अजय सेतिया / दिल्ली में दो दो सरकारें काम कर रही हैं | केंद्र की मोदी सरकार और दिल्ली की केजरीवाल सरकार | कोरोना वायरस को काबू में रखने के हवाई दावे दोनों ओर से हो रहे हैं | पर जमीनी हकीकत कुछ और है | पिछले दिनों 16 साल की एक लडकी ने सोशल मीडिया पर वीडियो दाल कर इस हकीकत को उजागर किया था | 16 अप्रेल को उस के बीमार होने पर उसे एक प्राईवेट अस्पताल में भर्ती करवाया गया था | अगले दिन रात को उस का कोरोना वायरस टेस्ट पोजिटिव आया तो निजी अस्पताल ने मरीज को दिल्ली सरकार ने एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती करवा दिया था , जहां न तो डाक्टरों ने 36 घंटे तक उस को पूछा , न खाने को कुछ दिया , न उस के घर वालों को उस से मिलने दिया गया था |
वीडियो वायरल होने के बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्ष वर्धन ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री को जानकारी दी तो मरीज को तुरंत डाक्टरी सहायता उपलब्ध करवाई गई | इस के बाद दिल्ली सरकार ने उसी बच्ची से दुबारा वीडियो बनवाया कि अब उस के पिता की ठीक से देखभाल की जा रही है | फिर दिल्ली सरकार ने उस वीडियो को सोशल मीडिया पर दाल कर त्वरित कार्यवाही के लिए अपनी पीठ थपथपाई | उस से पहले करीब तीन हफ्ते तक देश भर के लोगों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को हर रोज टीवी पर मियाँ मिठ्ठू बनते देखा था | कोरोनावायरस को भी वह अपनी प्रसिद्धि के लिए भुनाते रहे | सिर्फ हर रोज की प्रेस कांफ्रेंस से भी पेट नहीं भरा तो सरकारी खजाने से अखबारों , टीवी चेनलों पर विज्ञापन दे कर हवाई दावे करते रहे थे | जबकि दिल्ली कोरोना वायरस से पीड़ितों की संख्या दृष्टी से देश में तीसरे नम्बर पर है |
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी चिठ्ठी में ऐसी संकट की घड़ी में अखबारों टीवी चेनलों को सरकारी विज्ञापन बंद करने की सलाह दी , तब केजरीवाल को लगा कि सोनिया कहीं उन पर कटाक्ष तो नहीं कर रही | तब जा कर केजरीवाल ने अपनी प्रसिद्धि के लिए सरकारी धन लुटाना बंद किया | प्रेस कांफ्रेंसों में हवाई किले बनाना उस के बाद भी जारी रहा , लेकिन अब फिर 14 साल के एक बच्चे की मौसी ने वीडियो बना कर केंद्र और दिल्ली सरकारों के हवाई किलों की धज्जियां उड़ा दी हैं |
पूर्वी दिल्ली में गांधी नगर के मुलतानी मोहल्ले में रहने वाला एक शख्स अपने 14 साल सके बच्चे को कोरोना संक्रमित बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए चौबीस घंटे तक भटक रहा था | 27 अप्रेल को रात 9 बजे से ले कर 28 अप्रेल शाम तक निजी और सरकारी अस्पतालों के चक्कर लगाता रहा | केंद्र सरकार के राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने भी उसे भर्ती नहीं किया और दिल्ली सरकार के एलएनजेपी अस्पताल ने भी भर्ती नहीं किया , इस बात की भी किसी ने चिंता नहीं की कि इस बीच बच्चे पारिवारिक सदस्यों समेत कितने ही लोगों को संक्रमण हो सकता है | उसे यह कह कर भर्ती नहीं किया गया कि उस की उम्र 14 साल है | यह क्या नियम हुआ , उस की उम्र चौदह साल है तो क्या उसे मरने दिया जाए | अपने देश की भावी पीढी को कौन इस तरह मरने के लिए छोड़ता है |
मेक्स अस्पताल ने कहा कि वह 18 साल से ऊपर के मरीजों को भर्ती करता है और उनके पास बेड भी नहीं है | इसके बाद वे उसे केंद्र सरकार के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में ले गए , फिर उसे दिल्ली सरकार के एलएनजेपी अस्पताल ले गए | दोनों अस्पताल कोरोना पीड़ितों के लिए रिजर्व हैं , पर दोनों ने भर्ती करने से मना कर दिया | बच्चे की मौसी ने वीडियो में अपने परिवार का दुःख उजागर करते हुए कहा , "हमारा बच्चा कई घंटों से रो रहा है और कह रहा है कि वह मरना नहीं चाहता | वह मुझसे फोन पर कह रहा है कि "मौसी मुझे बचा लो, मुझे नहीं मरना |" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ले कर स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन और हर रोज की प्रेस कांफ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल तक जिस कोविड-19 हेल्पलाइन का जिक्र करते हैं , वहां फोन करने पर भी कोई मदद नहीं पहुंची | पुलिस को फोन करने पर भी कोई मदद नहीं पहुंची तो बच्चे की मौसी ने अपने फोन नम्बर जाहिर करते बच्चे की मौसी ने कहा, "हम बहुत असहाय महसूस कर रहे हैं | मैं हाथ जोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से अपील करना चाहती हूं कि वो हमारे बच्चे की मदद करें और उसे अस्पताल में भर्ती करवा दें |उसके माता-पिता को भी उसके साथ क्वारैंटाइन कर दें |"
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