साजिश के दागों में दम कहां है  

Publsihed: 30.May.2017, 23:16

अपन आज फिर 1992 से ही शुरू करते हैं | छह दिसम्बर 1992 को बाबरी ढांचा ढहा था | मुसलमान और सेक्यूलर किस्म के लोग उसे बाबरी मस्जिद कहते हैं | हिन्दू उसे मंदिर का खंडहर कहते हैं | जिस पर भव्य मंदिर बनाने के लिए ढांचा तोड़ा गया | जो ढांचा टूटा है, वह मंदिर था, या मस्जिद यह विवाद तो 1948 से ही कोर्ट में था | इस लिए मंदिर कहना हिन्दुओं के साथ होना माना जाएगा | मस्जिद कहना मुसलमानों के साथ होना माना जाएगा | सेक्यूलर किस्म के बुद्धिजीवी बिना तर्क के मस्जिद कहते हैं | अपन उसे तब तक बाबरी ढांचा ही कहेंगे , जब तक कोर्ट मल्कियत तय न कर दे | खैर ढांचा टूटा, तो दो ऍफ़आईआर दर्ज हुई | एक ऍफ़आईआर कार सेवकों के ख़िलाफ़ थी,जो ढाँचे पर चढ़ गए थे | दूसरी ऍफ़आईआर ढाँचे से 200 मीटर दूर मंच पर मौजूद नेताओं के खिलाफ थी | कारसेवको वाली  ऍफ़आईआर पर लखनऊ की विशेष अदालत में सुनवाई हुई | दूसरा नेताओं वाला मामला रायबरेली कोर्ट में गया | एक की जांच सीबीआई को दी गई  | दूसरी ऍफ़आईआर की जांच यूपी सीआईडी को दी गई | मंच पर बैठे नेताओं में से 13 नेताओं के ख़िलाफ़ 1993 में आपराधिक साज़िश की धारा 120 लगा दी गई | तब आरोपियों ने हाइकोर्ट में दोनों मामलों को लखनऊ कोर्ट ट्रांसफ़र करने की अर्ज़ी दी | आठ साल बाद 2001 में हाईकोर्ट ने रायबरेली का केस लखनऊ ट्रांसफ़र करने से इनकार कर दिया | मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा , तो सुप्रीमकोर्ट ने हाइकोर्ट का फ़ैसला बरक़रार रखा | फिर रायबरेली कोर्ट ने नेताओं पर लगी आपराधिक साज़िश की धारा 120 हटा दी | हाइकोर्ट ने भी रायबरेली की ट्रायल कोर्ट के फ़ैसले को बरक़रार रखा | यानि ढांचा तोड़ने की पहले से रची गई साजिश का कोई मामला नहीं बनाता | तब दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी | दो जगह हारी सीबीआई 2011 में सुप्रीम कोर्ट चली गई | छह साल सुप्रीम कोर्ट ने कोई फैसला नहीं किया | जब नरेंद्र मोदी की रहनुमाई में एनडीए की सरकार बन गई | तब 2015 में हाजी महमूद ने भी सुप्रीमकोर्ट  में अर्ज़ी लगा दी | अब जब राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव तीन महीने दूर था | तब 19 अप्रैल 2017 को सुप्रीमकोर्ट ने कहा  कि आपराधिक साज़िश का मामला चलेगा | जिन पर आपराधिक साजिश रचने का मामला है वे 13 लोग थे | इन में कल्याण सिंह अब गवर्नर हैं, सो उन पर मुकद्दमा नहीं चल सकता | लालकृष्ण आडवाणी के राष्ट्रपति बनाने की चर्चा थी |  मुरली मनोहर जोशी के उपराष्ट्रपति बनाने की चर्चा थी | ये दोनों उन 13 लोगों में शामिल हैं | उमा भारती अभी मंत्री है, चार्जशीट उन का मंत्री पद ले सकता है | वह पहले भी कर्नाटक के राष्ट्रीय ध्वज केस में चार्जशीट होने पर मध्यप्रदेश का सीएम पद गवा चुकी हैं | अशोक  सिंघल अब इस दुनिया में नहीं रहे | बाकी बचे विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, विष्णु हरि डालमिया, रामविलास वेदांती, महंत नृत्य गोपाल दास, चंपत राय बंसल और बैकुंठलाल शर्मा प्रेम | तो सुप्रीमकोर्ट के निर्देशानुसार मंगलवार को लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में पेशी हुई | आडवाणी लखनऊ पहुंचे तो मुख्यमंत्री योगी ने अगवानी की | सेक्यूलर तो इसी बात पर जल भुन गए | खैर कोर्ट ने सभी 12 पर साजिश की चार्जशीट दुबारा लगा दी | पर उस से पहले जमानत हो गई | जमानत मिलते ही केस को खारिज करने की याचिका लग गई | जैसे ही केस खारिज करने की याचिका लगी | सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर सेक्यूलर जमात का प्रलाप शुरू हो गया | सब को बरी करवाने की साजिश तक की भविष्यवाणी होने लगी | पर सीबीआई कोर्ट केस खारिज कैसे कर सकती थी | सुप्रीमकोर्ट ने तो चार्ज फ्रेम करने और दो साल में फैसले को कहा है | असल में यह अदालत की प्रक्रिया को तेज करने के लिए किया गया था | हाथों हाथ बड़ा काम हो गया | कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी | अब मामला एक-आध दिन में ही हाई कोर्ट की दहलीज पर होगा | उसी हाईकोर्ट की दहलीज पर , जिस ने पहले ही कह रखा है कि ढांचा तोड़ने की साजिश का कोई मामला नहीं बनता | कहीं हाईकोर्ट वैसा ही फैसला तुरत-फुरत फिर न सुना दे | साजिश के सबूत 25 साल तक तो किसी को मिले नहीं | जितनी भी गवाहियां हुई, सब फर्जीवाड़े की गप थी | इसी लिए हाईकोर्ट ने साजिश का आरोप खारिज किया था | वैसे लगता तो नहीं | पर क्या पता, राष्ट्रपति चुनाव से पहले ही हाईकोर्ट फिर साजिश का दाग धो दे, तो | इतना सब हो जाने के बाद आडवाणी का राष्ट्रपति बनना आठवाँ आश्चर्य ही होगा | संघ अभी भी जिन्ना प्रकरण भूला नहीं है | दावा मुरली मनोहर जोशी का भी कम दमदार नहीं | वह भी पूरा जोर लगाए हुए हैं | जोशी जब भाजपा के अध्यक्ष थे | तब उन ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक यात्रा की थी | जैसे आडवाणी की रथयात्रा में प्रमोद महाजन उन के सारथी थे | उसी तरह नरेंद्र मोदी कन्याकुमारी से कश्मीर तक जोशी के सारथी थे | 

 

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