जी-23 बनाम जीहजूर 23

Publsihed: 29.Sep.2021, 20:40

अजय सेतिया / कांग्रेस पार्टी संविधान के मुताबिक़ अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है | पिछले सवा दो साल से कांग्रेस का स्थाई अध्यक्ष ही नहीं हैं | लोकसभा चुनावों में दूसरी बार करारी हार के बाद राहुल गांधी ने इस्तीफा दिया था | तब से सोनिया गांधी कार्यकारी अध्यक्ष हैं , उन्हें ही स्थाई अध्यक्ष चुन कर एआईसीसी की मोहर लगवा लेते | ढाई साल बीत गए और लोकसभा चुनाव के लिए ढाई साल बाकी हैं | पिछले 23 साल से कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी सोनिया परिवार के पास है | इन 23 सालों में कांग्रेस ने दस साल राज भी किया , लेकिन कांग्रेस मजबूत होने की बजाए , कमजोर होती गई | आज जो कांग्रेस की दशा है , वैसी तो सीता राम केसरी के अध्यक्ष कार्यकाल में भी नहीं हुई थी | विजय बहुगुणा , एसएम कृष्णा , गिरधर गोमांग , जगदम्बिका पाल , संजय सिंह , रीता बहुगुणा जोशी , जैसे नेताओं को तो भाजपा में आए बहुत दिन हो गए थे | भुवनेश्वर कलिता ( असम ) , ज्योतिरादित्या सिंधिया ( मध्य प्रदेश )  . जतिन प्रसाद ( उत्तर प्रदेश ) , सुष्मिता देव ( असम ) पीसी चाको ( केरल ) और लुइज़िन्हो फलेरियो ( गोवा ) कुछ बड़े नाम हैं , जिन्होंने 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस छोडी है | अब अमरेन्द्र सिंह कभी भी भाजपा के खेमे में आ सकते हैं |

सोनिया का जलवा खत्म हो चुका है , और राहुल-प्रियंका सिर्फ भाजपा विरोधी मीडिया के ही नेता हैं | ढाई साल पहले वह अपनी अमेठी की सीट भी नहीं बचा पाए |  अपन को तो उस समय हंसी आती है , जब कांग्रेसी राहुल गांधी को विजनरी नेता बताते हैं | राहुल के विजन का बार बार इम्तिहान हुआ है , और पास मार्क्स यानी 33 प्रतिशत भी कभी हासिल नहीं कर पाए | फिर भी घमंड इतना कि यह भ्रम अभी भी खत्म नहीं हुआ कि कांग्रेस को वही नेतृत्व दे सकते हैं , और कोई नही | पिछले साल कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को चिठ्ठी लिख कर सुझाव दिया था कि पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव करवाया जाए , उन सभी 23 को किनारे करने की कोशिश की गई | गुलामनबी आज़ाद के खिलाफ तो जम्मू में बाकायदा प्रदर्शन हुआ | उस के बाद ही ज्योतिरादित्या सिंधिया, जतिन प्रसाद , सुष्मिता देव , पीसी चाको और लुइज़िन्हो फलेरियो कांग्रेस छोड़ कर गए हैं |

कांग्रेस में नए कौन आए | अभी ताज़ा ताज़ा तो सीपीआई छोड़ कर कन्हैया कुमार आए हैं | जिन पर भारत तेरे टुकड़े होंगे , नारे लगाने के आरोप में देशद्रोह का मुकद्दमा चल रहा है और वह जमानत पर हैं | वैसे तो सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी नेशनल हेराल्ड घोटाले में जमानत पर रिहा हैं | पी. चिदंबरम भी जमानत पर रिहा हैं | अपना मानना है कि कन्हैया कुमार को सीपीआई ने कांग्रेस में प्लांट किया है | कम्युनिस्ट पार्टी 1967 से ही कांग्रेस में अपने बंदे प्लांट करती रही है , ताकि कांग्रेस आज़ादी से पूर्व वाली राष्ट्रीय विचारधारा की तरफ न लौट सके | नवजोत सिंह सिद्धू 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में आए थे | उन की अरुण जेटली से खुन्नस हो गई थी , वह चाहते थे कि भाजपा अकाली दल से गठबंधन तोड़ कर उन्हें मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट कर के अकेले चुनाव लडे | पंजाब प्रदेश भाजपा , यहाँ तक कि पंजाब का संघ भी इस फार्मूले से सहमत था , लेकिन अरुण जेटली ने यह फार्मूला पंक्चर कर दिया था |

सिद्धू पार्टी को अपने एजेंडे पर चलाना चाहते थे , लेकिन बड़ी पार्टियां किसी की महत्वाकांक्षा वाले एजेंडे के आगे नहीं झुका करती | राहुल गांधी ने यही गलती की , उन्होंने सिद्धू की महत्वाकांक्षा के आगे घुटने टेक कर अमरेन्द्र सिंह जैसा बड़ा नेता गंवा लिया | सिद्धू नए मुख्यमंत्री को अपनी उँगलियों पर नचाना चाहते थे , ऐसा नहीं हुआ तो उन्होंने अध्यक्ष पद छोड़ दिया | कांग्रेस की हालत अब यह हो गई है कि न खुदा ही मिला , न वसाल ए सनम | सिद्धू को पंजाब प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने और अमरेन्द्र सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने की अपरिपक्व राजनीति का ठीकरा अब राहुल गांधी के सिर फूट रहा है | गुलाम नबी आज़ाद और कपिल सिब्बल से ले कर मनीष तिवारी तक ने इन दो गलतियों पर सवाल उठाए हैं | कपिल सिब्बल ने तो यहाँ तक कहा कि कांग्रेस में अब कोई निर्वाचित अध्यक्ष नहीं है , हम नहीं जानते कि कौन निर्णय ले रहा है | सिब्बल ने सोनिया राहुल पर कटाक्ष करते हुए कहा, "हम जी-23 हैं, निश्चित रूप से जी हुज़ूर-23 नहीं |”पर बेचारे सिब्बल का भी वही हाल हुआ, जो गुलामनबी आज़ाद का जम्मू में हुआ था । राहुल के यूथ कांग्रेसियों ने उन के घर पर प्रदर्शन कर टमाटर फैंके और कार को नुक़सान पहुँचाया ।

 

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