तबलीगी मरकज की जांच जरूरी

Publsihed: 31.Mar.2020, 23:06

अजय सेतिया / केजरीवाल सरकार ने नरेंद्र मोदी के लाक आउट का बंटाधार कर दिया | पहले शाहीन बाग़ , फिर मजदूरों , कर्मचारियों का सामूहिक पलायन और अब निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के मरकज में में 441 लोगों में कोरोना वायरस के लक्ष्ण पाया जाना | पहली नजर में केजरीवाल प्रसाशन की लापरवाही दिखाई देने लगी है | भले ही कम से कम इस मामले में केजरीवाल खुद जिम्मेदार नहीं हों , लेकिन प्रसाशन की लापरवाही की जिम्मेदारी उन पर ही आती है | केजरीवाल के स्वास्थ्य मंत्री सतेन्द्र जैन ने कहा है कि सरकार को यह जानकारी 28 मार्च को तब मिली थी जब वहां छह लोगों को खांसी कि शिकायत हुई कि तबलीगी जमात की बिल्डिंग में 1500 से 1700 लोग रह रहे हैं |

हालांकि निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के हजारों लोगों के इक्कठा होने की जानकारी 24 मार्च को अंडमान निकोबार से आ चुकी थी , जब वहां गए 10 में से 9 तबीलीगियों में कोरोना वायरस के लक्ष्ण पाए गए थे | तबलीगी जमात ने भी स्वास्थ्य मंत्री के इस दावे का खंडन करते हुए कहा है कि 24 मार्च को दिल्ली पुलिस ने उन्हें नोटिस भेजा था और 26 मार्च को पुलिस ने उन की एसडीएम से मुलाक़ात करवाई थी | यानी दिल्ली पुलिस ने कम से कम 24 मार्च को तो प्रसाशन को जानकारी दे दी थी | हालांकि तबलीगी जमात के दावे भी तथ्यों से मेल नहीं खाते , उन्होंने कहा कि 24 मार्च से पहले 1500 लोगों को भेजा जा चुका था और 1000 लोग इमारत में ठहरे हुए थे , लेकिन शाम होते होते खबर आई कि प्रसाशन ने दो दिनों में वहां से1548 लोग निकाले , 441 में कोरोना वायरस के लक्ष्ण पाए गए हैं, उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया , जबकि बाकी 1107 को कोरेंटाईन में रखा गया है |

तबलीगी जमात अभी भी स्पष्ट नहीं कर पाई है कि मरकज ( सम्मेलन) कब था , कोई कह रहा है कि 12-13 मार्च को था , तो कोई कह रहा है कि 17-18 मार्च को था , कोई 2 दिन का मरकज बताता है , कोई 15 दिन का मरकज बताता है और कोई 40 दिन का | यह बात जरुर साफ़ हुई है कि लोग 8 मार्च को आने शुरू हुए थे | तब तक पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का शोर मच चुका था , लेकिन भारत ने 12 मार्च को विदेशियों को जारी किए गए वीजे रद्द किए थे | उस से पहले चार दिन में ढाई सौ से ज्यादा विदेशी टूरिस्ट वीजा ले कर तबलीगी मरकज में हिसा लेने के लिए पहुंच चुके थे और करीब करीब सभी तबलीगी जमात की सौ साल पुरानी छह मंजिला बिल्डिंग में ही ठहरे थे |

सवाल उठता है कि जब जनवरी मध्य से ही पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का शोर मच चुका था और भारत में भी 30 जनवरी को कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आ चुका था | केरल की 21 साल की जिस लडकी में कोरोना वायरस के लक्ष्ण पाए गए थे , 25 जनवरी को वुहान से केरल अपने घर लौटी थी | पहली मार्च को इटली से आए एक पर्यटक में कोरोना वायरस पाया गया था और दो दिन बाद ही पता चल चुका था कि इटली से आए 17 लोगों के ग्रुप में से सभी के सभी कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके थे , तो तबलीगी जमात ने मरकज क्यों नहीं स्थगित किया |

फिर जब मार्च के पहले पखवाड़े में भारत के हालात भी बिगड़ने लगे तो 18 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का आह्वान किया था , इस दौरान 19,20,21 को मरकज स्थगित कर के सभी को वहां से रवाना क्यों नहीं किया गया | केजरीवाल ने ऍफ़आईआर दर्ज करने के लिए उप राज्यपाल को लिखा है | यह राजनीति की शुरुआत है , इस तरह की ऍफ़आईआर केजरीवाल इलाके के डीसी या एसडीएम से भी दर्ज करवा सकते हैं | जबलपुर एसडीएम बनाम सुप्रीमकोर्ट का फैसला एसडीएम तक को यह इजाजत देता है , तो फिर केजरीवाल उप-राज्यपाल को क्यों लिख रहे हैं |

कजरीवाल ने माना है कि तबलीगी जमात की आपराधिक कार्रवाई के कारण तबलीगी मरकज में शामिल हुए मुस्लिम देश के हर कोने में वापिस जा चुके हैं , जिस से देश भर में महामारी फैलने का खतरा पैदा हो गया है | जब सुप्रीमकोर्ट आनन्द विहार बार्डर पर पहुंचे हजारों मजदूरों के मामले में पीआईएल की सुनवाई कर सकता है , तो तबलीगी जमात का मामला तो उस से कहीं ज्यादा गंभीर है क्योंकि बकौल केजरीवाल तबलीगी जमात की बिल्डिंग में ही कोरोना वायरस से संक्रमित 441 लोग पाए गए हैं | यह न्यायिक जांच का मामला बनता है कि जब पांच लोगों के इक्कठे होने पर ही प्रतिबंध था तो तबलीगी जमात की बिल्डिंग में 1500 से ज्यादा लोग कैसे जमा थे |

 

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