ़ गई है | सेना, विदेश मंत्रालय ने सर काटे जाने के लिए पाकिस्तान को कटघरे खडा किया है | पाकिस्तान ने आज तक कोई अपराध माना है क्या, जो अब मानती | वैसे अपने विदेश मंत्रालय ने ब्लड ट्रेल का सबूत दिया है | पाकिस्तान के इंकार पर जेटली से पूछा गया , तो उन का जवाब भी यही था | पर लाख टके का सवाल यह है कि भारत की जवाबी कार्रवाई क्या होगी,कब होगी  | मंगलवार को अपने न्यूज चेनलों ने रात को जवाबी कार्रवाई की फर्जी खबर चलाई थी | जिस का पहली बार अपनी सेना ने खंडन किया | पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई तो होगी, क्या होगी, किस तरह की होगी | सेनाध्यक्ष ने अब के कोई बयान नहीं दिया | वह बोले, हम कार्रवाई करने के बाद बताएंगे | देश की जनता इस का बेसब्री से इन्तजार कर रही है | इस बार सुरक्षा बलों ने रिएक्शन नहीं दिया, एक्शन लिया | शायद फिलहाल सेना की प्राथमिकता पाकिस्तान से घुस आए आतंकियों को निपटाना है | उन्हें नहीं निपटाया, तो मुठभेड़ें बढेंगी | मुठभेड़ें बढेंगी , तो बच्चे आताकियों के बचाव में सेना पर पत्थर फेंकेंगे | इसलिए जैसे बुधवार रात छतीसगढ़ और झारखंड में आपरेशन शुरू हुआ | वैसे ही घाटी में भी बुधवार रात आपरेशन शुरू हो गया | कई वीडियो सामने आए थे जिनमें आतंकी शोपियां और पुलवामा ज़िले के जंगलों में आराम से घूमते हुए दिखे थे |  सेना की प्राथमिकता है आतंकियों को उनके छुपे हुए इलाक़ों से निकलना | बुधवार रात इन दोनों ज़िले में सुरक्षाबलों का बड़ा एंटी-टेरर ऑपरेशन शुरू हुआ |  3,000 सैनिक आपरेशन में शामिल हैं | सीआरपीएफ और पुलिस के जवान इस ऑपरेशन में शामिल हुए | दो दर्जन से ज़्यादा गांवों और जंगलों में की घेरा बंदी की गई है | यह अब तक का सब से बड़ा सर्च अभियान है | पत्थर ब्रिगेड को जैसे ही पता चला, उन ने पत्थराव शुरू कर दिया | विरोध प्रदर्शनों में लडकिया भी शामिल हुई , पर गुरूवार को पत्थरबाज़ काबू कर लिए गए | कश्मीर की ताज़ा समस्या घाटी के बच्चो की ओर से सेना पर पत्थराव करने की है | आतंकवादियों से मुठभेड़ें तो पिछले तीन दशक से चल रहीं थी | आतंकवादियों ने जब से बच्चो का इस्तेमाल शुरू किया , तब से समस्या ने नया रूप ले लिया |  युद्ध और टकरावों में बच्चों का दुरूपयोग अंतर्राष्ट्रीय कवेंशन का उलंघन है. | मानवाधिकारों से सम्बंधित  जिनेवा की 1949 कन्वेंशन तो मशहूर है | उसी कन्वेंशन में 1977 में बच्चों से सम्बंधित चैप्टर जोड़ा गया था | जिस में कहा गया कि दुनिया का कोई देश 15 साल से कम उमर के बच्चों को सेना में भर्ती नहीं करेगा | सरकार विरोधी सशस्त्र विद्रोहियों पर भी बच्चो के इस्तेमाल को अंतर्राष्ट्रीय अपराध माना गया | बारह साल बाद 1989 में  बच्चों से सम्बंधित संयुक्त राष्ट्र का पहला प्रोटोकाल बना | इस प्रोटोकाल में बच्चों की उम्र 18 साल तय की गई | प्रोटोकाल में कहा गया कि युद्ध और सशस्त्र विद्रोह में 18 साल से नीचे के बच्चों का किसी भी सूरत में इस्तेमाल न हो | सन 2000 में ओपेक का अंतर्राष्ट्रीय समझौता हुआ | जिस में स्पष्ट किया गया कि किसी भी तरह के सशस्त्र युद्ध में बच्चो का इस्तेमाल अपराध माना जाएगा | सरकारी सेनाओं में 16 साल से ऊपर के बच्चों को भर्ती करने की छूट दी गई | पर सपष्ट किया गया कि 18 साल पूरे होने तक वे युद्ध के मैदान में नहीं भेजे जा सकते | कश्मीर में पाकिस्तान और बस्तर में नक्सली बच्चो का दुरूपयोग कर रहे हैं | यह अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों का उलंघन है | जेएनयू, डीयू  और जाधवपुर विश्वविधालयों में बैठे नक्सलियों और आतंकियों के समर्थक बच्चों के मुद्दे पर नहीं बोलते | 

 

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