राजनीतिक ब्लैकमेलिंग पर उतरे संजय राऊत

Publsihed: 28.Dec.2020, 21:45

अजय सेतिया शिवसेना ने प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के मुम्बई स्थित कार्यालय पर प्रदेश भाजपा कार्यालय का बैनर लगा दिया है | कारण यह है कि पीएमसी बैंक घोटाले में ईडी ने शिवसेना के मुखपत्र सामना के सम्पादक और सांसद संजय राऊत की पत्नी वर्षा राऊत को सम्मन भेजा है | यह तीसरा सम्मन है , इस से पहले भी दो सम्मन भेजे जा चुके थे , लेकिन वह नहीं आई | जब के भाजपा शिवसेना में तलाक हुआ है , दोनों दलों के सम्बन्ध दुश्मनी वाले हो गए हैं | अपने राजनीतिक विरोधियों के साथ दुश्मनों वाला बर्ताव राजनीति में नया नहीं है |

सत्ताधारी दल अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ केन्द्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करते रहे हैं | नरसिंह राव और मनमोहन सिंह ने मुलायम सिंह और मायावती दोनों पर आमदनी से ज्यादा सम्पत्ति की तलवार लटका कर अपनी अल्पमत सरकार के लिए समर्थन हासिल रखा था | जांच सीबीआई कर रही थी और जब कोई आँख दिखाता था सीबीआई का नया बयान आ जाता था , या सुप्रीमकोर्ट से सीबीआई को फटकार प्रायोजित हो जाती थी | कर्नाटक में सिद्धरमैया की सरकार जब अस्थिर थी , तब केन्द्रीय एजेंसियां कांग्रेसी नेताओं पर छापेमारी कर रही थीं | अभी इसी साल जब राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार अस्थिर हुई तो अशोक गहलोत के भाई और बेटे के व्यापारिक संस्थान ईडी की छापेमारी का शिकार हुए थे | इन्हीं वजहों से सुप्रीमकोर्ट ने सीबीआई को मालिक का तोता कहा था |

सवाल यह है कि केन्द्रीय एजेंसियां अपने आप ही स्वामी भक्ति दिखानी शुरू कर देती हैं या राजनीतिक इशारा किया जाता है | शक इस लिए पैदा होता है , क्योंकि जैसे ही कोई राजनीतिक अस्थिरता खत्म होती है , जांच का कुछ पता ही नहीं चलता | जिन जांचों का हो हल्ला आप ने राजनीतिक अस्थिरता के समय सुना था , क्या बाद में कभी सुनाई दिया | अपन को आज तक पता नहीं चला कि मुलायम सिंह , मायावती , अखिलेश यादव के आमदनी से ज्यादा सम्पत्ति मामलों का आखिर हुआ क्या | सिवा जयललिता , शशी कला और लालू यादव अपन ने किसी बड़े राजनीतिग्य को जेल जाते नहीं देखा | कामनवैल्थ गेम घोटाले में कलमाडी का बाल भी बांका नहीं हुआ | नेहरु के समय हुए हरिदास मूंदडा के एलआईसी घोटाले में भी मूंदडा को 22 साल की सजा हुई थी , लेकिन वित्त मंत्री टी.टी.कृष्णामाचारी से इस्तीफे से बच निकले थे |

अगर राजनीतिग्य घोटाले नहीं करते तो इतनी सम्पत्ति कहाँ से आती है , आप याद करों 2014 के चुनाव में सोनिया गांधी के दामाद रोबर्ट वाड्रा के कितने घोटाले सामने आए थे , ईडी ने जांच भी की , शादी के बाद वह कखपति से लखपति बन गया , लेकिन अभी तक उस का बाल भी बांका नहीं हुआ | केन्द्रीय एजंसियां अपने आकाओं को खुश कर के चुप्पी साध लेती हैं और विपक्षी नेताओं के मामले दबा कर उन का दिल भी जीत लेती हैं | शिवसेना के सांसद संजय राऊत को इस बात पर एतराज है कि उन की पत्नी से पूछताछ क्यों की जा रही है , जब सोनिया गांधी की अथाह सम्पत्ति नहीं पूछी जा रही , जब राबर्ट वाड्रा की राजनीतिक तरीकों से कमाई गई अरबों की सम्पत्ति पर उन का बाल भी बांका नहीं हुआ , तो उन्हें क्यों पूछा जा रहा है कि पीएमसी बैंक घोटाले से उन का या उन की पत्नी का कुछ लेना देना है या नहीं |

संजय राऊत ने जब ईडी के कार्यालय पर भाजपा कार्यालय का बैनर लगवाया , तो इस मतलब सिर्फ इतना था कि ईडी के अफसर भाजपा कार्यकर्ता की तरह व्यवहार कर रहे हैं , यहाँ तक तो ठीक था , लेकिन संजय राऊत ने यह कह कर खुद के और अपनी पत्नी के पीएमसी बैंक घोटाले में शामिल होने का संदेह पैदा कर लिया कि उन के पास बीजेपी की एक ऐसी फाईल है जिसमें 121 लोगों के नाम हैं , जिसे वह जल्द ही ईडी को देंगे | अब वह अगर यह फाईल ईडी को देंगे , तो निश्चित ही ईडी सालों साल इन नेताओं की जांच में उलझी रहेगी , लेकिन सवाल यह है कि क्या यह ब्लेकमेलिंग है कि अगर आप मेरी पत्नी के खिलाफ जांच बंद नहीं करेंगे , तो मैं भाजपा नेताओं को नंगा करूंगा | अपन जानते हैं कि मोदी इन दबावों में नहीं आते , वह अपना पराया नहीं देखते , देखना होगा कि संजय राऊत की पत्नी की जांच किसी नतीजे तक पहुंचती भी है या मुलायम सिंह , मायावती , सोनिया गांधी , राबर्ट वाड्रा की तरह फाईलों में ही दब जाएगी |

 

 

आपकी प्रतिक्रिया