अजय सेतिया / राफेल एयरक्राफ्ट सौदा कांग्रेस का मुख्य चुनावी मुद्दा होगा | कांग्रेस राफेल के बहाने बोफर्स के दाग धोने में लगी है | साथ ही मोदी को दागी बना कर बचाव मुद्रा में लाने की रणनीति है | अपने यहाँ माना जाता है कि चुनाव वही जीतता है ,जो हमलावर हो | 2004 के चुनाव में सौदे को लेकर कांग्रेस हमलावर हुई थी | वाजपेयी सरकार के रक्षा मंत्री जार्ज फर्नाडिस को कफन चोर तक कहा गया | हालात वाजपेयी के पक्ष में थे , इसलिए वाजपेयी ने समय से पहले चुनाव करवा लिए थे | पर हमलावर हो कर कांग्रेस ने पटकनी दे दी थी | 2014 में 2-जी जैसे घोटालों को लेकर मोदी और भाजपा हमलावर थे | तो उस हमलावर रणनीति से भाजपा और मोदी ने कांग्रेस को एतिहासिक पटकनी दी | लोकसभा में जिस दिन राहुल गांधी राफेल पर धुंआधार बोलकर मोदी के गले लगे थे | अपन ने उसी दिन लिखा था कि राहुल नहीं, राफेल गले पड़ा है जनाब |
मानसून सत्र के दौरान निर्मला सीतारमण पत्रकारों को घेर-घेर कर राफेल पर समझाती रही | जो मोदी सरकार चार साल तक मीडिया से कन्नी काटती रही | उसी सरकार की रक्षा मंत्री सेंट्रल हाल में सीनियर पत्रकारों को ढूंढ ढूंढ कर उन के साथ बैठती थी | पर बात वहीं पर आ कर अटक जाती थी कि एयरक्राफ्ट की कीमत क्यों नहीं बताई जा रही | निर्मला सीतारमण के हाथ बंधें थे , वह कुछ बताने की हालत में नहीं होती थी | संसद सत्र के आखिर में नरेंद्र मोदी ने खुद राहुल पर हमला बोल कर राफेल सौदे का बचाव किया | सौदे में तय कीमत को मनमोहन सरकार के समय तय कीमत से कम बता कर जवाबी हमला किया | पर वह एक दिन की खबर बन कर रह गई | अलबता मोदी के गले पड कर उस दिन की सुर्खी भी राहुल लूट ले गए थे | निर्मला सीतारमण ने उस दिन बचाव मुद्रा में आकर कहा था कि सीक्रेट क्लाज के कारण सरकार सौदे का खुलासा नहीं कर सकती | राहुल गांधी को घेरने के लिए यह भी बताया था सीक्रेट क्लाज पर दस्तखत उन्हीं की सरकार के रक्षा मंत्री ए.के.एंटनी के दस्तखत हैं |
सीतारमण की वही बचाव मुद्रा राहुल गांधी का हथियार बन चुकी है | टीम राहुल ने भांप लिया है कि सीक्रेट क्लाज के कारण मोदी सरकार का मुहं बंद रहेगा | राहुल कितना भी हमलावर हो जाएं, मोदी अपना बचाव नहीं कर पाएंगे | सो मोदी पर हमले तेज हो गए हैं | राफेल ने भारत से खरीदारी के लिए अनिल अम्बानी से एग्रीमेंट कर के मोदी की मुसीबत बढ़ा दी है | एक समय पर बोफोर्स सौदे को लेकर राजीव गांधी को घेरने वाले जयपाल रेड्डी ने सोमवार को नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला बोला था | अनिल अम्बानी और मोदी में सौदा बताया था | कहा कि यूपीए के समय पहली खेप के बाद एचएएल को एयरक्राफ्ट बनाने थे | पर मोदी ने यह काम अनिल अम्बानी को दिला दिया | यह बात शुरू से कही जा रही थी | निर्मला सीतारमण इस पर भी सलीके से सफाई