हिमाचल में धूमल के सिवा विकल्प ही नहीं था 

Publsihed: 02.Nov.2017, 23:52

अजय सेतिया /मोदी-अमित शाह के पास इस के सिवा कोई चारा भी नहीं था | वीर भद्र सिंह का मुकाबला करने के लिए प्रेम कुमार धूमल ही चाहिए थे | दिल्ली की मनमर्जी नहीं चल सकती थी | आज हर कोई कह रहा है गुजरात में कडा मुकाबला हो गया है | हालांकि कांग्रेस ने रुपानी के सामने अपना चेहरा भी नहीं बताया | पर हिमाचल में चेहरा रहित भाजपा पिटने के कगार पर पहुंच रही थी | मीडिया में पिछले एक साल से जेपी नड्डा की हवा बनी हुई थी | वह हवा कैसे बनी , अपन दिल्ली से बैठ कर नहीं बता सकते | पर अपने कई पत्रकार मित्र साल भार से अपन से पूछ रहे थे | एक को तो अपन ने पिछले साल असम्भव कहा था | फिर भी जब यूपी और उत्तराखंड में ठाकुर मुख्यमंत्री बन गए | तो अपने हिमाचली पत्रकार का सवाल फिर उठ खडा हुआ | उस का तर्क था कि अब भाजपा कितने ठाकुर सीएम बनाएगी | अब तो ब्राह्मण नड्डा को ही बनाना पडेगा | हवा यह भी बनी हुई थी कि नड्डा हाई कमान के ज्यादा नजदीक है | हालांकि धूमल भी मोदी और अमित शाह के कम करीब नहीं | अपन को याद है धूमल जब 1997 में पहली बार सीएम बने थे, तब मोदी की ही भूमिका थी | हालांकि तब शांता कुमार का दावा ज्यादा मजबूत था | शांता कुमार अब मार्गदर्शक मंडल में हैं और कभी कभी मोदी विरोधी आवाज उठाते रहते हैं | दो नवम्बर को मोदी जब शिमला में भाषण दे रहे थे , तब उन ने शांता कुमार की तारीफ़ में पुल बांधे | उन्हें पानी वाला मुख्यमंत्री बताया | शांता कुमार गाँव गाँव में पानी पहुँचाने वाले सीएम के तौर पर मशहूर हुए थे | पर अब देश भर में जातिवाद का जोर है | ऐसे में ब्राह्मण सीएम प्रोजेक्ट करने का मतलब आत्महत्या होता | भले ही छह साल पहले से दिल्ली आ गए नड्डा ने हाई कमान में अपना रूतबा बनाया है | वः अच्छे संगठनकर्ता के तौर पर उभरे हैं | उत्तराखंड का चुनाव भाजपा उन्हीं की रहनुमाई में जीती है | पर अपना मानना था कि हिमाचल में धूमल  के बिना चारा नहीं | यह बात टिकटों का फैसला करते समय भाजपा हाई कमान में भी चर्चा का मुद्दा बनी | अपना शुरू से ही मानना है कि 28 फीसदी ठाकुर वोटरों को किनारे कर कोई ब्राह्मण को मुख्यमंत्री नहीं बना सकता | न तो सोनिया गांधी हिमाचल में आनंद शर्मा को प्रोजेक्ट करने की गलती कर सकती है | न भाजपा जगत प्रकाश नड्डा को प्रोजेक्ट करने की गलती कर सकती है | चेहरे तो दोनों तरफ से ठाकुर ही होंगे | जब एक तरफ से ठाकुर प्रोजेक्ट हो जाएगा , तो दूसरे दल के पास कोई चारा ही नहीं रहेगा | अपना शुरू से मानना था कि कांग्रेस के पास वीरभद्र के सिवा कोई चारा नहीं | कांग्रेस ने शुरू में चुपके से वीरभद्र के सामने हार मान ली थी | वीर भद्र ने राहुल और सोनिया को आँख दिखा कर खुद को प्रोजेक्ट करवाया | अलबत्ता अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह को टिकट दिला कर अपना वारिस भी घोषित करवा लिया | पर प्रेम कुमार धूमल ऐसा नहीं कर सके | वीर भद्र के प्रोजेक्ट होने के बावजूद भाजपा नेतृत्व मुगालते में था | धूमल को टिकट भी कमजोर सीट से दी गई | सुजानपुर कांग्रेस के दबदबे वाला क्षेत्र है | पर धूमल के पास कोई चारा नहीं बचा था | टिकटों का बंटवारा करते समय उन्हें प्रोजेक्ट करने का ऐलान भी नहीं हुआ | क्यों ? कोई नहीं जानता | हालांकि टिकटों का फैसला करते समय चर्चा हुई थी और मौटे तौर पर तय भी हुआ था | पर उन का ऐलान रोका गया | इस से वीरभद्र का पलड़ा भारी हो गया | तब जा कर अमित शाह ने 31 अक्टूबर को प्रेम कुमार धूमल को प्रोजेक्ट करने का ऐलान किया | जबकि अपन को भाजपा संसदीय बोर्ड के एक मैम्बर ने 22 अक्टूबर को बता दिया था कि धूमल तय हुए हैं | सवाल है कि तय होने के 15 दिन बाद तक ऐलान क्यों रोका गया | अपन को हिमाचल से भाजपा सूत्र बता रहे थे कि एलान न होने से नुकसान हो रहा है | कांग्रेस बार बार पूछ रही थी कि वीरभद्र के सामने आप का उम्मीन्द्वार कौन है | कांग्रेस भाजपा में वर्करों में ही गजब का टकराव बना रही थी | भाजपा बचाव की मुद्रा में थी | जबकि वही सवाल गुजरात में भाजपा कांग्रेस से पूछ रही थी | अब हिमाचल में तो भाजपा ने "ओल्ड इज गोल्ड" मान लिया है | भाजपा का 75 वालों को रिटायर करने का नशा उतर रहा है | पहले  74 साल के बीएस येदियुरप्पा को कर्नाटक में मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किया गया | अब हिमाचल में 73 साल के प्रेम कुमार धूमल प्रोजेक्ट कर दिए गए | यानि 2019 के लोकसभा चुनाव तक दोनों का सीएम रहना पक्का है | उस के बाद का भविष्य 2019 का चुनाव बताएगा | मोदी स्पष्ट बहुमत ले आए , तो दोनों जून 2019 के बाद कभी भी रिटायर हो जाएंगे | पर अगली सरकार एनडीए की मिलीजुली बनी , तो पता नहीं किस का क्या होगा | ऐसी हालत में धूमल और येदुरप्पा को कोई नहीं हिला सकेगा | | 

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