शहरी नक्सली है सोनिया की टीम का सदस्य

Publsihed: 27.Apr.2020, 20:34

अजय सेतिया / देश के किसी राज्य में हुई किसी जन आक्रोश की घटना की सलीके से जांच हो , तो उस के पीछे शहरी नक्सलियों की भूमिका निकल आती है | भीमा कोरेगांव का मामला बहुत पुराना नहीं है | मोदी सरकार ने पहली बार शहरी नक्सलियों को गिरफ्तार करने की हिम्मत दिखाई तो कांग्रेस और वामपंथी दल खुल कर उन की पीठ पर खड़े दिखाई दिए | अपन इस से अंदाज लगा सकते हैं कि पिछले सत्तर साल से शहरी नक्सलियों को खाद पानी कौन दे रहा था | कांग्रेस के नेता यह कहते हुए खुल कर नक्सलवाद का समर्थन करते रहे हैं  कि उन का शोषण होता है ,वे इस लिए नक्सली बनते हैं |

भीमा कोरेगांव के बाद पालघर की घटना ने देश के खिलाफ चल रही साजिश के कई राज खोल दिए हैं | कोरेगांव की घटना ने शहरी नक्सलियों की ओर से दलितों को भारत के खिलाफ भडकाने के सबूत दिए थे , तो पालघर की घटना ने नक्सलियों-  ईसाईयों के गठजोड़ के सबूत उगलने शुरू कर दिए हैं | सोनिया गांधी की जिस गैर संवैधानिक राष्ट्रीय सलाहाकार परिषद का जिक्र बार बार आता है , और जिस के कारण सोनिया गांधी को लोकसभा से इस्तीफा दे कर दुबारा चुनाव लड़ने की नौबत आई थी , उस के सदस्यों के चर्च और नक्सलवादियों से तार जुड़े होने के पुख्ता सबूत मिलने लगे हैं |

पालघर में दो साधुओं की हत्या की जांच में जिस काश्तकारी संगठन का जिक्र आ रहा है , उस के बनने के पीछे चर्च की भूमिका और इस संगठन को खड़ा करने वाले पीटर ड मेलौ की सोनिया गांधी से नजदीकी के सबूत मिल चुके हैं | दूसरी वेटिकन कौंसिल की बैठक 1962 से 1965 तक हुई थी , जिस में फैसला किया गया था कि मिशनरी दुनिया भर में गरीबों और पिछड़ों को संगठित कर के सरकारों के खिलाफ आन्दोलन के लिए काम करेंगे | इस कौंसिल के बाद 1968 में पेरू के ईसाई नेता गुस्तावो ग्यूतिरेज़ ने लिबरेशन थियोलोजी मूवमेंट खडी की | यह ईसाई आन्दोलन जल्द ही अफ्रीकन और एशियाई देशों में फ़ैल गया , 70 के शुरू में आंदोलनकारी ईसाई ग्रुपों ने भारत में भी आना शुरू कर दिया था |

पीटर ड मेलौ 1975 तक थाणे जिले की थलसारी चर्च में पादरी था | तभी उस ने लिबरेशन थियोलोजी मूवमेंट का काम शुरू कर दिया था | वेटिकन सिटी की ओर से सौंपी गई नई भूमिका के तहत 1978 में पीटर ड मेलौ ने लिबरेशन थियोलोजी मूवमेंट के अंतर्गत महाराष्ट्र के थाणे जिले में दहानू क्षेत्र में काश्तकारी संगठन की स्थापना की | आदिवासियों के बीच घुलने मिलने के लिए पीटर ने अपना नया हिन्दू नाम रखा प्रदीप प्रभू | संगठन पहले दिन से आदिवासी ग्रामीणों को भडका कर भारत तोड़ो मुहीम चला रहा है , एक तरफ चर्च उन्हें हिन्दू धर्म के खिलाफ भडकाने का काम करती है , तो दूसरी तरफ काश्तकारी संगठन उन्हें सरकारों के खिलाफ भडकाने का काम करती हैं | वे ऐसे मुद्दे ढूंढते रहते हैं , जिन्हें सामने रख कर आदिवासियों में गुस्सा और आक्रोश पैदा होता रहे |

शुरू के दो सालों में इसी इलाके में काम कर रहे कम्यूनिस्टों और काश्तकारी संगठन में काफी टकराव रहा , लेकिन 1980 में दोनों संगठनों में समझौता हो गया क्योंकि दोनों का मकसद एक ही था | पीटर पूना से ला ग्रेजुएट है , ईसाई पादरी होने के कारण उसने सोनिया गांधी से 1980-81 में ही सम्बन्ध बना लिए थे | इन्हीं सम्बन्धों के कारण आईएएस लाबी में भी घुसपैठ हो गई और 1983 से लाल बहादुर शास्त्री प्रशाशनिक अकादमी में आदिवासियों के जीवन पर प्रशिक्षु आईएएस अदिकारियों को लेक्चर देने की जिम्मेदारी मिल गई |

मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में नक्सलियों के साथ मिल कर काम करने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी बीडी शर्मा और पीटर का लक्ष्य एक ही था , आदिवासियों में आक्रोश पैदा करना | 1992 में दोनों ने मिल कर भारत जन अंदोलन नाम के संगठन की स्थापना की जिस का लक्ष्य भारत में आदिवासी सेल्फ रूल की स्थापना करना था | 2004 में जब सोनिया गांधी एनएसी की अध्यक्ष बनी तो पीटर अपने हिन्दू नाम प्रदीप प्रभू के तौर पर वर्किंग ग्रुप का सदस्य था | अब यह खुल कर सामने आ रहा है कि पालघर इलाके में आदिवासियों में हिन्दूओं , सरकार और भारत के खिलाफ आक्रोश पैदा करने में काश्तकारी संगठन 40 साल से लगा हुआ था | 

 

आपकी प्रतिक्रिया