उत्तरप्रदेश में कई बार से बसपा सपा चल रहा था | इस बार बसपा की बारी थी | मायावती बड़ी उम्मींद लगा कर बैठी थी | संसद के सेंट्रल हाल की गप-शप में बाकायदा खेमे बने हुए थे | कोई खेमा मायावती को जीता रहा था | तो कोई खेमा अखिलेश को दुबारा सत्ता में ला रहा था | भाजपा का तो लगभग सारे बंटाधार किए बैठे थे | पर सब दावे चंडूखाने के निकले | पहली बार भाजपा पूरे बहुमत के साथ सत्ता में आ गई | बहुमत भी इतना कि सब की बोलती बंद हो गई | मायावती ने तो भाजपा पर ईवीएम मशीनों से हेराफेरी कर जीतने का आरोप लगा दिया | गोवा और पंजाब में बुरी तरह हारे केजरीवाल के लिए तो बिल्ली को भागों छिका फूटा वाली बात हो गई | उनने तुरंत मुद्दे को लपका और शुरू कर दिया बवाल | बवाल में केजरीवाल का कोई जवाब नहीं | उन की टक्कर का कोई बवाली अब जा कर सामने आया है | वह है अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प | वह भी केजरीवाल की तरह चंडूखाने का बवाल मचाए हुए हैं | खैर मायावती तो दो दिन का मातम मना कर चुप हो गई | पर केजरीवाल का आए दिन का ड्रामा शुरू हो गया | ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी का आरोप असल में भाजपा पर नहीं चुनाव आयोग पर है | चुनाव में वोटिंग मशीन का इस्तेमाल हो सकता है | यह विचार सब से पहले 1980 में उभरा था | भारत इलेक्ट्रानिक ने पहली माडल मशीन बनाई थी | तब 1980 में वोटिंग मशीन पर अपना पहला लेख पजांब केसरी में छपा था | 1989-90 में बाहर से मशीन लाई गई | पहली बार नवम्बर 1998 में वोटिंग मशीन का इस्तेमाल हुआ | तब देश के सिर्फ 16 विधानसभा क्षेत्रों में प्रयोग किया गया | इन 16 में से मध्य प्रदेश और राजस्थान के पांच-पांच और दिल्ली विधान सभा के छह क्षेत्र थे | मौजूदा ईवीएम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स , बेंगलूर और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया हैदराबाद बनाता है | जो 6 वोल्ट की एल्कलाइन बैटरी पर चलती है | इसलिए ईवीएम का ऐसे इलाकों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है जहां पर बिजली नहीं हैं | खैर अपन तकनीकी मुद्दों पर नहीं जाते | मतलब की बात पर आते हैं | एनडीए जब 2009 में हारा, तो लाल कृष्ण आडवाणी ने मशीनों पर सवाल उठाया था | जीवीएल नरसिम्हा राव ने वोटिंग मशीनों में गड़बड़ी की संभावना पर किताब लिख डाली थी | सुब्रहमन्यम स्वामी हाई कोर्ट में केस ले गए थे | कोर्ट ने मशीनों के साथ पेपर ट्रेल लगाने को कहा था | ताकि वोट डालने वाला देख सके कि उस का वोट सही जगह पडा | पेपर ट्रेल का ट्रायल अभी चल ही रहा है | तभी केजरीवाल ने चुनाव आयोग के खिलाफ बवाल खडा कर रखा है | सब से पहले दिल्ली का पुलिस कमीश्नर बीएस बस्सी निशाने पर थे | वह रिटायर हुए तो उन की केजरीवाल से जान छूटी | फिर केजरीवाल लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग के पीछे पड गए | वह शरीफ आदमी थे, उन ने इस्तीफा दे कर जान छुड़ाई | अनिल बैजल जब से गवर्नर बने हैं ,तब से केजरीवाल कुछ न कुछ करते ही रहते हैं | बीच में अरुण जेटली निशाने पर थे | उन ने मानहानि के केस में ऐसा उलझाया है कि पिंड छुडाना मुश्किल है | अब जब पंजाब और गोवा में हारे हैं , तब से कुछ ठण्ड पडी है | पर अब चीफ इलेक्शन कमीश्नर निशाने पर है | दिल्ली में दो नंबर का सामान मिलने वाली एक मार्केट है- गफ्फार मार्केट | केजरीवाल के चेलों ने उस मार्केट से एक फर्जी वोटिंग मशीन खरीदी | दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया | ममता,माया,नीतीश,लालू और वामपंथियों के नुमाईंदे बुलाए | आप के एक इंजीनियर विधायक सौरभ भारद्वाज ने उन के सामने फर्जी मशीन को हैक कर के दिखाया | सौरभ ने मशीन का मदर बोर्ड बदल दिया था | फिर चुनाव आयोग ने सभी दलों की मीटिंग बुलाई | सभी दलों को चुनौती दी कि वे हैक्थान कर के दिखाएं | शनिवार 3 जून तय है | आयोग ने हाल ही के चुनाव में इस्तेमाल 14 मशीनें मंगवाई हैं | उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर, पंजाब के पटियाला व बठिंडा और उत्तराखंड के देहरादून से | हर राजनीतिक दल चार ईवीएम का इस्तेमाल कर सकता है | चुनौती शनिवार सुबह 10 बजे शुरू होगी | दो[पहर 2 बजे तक का समय है | अब केजरीवाल और सौरभ भारद्वाज मैदान से भाग गए हैं | उन' का कहना है कि बिना मदर बोर्ड बदले वह टेम्पर नहीं कर सकते | पहले तो मोबाईल से हैक करने का दावा कर रहे थे | फिर कोड भरने की बात कर रहे थे | अब मदरबोर्ड बदलने की बात कर रहे हैं | मदरबोर्ड बदलने से तो पूरी मशीन ही बदल जाएगी भाई | सो वक्त रहते ही लालू,नीतीश,ममता,माया सब केजरीवाल का साथ छोड़ गए | अब सिर्फ एनसीपी और सीपीएम हैकाथॉन में कोशिश करेंगे | उधर झेंप मिटाने के लिए केजरीवाल की टीम गफ्फार मार्केट की ईवीएम की दूकान सजाएंगे |
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