गौहत्या और गांधी की कांग्रेस 

Publsihed: 29.May.2017, 15:51

बात 1992 से शुरू करते हैं | मेघालय के एक धुरंधर नेता होते थे जी.जी स्वैल | वह चौथी बार लोकसभा में चुन कर आए थे | राष्ट्रपति के चुनाव में जैसे अब भाजपा के उम्मीन्दवार के खिलाफ साझा उम्मीन्दवार ढूंढा जा रहा है | सोनिया गांधी ने धुर विरोधियों को एक साथ बिठा दिया है | तब कांग्रेसी उम्मीन्दवार के खिलाफ ऐसी गोलबंदी हुई थी | कांग्रेस ने शंकर दयाल शर्मा को उम्मीन्दवार बनाया था | विपक्षी दलों ने जी.जी.स्वैल को शंकर दयाल शर्मा के सामने खडा किया | स्वैल का प्रचार करने अटल बिहारी वाजपेयी खुद गए थे | शंकर दयाल शर्मा राष्ट्रपति चुन लिए गए | चार साल बाद 1996 में लोकभा चुनाव हुए | भाजपा सब से बड़ी पार्टी बन कर उभरी | पंडित शंकर दयाल शर्मा ने पंडित अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री की शपथ दिला दी | वामपंथियों ने राष्ट्रपति के खिलाफ राष्ट्रपति भवन तक कूच किया था | राष्ट्रपति के खिलाफ आज़ाद भारत में यह पहला प्रदर्शन था | कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष को लग रहा था कि वाजपेयी कहीं बहुमत का जुगाड़ न कर लें | प्रमोद महाजन ने सारी गोटियाँ  बिछा दी थीं | पूर्वोतर की पार्टियां भी समर्थन को तैयार थीं | यह सुन कर तो कांग्रेस और वामपंथियों के हाथ-पाँव फूल गए थे | इस लिए भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र से एक मुद्दा निकाला गया | भाजपा ने गौवध पर रोक लगाने की बात की हुई थी | इस मुद्दे को उछाला गया | लोकसभा में जब बहुमत का फैसला होना था | तब पूर्वोत्तर की तरफ से जी.जी.स्वैल ने मोर्चा सम्भाला | उनने अपने भाषण में गौवध का मुद्दा उठा दिया | कहा कि वह वाजपेयी का विरोध करते हैं क्योंकि उनकी पार्टी गौवध पर रोक लगाने की हिमायती है | खैर , वाजपेयी विशवास मत हार गए | तेरह दिन में सरकार गिर गयी | फिर जब 1998 में भाजपा फिर बहुमत के करीब पहुँची | तो भाजपा ने राम मंदिर, गौहत्या पर रोक, और 370 हटाने के मुद्दे ठन्डे बसते में डाले | तब जा कर कामन मिनीमम प्रोग्राम पर सरकार बनी थी | पर 1999 में हालात बदल गए | वाजपेयी के पास बड़ा बहुमत था | तब अगस्त 2003 में एक बार फिर गौहत्या पर प्रतिबंध लगाने का मुद्दा उछला | केबिनेट ने पास भी कर दिया था | पूर्वोत्तर फिर सामने आ गया | मेघालय और नागालैंड के मुख्यमंत्रियों ने कडा विरोध जताया | बताते जाएं, मेघालय, मिजोरम और नगालैंड में गौ मांस खाया जाता है | वैसे पूर्वोत्तर की बात चली है | तो एक बात और बता दें | जैसे 370 की वजह से संसद का बनाया कोई क़ानून जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होता | वैसे ही पूर्वोतर के राज्यों में भी संविधान का अनुच्छेद 371 (ए) है | पूर्वोत्तर के दबाव में वाजपेयी गौहत्या पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध नहीं लगा पाए | अब मोदी सरकार ने कदम उठाया है | मोदी सरकार ने नया नियम लागू किया है | मवेशियों की हत्या के लिए खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी है | नियम के मुताबिक पशु खरीदने वालों को ये हलफनामा देना होगा कि वे जानवरों का वध नहीं करेंगे |  बिना हलफनामे के पशु बाजार में पशुओं की बिक्री