क्या वाघेला हरा पाएंगे अहमद पटेल को 

Publsihed: 27.Jul.2017, 21:44

कांग्रेस को झटका डर झटका लग रहा है | सोनिया गांधी को राहुल गांधी की नहीं | अलबत्ता शरद पवार , शंकर सिंह वाघेला , विजय बहुगुणा जैसे अनुभवियों की जरूरत है | पर अपन ने जिन तीनों का नाम लिया | वे तीनों कांग्रेस छोड़ चुके हैं | एक-एक कर  दिग्गज कांग्रेस छोड़ गए | अब चिदंबरम जैसे घमंडी , सिब्बल जैसे दम्भी , आनन्द शर्मा जैसे हवाई , दिग्विजय जैसे आतंकवादियों के समर्थक बचे हैं | अब इन से क्या तो सोनिया गांधी को ढंग की सलाह मिलेगी | और क्या राहुल गांधी को सलाह मिलेगी | बात कांग्रेस के इन चार नेताओं की चली तो बताते जाएं | गुरूवार को जब भाजपा के शिवप्रताप शुक्ल ने हिन्दू आतंकवाद की साजिश का मुद्दा उठाया | तो दिग्विजय सिंह , आनन्द शर्मा , कपिल सिब्बल तीनों ने हिन्दू आतंकवाद को हकीकत बताने की कोशिश की | यानी 2014 के चुनाव नतीजे से कुछ नहीं सीखा | न उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के चुनाव नतीजों से कुछ सीखा | इस लिए ही तो सात दिनों के छोटे से समय में कांग्रेस को दो बड़े झटके लगे | पहले शंकर सिंह वाघेला ने कांग्रेस छोडी | फिर नीतीश कुमार ने कांग्रेस का गर्भाधीन राष्ट्रीय महागठबंधन छोड़ दिया | राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के चुनाव में राष्ट्रीय महागठबंधन का गर्भ-धारण हुआ था | पर उप-राष्ट्रपति चुनाव से पहले ही महागठबंधन का मिस-केरिज हो गया | यह क्या कम था कि गुरूवार को गुजरात में कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है | वाघेला गुट के तीन विधायकों ने कांग्रेस और विधायकी से भी इस्तीफा दे दिया | यह राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले हुआ है | गुजरात से राज्यसभा की तीन सीटों का चुनाव है | कायदे से भाजपा को दो और कांग्रेस को एक सीट मिलनी है | इस लिए भाजपा ने दो ही उम्मीन्द्वार खड़े किए हैं | अपना अध्यक्ष अमित शाह और कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी | किस्मत हो, तो ऐसी | सिर्फ दस साल पहले भाजपा में आई | छह साल पहले राज्यसभा की सीट मिली थी | धर्मेन्द्र प्रधान जैसे पुराने विद्यार्थी परिषद वाले तो राज्य मंत्री है, पर स्मृति ईरानी सीधे केबिनेट मंत्री ही गई | दूसरी बार राज्यसभा भी मिल गई | वह दो बार लोकसभा चुनाव हारी है | पर किस्मत सिर्फ स्मृति ईरानी की अच्छी नहीं | रामनाथ कोविंद को ही लो | वह भी कभी चुनाव नहीं जीते थे , दो बार लड़कर हारे | फिर भी दो बार राज्यसभा , गवर्नरी और अब राष्ट्रपति हो गए खैर अपन बात कर रहे थे गुजरात की | जहां पिछले 20 साल से कांग्रेस सत्ता से बाहर है | पर अहमद पटेल पांचवीं बार राज्यसभा के लिए कांग्रेस के उम्मीन्द्वार हैं | वह पिछले 24 साल से राज्यसभा में हैं | बाबरी ढांचा टूटने के बाद जब मुसलमान कांग्रेस से खफा थे | तब नरसिंह राव के जमाने में मुसलमानों के कोटे से  1993 में राज्यसभा मिली थी | बाद में जब सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष बनी | तो अहमद पटेल उन के ख़ास कीचन केबिनेट के सदस्य हो गए | अहमद पटेल की खासियत यह है कि वह मीडिया से आन रिकार्ड बात नहीं करते | विजुअल मीडिया पर कभी बाईट नहीं देते | वैसे 2010 में अपन एक बार गुजरात गए थे , तो अपन ने ईटीवी के लिए पन्द्रह मिनट का इंटरव्यू किया था |  तब विजुअल मीडिया में हडकंप मचा था | पर बाद में अपन ने उन्हें एक-दो बार और न्यूज चेनेल पर देखा है | उन्हें काग्रेस की जुगाडू राजनीति का धुरंधर माना जाता है | खैर उनने पांचवी बार के लिए पर्चा भर दिया है | आज शुक्रवार को पर्चा भरने की आख़िरी तारीख है | कांग्रेस के बलवंतसिंह राजपूत, डॉक्टर तेजश्री पटेल और पीआई पटेल ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया | तीनों विधायकों ने न सिर्फ इस्तीफा दिया | अलबत्ता भाजपा का दामन थाम लिया है | इस्तीफा मंजूर होने में अगर वक्त लगता है, तो तीनों वोट डाल सकेंगे | शायद यह राजनीति की रणनीति हो | बलवंतसिंह राजपूत भाजपा के तीसरे उम्मीन्द्वार हो सकते हैं | बलवंत सिंह राजपूत के बारे में बताते जाएं | वह शंकर सिंह वाघेला के समधी हैं | वैसे शंकर सिंह वाघेला का बेटा भी कांग्रेस का एमएलए है | सुनते हैं वाघेला कैम्प में कुल 15 विधायक हैं | भाजपा के पास 31 वोट फालतू है, अगर वाघेला सचमुच राजपूत को अपने 15 कांग्रेसी विधायकों के वोट डलवा दें , और भाजपा भी 31 फालतू वोट डलवा दे | तो अहमद पटेल हार जाएंगे | पर यह इतना आसान भी नहीं | कड़ी टक्कर होगी | हो सकता है, पहले दौर की गिनती में कोई न जीते |  अहमद पटेल को एनसीपी के चार विधायकों का भी समर्थन है | अगर इतना ही आसान होता तो भाजपा अपना तीसरा उम्मीन्द्वार खडा कर देती | वैसे सब से बड़ी बात यह है कि अहमद पटेल की नरेंद्र मोदी से गहरी दोस्ती भी किसी से छिपी नहीं | फिर भी अहमद पटेल के लिए  चिंता की खबर तो है ही | 

 

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