आत्मविश्वास के लिए राष्ट्रपति का चुनाव लडेगा विपक्ष 

Publsihed: 26.May.2017, 22:59

राष्ट्रपति के चुनाव का एलान कभी भी हो सकता है | पच्चीस जुलाई को तो नए राष्ट्रपति को शपथ लेनी है | पच्चास दिन की चुनाव प्रक्रिया होती है | तो अब दिन ही कितने बचे | चुनाव का एलान बस पांच-सात दिन में हो जाएगा | भले ही एनडीए ने अभी अपने उम्मींदवार का एलान नहीं किया | विपक्ष ने चुनाव लड़ने का मन बना लिया है | सत्ता  पक्ष का उम्मींदवार कोई भी हो | सोनिया गांधी ने विपक्ष को एकजुट करने की पहल की है | शुक्रवार को संसद की लाईब्रेरी में विपक्ष के नेतायों का जमावड़ा हुआ | जमावड़े के दो मतलब थे | पहला तो था राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपत्ति के चुनाव पर चर्चा | दूसरा था, मोदी के तीन साल की नाकामियों को उजागर करना | तीन साल में विपक्ष मोदी के सामने कोई कद्दावर नेता खडा नहीं कर पाया | न ही जनता में अब विपक्ष की कोई साख बची है | शुक्रवार की मीटिंग में भी भ्रष्टाचार में सजायाफ्ता लालू यादव को देख विपक्ष की साख बनी होगी | साथ में जेल जा चुकी कन्नीमुरी भी बैठी थी | यों तो कुल मिलाकर छोटे-बड़े 17 दल मौजूद थे | गैर एनडीए के तीन बड़े दल जमावड़े से नदारद थे | उड़ीसा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल नहीं आया | तेलंगाना में सत्तारूढ़ टीआरसी नहीं आया | तमिलनाडू में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक नहीं आया | मुख्यमंत्रियों में ले दे कर ममता बेनर्जी आई | मायावती आई,तो अखिलेश यादव भी आए |  ममता और वामपंथी दोनों मौजूद थे | नीतीश कुमार तक गच्चा दे गए | अपनी मजबूरी बता दी | पर शनिवार को मोदी के साथ दोपहर भोज में जरुर दिखेंगे | मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के सम्मान में मोदी ने भोज रखा है | जो बयान पहले नीतीश कुमार ने दिया था | वही बयान शुक्रवार को ममता बेनर्जी ने दिया | उन ने कहा-" सरकार की जिम्मेदारी है कि कि विपक्ष से सलाह कर सर्वसम्मत उम्मींदवार  तय करे | पर अगर सरकार ने ऐसा नहीं किया, तो सरकार का उम्मीन्द्वार देख कर विपक्ष उम्मीन्द्वार तय करेगा | " मीटिंग के बाद गुलामनबी ने आधिकारिक बयान दिया | उनने कहा -अगर सरकार ने सर्वसम्मति नहीं बनाई ,तो विपक्ष उम्मीन्दवार खडा करेगा |" नाम का इशारा न सरकार की ओर से हो रहा है, विपक्ष की ओर से | भाजपा के बड़े बड़े नेता भी एक दुसरे से पूछते है | नरेंद्र मोदी और अमित शाह के करीबियों को भी कोई भनक नहीं लग रही | संसद के गलियारों में साल भर पहले से अटकलों का दौर चल रहा है | शुरू में महिला को राष्ट्रपति बनाने की थ्योरी चली | तो सब से पहले आनंदीबेन का नाम उछला | फिर नजमा हेपतुल्ला से ले कर सुमित्रा महाजन तक के नाम उछले |  झारखंड की गवर्नर द्रोपदी मुर्मू का नाम भी उछल कर गायब हो गया | वैसे सुषमा स्वराज का नाम भी कम गंभीर नहीं | बीच में पुरुष वर्ग से आडवाणी, जोशी,अरुण जेटली पता नहीं क्या क्या | एक बार तो भाई लोगों ने सरसंघ चालक मोहन भागवत का नाम भी ले लिया था | क्योंकि उपराष्ट्रपति का चुनाव भी 10 अगस्त से पहले होगा | सो सुमित्रा महाजन या नजमा हेपतुल्ला को उप-राष्ट्रपति बनाने की बात भी है | जब से भाजपा ने दिल्ली की तीनों मेयर महिलाएं बना दी हैं | तब से राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति दोनों महिलाएं बनाने की थ्योरी भी है | यों उपराष्ट्रपति के लिए दक्षिण के नाम पर वेकैया | दलित के नाम पर थावरचंद और जटिया | यादव के नाम पर हुकुमदेव नारायण का नाम गलियारों में है | राष्ट्रपति के चुनाव में 10,98,882 वोट होते हैं | तीन-चार महीने पहले जब जमीनी आकलन शुरू हुआ | तो भाजपा काफी पीछे थी | यूपी,उतराखंड के चुनाव नतीजों से भाजपा काफी आगे निकल गयी | फिर भी अपना राष्ट्रपति बनाने की स्थिति में नहीं आई भाजपा | भाजपा को अपना खुद का राष्ट्रपति बनवाने के लिए 25000 वोट कम पड रहे थे | जो आंध्र की वाईएसआर कांग्रेस ने मोदी को भरोसा दे कर पूरी कर दी है | एनडीए का उम्मीन्द्वार जीतना तय है | बीजू जनता दल भले ही विपक्ष के साथ जा सकता है | पर अन्नाद्रमुक और तेलंगाना राष्ट्र समिति का एनडीए के साथ जाना पक्का समझिए | जिस दिन ये दोनों दल एलान करे देंगे | उसी दिन साफ़ हो जाएगा कि विपक्ष का उम्मीन्द्वार तीन लाख वोट से हारेगा | एनडीए के उम्मीन्द्वार की झोली में साधे छह लाख वोट होंगे | जबकि विपक्ष का उम्मीन्द्वार साधे तीन लाख पर खडा होगा | सोनिया गांधी की पहल का मतलब समझिए | विपक्ष का साझा उम्मीन्द्वार मोदी पर मानसिक दबाव बनाएगा | वोटों में से अगर 60 प्रतिशत वोट एनडीए के उम्मीन्दवार को मिले | बाकी 40 प्रतिशत वोट विपक्ष के उम्मीन्दवार को मिले | तो यह जो मोदी के पक्ष में एकतरफा माहौल बना पडा है | उसे चोट पहुंचेगी | लुंज-पुंज पडी विपक्षी पार्टियों में माहौल बने गा कि 60-40 का अंतर है | जो बहुत ज्यादा भी नहीं कहा जा सकता | इस लिए अपन ने कहा कि विपक्ष चुनाव जरूर लडेगा | अपना आत्मविश्वास जगाने के लिए चुनाव लडेगा विपक्ष | फिर उम्मीन्दवार भले ही गोपाल कृष्ण गांधी हो, या शरद यादव क्या फर्क पड़ता है | 

 

आपकी प्रतिक्रिया