मदरसों पर योगी की टेढ़ी नजर या सुधार की बयार 

Publsihed: 29.Aug.2017, 23:43

यूपी की योगी सरकार मुसलमानों के मुद्दों को लेकर विवादों में रही है | हर महीने मदरसों को लेकर कुछ न कुछ हो जाता है | मुस्लिम समाज नहीं चाहता कि उन के मामलों में दखल हो | संविधान के अनुच्छेद 21 को ढाल बना कर मदरसे सरकारी दखल से बचे रहे | मुस्लिम तुष्टिकरण में सरकारी पैसा तो मिलता रहा | पर एजुकेशन पर सरकारी कंट्रोल तो दूर की बात | एजुकेशन के स्तर की भी किसी ने फ़िक्र नहीं की | तुष्टिकरण वाली पार्टियों का एक ही मन्त्र था -" पैसा बांटो, वोट लो | एजुकेशन कैसी हो, हमें क्या लेना देना |" नतीजतन ज्यादातर मदरसों का आधुनिकरण नहीं हुआ | खामियाजा गरीब मुसलमानों को भुगतना पडा | गरीब मुसलमानों के बच्चे ही इन मदरसों में पढने जाते हैं | उनका मानसिक, शैक्षिक विकास रुक गया | मीडिल क्लास मुसलमान तो अब अपने बच्चों को मदरसे में नहीं भेजता | वे तो पेंट टाई वाले प्राईवेट स्कूलों में अपने बच्चे भेज रहे हैं | मदरसों का आज तक किसी ने सर्वेक्षण नहीं किया | मदरसों से पढ़े कितने बच्चे डाक्टर, वकील ,सीए , इंजीनियर बने | कितनों ने बीबीए, एमबीए जैसी प्रोफैशनल डिग्री ली | कितने दर्जी,नाई,बढई, धोबी और पंचर लगाने वाले बने | भाजपा सरकार ने जब मदरसों के आधुनिकीकरण का काम शुरू किया है | तो उसे मुस्लिमों के मामले में दखल बताया जा रहा है | योगी ने अपने पहले बजट में मदरसों के लिए 400 करोड़ का बजट तय किया | पर साथ ही एक शर्त लगा दी | शर्त यह है कि मदरसों में सिर्फ इस्लामिक शिक्षा होगी तो मदद नहीं मिलेगी | आखिर सेक्यूलर सरकार इस्लामिक शिक्षा पर जनता का पैसा क्यों खर्च करे | योगी ने बजट रखने से पहले ही मदरसों के मालिको को बुला कर बता दिया था- सरकारी अनुदान सिर्फ आधुनिक शिक्षा देने वालों को मिलेगा | मदरसों को अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और कंप्यूटर पढ़ाना पडेगा | आधुनिक शिक्षा नहीं देने वालों को कोई सरकारी मदद नहीं मिलेगी | पहले की सरकारों ने आँख बंद कर के मदरसों को अनुदान दिया | नतीजतन पिछले सत्तर साल में मदरसों की तादाद तो कई गुना बढ़ती गई | पर यूपी के सिर्फ 10 मदरसे आधुनिक विषयों की शिक्षा देते हैं | बाकी 90 फीसदी मदरसे इस्लामिक शिक्षा ही देते हैं | मदरसों से निकले ज्यादातर बच्चों की एजुकेशन वहीं खत्म हो जाती है | अब भाजपा ने अनुदान पर शर्त लगा दी है | योगी ने धार्मिक शिक्षा देने वालों को अनुदान बंद कर दिया | अब भले सेक्यूलर दल मुसलमानों को भड़काती फिरे | भाजपा को कोई फ़िक्र नहीं , भाजपा को मुस्लिम वोट मिलता ही नहीं | तो नुकसांन क्या होगा | अखिलेश सरकार ने मुस्लिम वोटों के लालच में मदरसों को मान्यता के रिकार्ड तोड़ दिए थे | चुनाव से ठीक पहले पिछले साल अक्टूबर में 1370 नए मदरसे रजिस्टर्ड हुए | इस से पहले सिर्फ 1627 मदरसे रजिस्टर्ड थे | हालांकि गली-मोहल्लों के अन-रजिस्टर्ड मदरसों की तादाद तो कई गुना होगी | योगी सरकार ने 15 अगस्त को सभी मदरसों में राष्ट्र ध्वज फहराने का आदेश दिया था | जिस की वीडियोग्राफी भी की जानी थी | इस पर मुसलमान काफी खफा हुए | पर भाजपा का हिन्दू वोट बैंक खुश हो गया | राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान पर आनाकानी कर के मुसलमानों ने खुद की पोल खोल ली | भाजपा उन्हें एक्सपोज करने के अपने एजेंडे में कामयाब रही | अभी विडियोग्राफी की जांच शुरू भी नहीं हुई थी | योगी सरकार ने 18 अगस्त से सभी मदरसों का रजिस्ट्रेशन लाजिमी कर दिया | यानी अब बिना रजिस्ट्रेशन कोई मदरसा नहीं चल सकता | मुस्लिम समाज से ज्यादा बेचैनी सेक्यूलर दलों ने दिखाई | पर योगी सरकार का यह फरमान आरटीई नियमों के मुताबिक़ है | शिक्षा के अधिकार क़ानून में सभी स्कूलों का रजिस्ट्रेशन लाजिमी है | गैर रजिस्टर्ड मदरसों को मिलने वाले धन का स्रोत पता नहीं चल रहा था | अब सब मदरसों पर सरकार की निगाह रहेगी | सोमवार 29 अगस्त को योगी सरकार का नया फरमान आ गया | मदरसों को अपने साईँन बोर्ड पर मदरसे का नाम हिन्दी में भी लिखना होगा | साथ में मदरसे के खुलने और बाद होने का वक्त भी लिखना पडेगा | सरकार का यह फरमान एक बार फिर मदरसा संचालकों को नागवार गुजरा है | हाय तौबा मचना शुरू हो गया है | उन का कहना है कि योगी सरकार मुसलमानों को दबाने की कोशिश कर रही है | पर जिस कैबिनेट मंत्री बलदेव सिंह ओलख ने फरमान जारी किया | उस मंत्री ने कहा -यह सब विरोधी पार्टियां मुसलमानों के दिमाग  में भरती हैं | जो सिर्फ वोट बैंक के लिए उनका इस्तेमाल करती हैं | जबकि बीजेपी सरकार ने मुसलमानों की बेहतरी के लिए काम शुरू किया है | यानी सुधार की बयार है | 

 

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