पर रोक लगा दी है | पर इस बार विवाद पूर्वोत्तर से नहीं उठा | विवाद केरल से उठा , जहां कम्युनिस्टों का राज है | केरल के वामपंथी सीएम पिनाराई विजयन ने मोदी को चिठ्ठी लिखी है | पी. विजयन ने कहा - " हम क्‍या खाएं क्या नहीं ,ये दिल्ली या नागपुर से नहीं पूछेंगे | राज्य सरकार अपने राज्य की जनता को उनकी पसंद का हर खाना और सुविधाएं देगी | " नागपुर से उनका इशारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से है | जिसका मुख्यालय नागपुर में है | इस देश में विचारधारा की असल लड़ाई संघ और वामपंथियों की है | वामपंथी केरल में आए दिन आरएसएस के लोगों की हत्या कर रहे  हैं | खूनी राजनीति होती है केरल में | जब वहां इंसान की कोई कीमत नहीं | तो गाय बिचारी क्या करेगी | केरल में भाजपा न तीन में हैं , न तेरह में | पहली बार एक एमएलए जीता है | वहां राजनीतिक लड़ाई कांग्रेस और कम्युनिस्टों में है | गाय के मामले में वामपंथी सीएम चिठ्ठी लिख कर नंबर बना ले जाए | यह कांग्रेस वालों को नहीं पचा | खासकर यूथ कांग्रेस को | आखिर कांग्रेस का झंडा उठा कर यूथ कांग्रेसी कन्नूर की सडकों पर निकले | गांधी की आत्मा उस समय सहर उठी | जब गांधी की कांग्रेस के सिपाहियों ने दस साल के एक बछड़े की सरे बाज़ार गर्दन काट दी | फिर बाकायदा कांग्रेस के झंडे लगा कर स्टाल बना कर गाय के गोष्त को सजाया गया | सोशल मीडिया पर गाय काटने का वीडियो जारी हुआ | तो दिल्ली में हड़कंप मचा | कांग्रेस ने अपनी परम्परा के मुताबिक़ अभिषेक मनु सिंघवी को उतारा | जो सच को झूठ और झूठ को सच बनाने के माहिर | उनने साफ़ इनकार कर दिया कि न तो कांग्रेस का हाथ, न किसी कांग्रेसी का | पर जब गाय कटवाने वाले के राहुल गांधी के साथ ढेरों फोटो मार्केट में आ गए | तो दुबारा सफाई पेश की गई | इस बार कहा गया कि उस बन्दे को कांग्रेस से निकाल दिया है | राहुल गांधी को भी डेमेज का आकलन बताया गया | तब खुद राहुल गांधी ने ट्विट कर सफाई दी | उन ने कहा-" केरल में कल (शनिवार) को जो कुछ भी हुआ वह मूर्खतापूर्ण और बर्बर है | वह मुझे या कांग्रेस को बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है |" काश कांग्रेस का हाई कमान पहले ही जांच पड़ताल कर बयान देना सीख ले | काश कांग्रेसी केजरीवाल और वामपंथियों की नक़ल करना छोड़ दें | यह गलती खुद राहुल गांधी की करी हुई है | कांग्रेस दिल्ली विधानसभा चुनाव हार गई थी | उस का एक भी एम्एलए नहीं बना | केजरीवाल की आम आदमी पार्टी 70 में से 67 सीटें जीत गई थी | तब राहुल गांधी ने कांग्रेसियों से कहा था- राजनीति करना आम आदमी पार्टी से सीखें | और खुद उन ने शुरुआत कर दी थी | जब वह केजरीवाल की तरह भारत विरोधी नारे लगाने वालों का समर्थन करने चले गए थे | उन ने नक्सलियों का भी समर्थन करना शुरू कर दिया था | लड़ के लेंगे आज़ादी वालों का भी समर्थन शुरू कर दिया था | फर्जी एफिडेविट वाले रोहित वेमुला का भी समर्थन शुरू कर दिया था | ईवीएम पर भी शोर मचाना शुरू कर दिया था | पेलेट गन का भी विरोध शुरू कर दिया था | ये सभी मुद्दे कांग्रेस को छोड़ने पड़े | गांधी की कांग्रेस गांधी का मार्ग छोड़ेगी, तो वही होगा, जो यूपी में हुआ | 

 

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