नहीं दे सकी | अरुण जेटली जब से बिस्तर पर पड़े थे , राफेल पर जवाब देने वाला कोई नहीं था | निर्मला सीतारमण कोई तार्किक बात कहती , तो पत्रकार उसे छापते | वह नकारा साबित हो गई है | बीमारी से तंदरुस्त हो कर लौटे अरुण जेटली को फिर मोर्चा सम्भालना पडा है | राफेल पर हमलावर तरीके से सफाई देकर जेटली सरकार की मुश्किल आसान करने में लगे हैं | तो लगे हाथों अपनी उपयोगिता भी साबित कर रहे हैं |
अब वह वित्त मंत्री कम, रक्षामंत्री ज्यादा लगते हैं | बुधवार को उन्होंने राहुल गांधी को निशाना बना कर सरकार का बचाव शुरू किया | उन की कुछ बातें काबिल-ए-गौर हैं | पहली- राहुल गांधी ने लोकसभा में दिए भाषण में यूपीए सरकार के समय तय हुई बेसिक राफेल एयरक्राफ्ट की कीमत बताई | जबकि मोदी सरकार के समय तय हुई लोडेड राफेल एयरक्राफ्ट की कीमत बताई | उन्हें यूपीए सरकार के समय तय लोडेड एयरक्राफ्ट की कीमत बतानी चाहिए | वह देश को धोखा दे रहे हैं | दूसरी- यूपीए सरकार के समय एयरक्राफ्ट डिलीवरी के समय कीमत में वृद्धि और रूपए की उस समय की कीमत की क्लाज थी | जो मोदी सरकार के तय सौदे में नहीं है | तीसरी- यूपीए सरकार की क्लाज को देखते हुए आकलन करें तो उस समय तय बेसिक एयरक्राफ्ट की कीमत से 9 फीसदी कम पर सौदा हुआ है | लोडेड राफेल एयरक्राफ्ट का सौदा यूपीए के समय तय कीमत से 20 फीसदी कम कीमत पर हुआ है | चौथी-वायुसेना ने 2003 में लोडेड एयरक्राफ्ट की मांग की थी | यूपीए सरकार ने सैन्य तैयारियों में दस साल बर्बाद किए | राफेल का सौदा तय होने के बाद भी किन्हीं अज्ञात कारणों से एंटनी ने रद्द क्यों किया |
मोदी के बचाव में अरुण जेटली की पांचवां तर्क – यूपीए ने 18 तैयार लोडेड राफेल एयरक्राफ्ट का सौदा किया था | बाकी 126 राफेल कम्पनी के साथ मिल कर एचएएल को बाद में बनाने थे | एनडीए ने वायुसेना की तुरंत जरूरत को देखते हुए 36 लोडेड राफेल एयरक्राफ्ट का सौदा किया | छटा तर्क - यह समझौता भारत सरकार का फ्रांस सरकार के साथ है | कोई बिचौलिया नहीं | यह कांग्रेस के ताजा आरोप का जवाब है | जिस में जयपाल रेड्डी ने अनिल अम्बानी को बिचौलिया बताया था | सातवाँ तर्क- अनिल अम्बानी का राफेल एयरक्राफ्ट सौदे से कुछ लेना देना नहीं है | राफेल ने एयरक्राफ्ट से हासिल पैसे का 30 फीसदी भारत से खरीददारी करनी है | वह अनिल अम्बानी के माध्यम से करे, टाटा के माध्यम से करे | बिरला के माध्यम से करे या किसी पीएसयूं के माध्यम से करे , यह उस की इच्छा है | जेटली के जोरदार बचाव तर्क निर्मला सीतारमण नहीं दे सकी | पर इन तर्कों के बाद एक सवाल तो फिर बाकी है | भाई कीमत क्यों नहीं बताई जा रही | अरुण जेटली के करीबी का कहना है कि वक्त आने पर वह भी बताई जाएगी | तब , जब चुनाव का शोर शबाब पर होगा |
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