यूरोपियन सांसदों के विरोध से किसे फायदा हुआ

Publsihed: 31.Oct.2019, 14:13

अजय सेतिया / भारत की विपक्षी पार्टियां सरकार और देश के बीच अंतर नहीं कर पा रहीं | इस लिए वे बिना सोचे समझे सरकार के हर कदम का विरोध कर रही हैं | वे उन संस्थाओं का भी विरोध करने लगती हैं , जो देश के हित में कुछ कर रहे हों | अब मधु शर्मा नाम की एक महिला , जो नरेंद्र मोदी या भाजपा के नजदीक बताई जाती है , ने कश्मीर मसले पर विदेशों में भारत के पक्ष में लाबिंग करने के लिए एक पहल की | वह एक एनजीओ चलाती हैं , जिस का नाम है वीमन्स इकनामिक एंड सोशल थिंक टैंक | इस सन्गठन ने एक अन्य संस्था इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फार नान-एलाइन्ड स्टडीज के साथ बात की और यूरोप के कुछ सांसदों को भारत बुला कर उन्हें कश्मीर का दौरा करवाने की रणनीति बनाई , ताकि वे अपने अपने देशों में जा कर भारत का पक्ष रख सकें , जिस से वहा चल रहे पाकिस्तानी प्रचार का मुकाबला हो सके | हकीकत यह है कि पाकिस्तान अपने इस्लामिक नेटवर्क के माध्यम से दुनिया भर में यह जहर फैला रहा है कि भारत कश्मीर में मुसलमानों पर जुल्म ढा रहा है , उन के मानवाधिकारों का हनन हो रहा है , कश्मीर में 11 लाख फ़ौजी बैठे हुए हैं , जिन्होंने कश्मीरियों की आज़ादी का हनन किया है | यह सब कुछ वह इस के बावजूद कर रहा है कि न तो संयुक्त राष्ट्र ने उस की बात पर यकीन किया , न संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने |

अब अगर किसी ने भारत के हित में ऐसी योजना बनाई कि पाकिस्तानी प्रचार का मुकाबला करने के लिए विदेशी सांसदों को ही अपने पक्ष में उतारा जाए , तो इस में बुराई क्या थी | स्वाभाविक है कि मधु शर्मा ने नरेंद्र मोदी के सामने प्रस्ताव रखा होगा , उन से अनुमति ली होगी कि जब यूरोपियन देशों के सांसद भारत आएं तो उन्हें कश्मीर जाने की अनुमति और सुरक्षा की व्यवस्था की जाए | मधु शर्मा ने मोदी से यह आग्रह भी किया होगा कि वह उन सांसदों से मिल लेंगे तो अच्छा सन्देश जाएगा | हो सकता है इस योजना की पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजित डोभाल से चर्चा हुई हो , हुई ही होगी , तभी तो उन्होंने 28 अक्तूबर को उन के सम्मान में दोपहर भोज का आयोजन किया होगा | जिस में कुछ महत्वपूर्ण कश्मीरियों को भी बुलाने और यूरोपियन सांसदों से मिलवाने की रणनीति बनी होगी | इस दोपहर भोज में पीडीपी के संरक्षक और पूर्व उप मुख्यमंत्री मुज्जफर हुसैन बेग , पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी कांग्रेस महासचिव एंव पूर्व विधायक उस्मान माजिद जैसे जम्मू कश्मीर के कुछ राजनीतिज्ञ मौजूद थे , यह इस बात का सबूत है कि जहां केंद्र सरकार स्थानीय स्तर के चुनाव करवा कर जमीनी स्तर से नया नेतृत्व उभारने की कोशिश में जुटी है , वहीं इस्लामी आतंकवाद से क्षुब्ध सच्चे कश्मीरी पुराने नेताओं को भी साथ लिया जा रहा , ताकि नए भारतीय कश्मीर का निर्माण किया जा सके |

अपना मानना है कि दुनिया के किसी भी कौने से जो भी कश्मीर मसले पर भारत के साथ खडा हो , उस का स्वागत किया जाना चाहिए ,. फिर वह दक्षिण पंथी हो या वामपंथी या मध्यमार्गी , वह मुस्लिम विरोधी या समर्थक , वह ईसाई समर्थक हो या विरोधी , वह हिटलर का समर्थक हो या विरोधी | अगर वह भारत के साथ है , तो किसी तरह का कोई छुआछूत नहीं होना चाहिए | भारत न तो वामपंथी देश है , न मुस्लिम पंथी , इस लिए विपक्ष के कुछ नेताओं का यूरोपियन सांसदों को दक्षिण पंथी और मुस्लिम विरोधी कह कर खारिज किया जाना सेक्यूलरिज्म के सिद्धांतों के खिलाफ है | आप खुद को सेक्यूलर भी कहें और दूसरों को धर्म और विचारधारा के नाम पर नकारें भी , यह दोहरा चरित्र नहीं चल सकता | कांग्रेस ने देश के साम्प्रदायिक मुस्लिम नेताओं और वामपंथी नेताओं के बहकावे में आ कर यूरोपियन देशों के सांसदों का विरोध कर के वैसी ही गलती की है , जैसी पाकिस्तान पर किए गए सर्जिकल स्ट्राईक का सबूत मांग कर की थी | कांग्रेस की इस हरकत का एक बार फिर पाकिस्तान को फायदा हुआ है | जिन यूरोपियन सांसदों का विरोध पाकिस्तान को करना चाहिए था , उन का विरोध भारत के राजनीतिक दलों ने कर के किस का मकसद पूरा किया |

 

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