मोदी बस्तर-घाटी में सख्ती करें या आम सहमति बनाएं 

Publsihed: 26.Apr.2017, 11:25

देशभक्त कौन है | देशद्रोही कौन हैं | अब यह सवाल उठाना ही जुर्म हो गया | कश्मीर और बस्तर की आज़ादी मांगने वालो से सवाल पूछो , तो जवाब आएगा -" आप से हमें देशभक्ति का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए |" वे कहते हैं आज़ादी के नारे लगाना देशद्रोह नहीं है | इन वामपंथियों की बात भारत के किसी नागरिक के समझ नहीं आ रही | सिवा मुट्ठीभर जेएनयूंवादियों के |  जेएनयूंवादियों में अब अपन अब सब फर्जी बुद्धिजीवियों को जोड़ सकते हैं | सोमवार को बस्तर में नक्सलियों ने 26 जवानों की जान ले ली थी | मंगलवार को भी बड़ी बेशर्मी से जेएनयू की वामपंथी टीचर युनियन ने कहा-" कश्मीर और बस्तर में जनता और सरकार के बीच टकराव के मुद्दे हैं | टकराव के मुद्दों की जड़ में जाना होगा |" भले ही वे लोक दिखावे के लिए हिंसा की निंदा करें | जैसे अग्निवेश, अरुंधती राय, जॉन दयाल जैसे करते हैं | पर टकराव के मुद्दे बता कर नक्सलियों का समर्थन ही करेंगे | क्या इन के पास इस बात का जवाब है कि नक्सली विकास के प्रोजेक्ट क्यों रोकते हैं | अब तक 1400 प्रोजेक्ट नक्सलियों का निशाना बन चुके | वामपंथियों को तो छोडिए | छतीसगढ़ में हारने वाली कांग्रेस भी आज़ादी के नारों का समर्थन करने चली जाती है | कांग्रेस के किसी नेता ने राहुल गांधी पर सवाल नहीं उठाया |  जबकि छतीसगढ़ के सारे कांग्रेस नेतृत्व को नक्सलियों ने मार डाला था | घाटी और बस्तर का लिंक जेएनयू में साफ़ दिखता है | अगर आज़ादी के नारों का घाटी और बस्तर से लिंक न होता | तो जेएनयू में घाटी,बस्तर के नारे क्यों लगते | जेएनयू के नारे घाटी और बस्तर में देशद्रोहियों का हौंसला बढाते हैं | जब से जेएनयू में आज़ादी के नारे लगे, तभी से हम उस का असर घाटी में भी देख रहे थे | सोमवार को बस्तर में भी जेएनयूं के नारों का असर देख लिया |  जेएनयू ब्रिगेड ने घाटी में सैनिकों के खिलाफ पत्थराव शुरू कर रखा है | वे सैनिकों को घेर कर आज़ादी के नारे लगाते हैं | जेएनयू में अपन ने वामपंथी लड़कियों के भी भारत विरोधी नारे सुने थे | मंगलवार को घाटी में भी स्कूली लड़कियों को सडकों पर पत्थराव और नारे लगाता देख लिया | पत्थराव और नारेबाजी करते जेएनयूवादी पहले सिर्फ आतंकवादियों की ढाल बनते थे | आतंकवादियों को मुठभेड़ से बचा कर निकालने का रास्ता बनाते थे | अब वे सैनिकों को सडकों पर चलने तक नहीं दे रहे | हू-ब-हू वही सोमवार को बस्तर में हुआ | तीन सौ नक्सलियों ने बस्तर के सुकमा इलाके में जवानों पर हमला बोला | मुठभेड़ में 26 जवान शहीद हो गए | देश घाटी और बस्तर की हिंसा के खिलाफ खडा होता है | जब कि अपने नेता जेएनयू में आज़ादी के नारों को अभिव्यक्ति की आज़ादी बताते हैं | राहुल, केजरीवाल को जेएनयू के नारों का घाटी ,बस्तर की घटनाओं से लिंक नजर नहीं आता | वामपंथियों का बुध्दिजीवी ब्रिगेड ऐरी-गैरी ख़बरों पर हर रोज सोशल मीडिया में बवाल मचाता हैं | कभी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बता कर बवाल काटेंगे | कभी असहिष्णयुता का बवाल मचाएंगे | वामपंथियो का बवाल का एजेंडा तो समझ में आता हैं | पर आज़ादी के आन्दोलन की वारिस कांग्रेस देश के टुकडे करने वालों का समर्थन करेगी , यह किस ने सोचा था | राहुल गांधी के गुरु दिग्विजय सिंह ने मंगलवार को फिर मुहं खोला | उनने मुख्यमंत्री रमण सिंह की नक्सलियों के साथ गठजोड़ बता दिया | उधर गुलामनबी आज़ाद पत्थरबाजों के समर्थन में फारूख अब्दुल्ला की भाषा बोल रहे हैं | घाटी में हालात विद्रोह के हो चुके हैं | नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस उसे हवा दे रही है | नरेंद्र मोदी की कश्मीर नीति पर सवाल उठ रहे हैं | पाकिस्तान और जेएनयू आतंकवादियों को सरंक्षण देने के अड्डे बने हुए हैं | मंगलवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ यूनिवर्सिटी की वेब साईट हैक हो गई | जेएनयू की वेबसाईट हैक नहीं हुई | भले ही हैकर ने खुद को पाकिस्तानी बताया है | भाषा वही है, जो जेएनयू में बोली गई थी | हैकर ने लिखा है- " क्या तुम लोग जानते हो कि कश्मीर में तुम्हारे हीरो (सैनिक) क्या कर रहे हैं ? क्या तुम जानते हो वे कश्मीर में कई बेगुनाहों को मार रहे हैं ? क्या तुम्हें पता है कि उन्होंने कितनी लड़कियों का रेप किया है ? क्या तुम जानते हो वो अब ऐसा ही कर रहे हैं ? अगर तुम्हारे भाई, बहन, पिता या फिर मां को मार दिया जाएगा तो तुम्हें कैसा लगेगा ?" इसके अलावा लिखा गया है -"कश्मीर आने वाले वक्त में पाकिस्तान हो जाएगा |" इस सच को मानना होगा, कश्मीर के हालात 199० से भी बदतर हो गए हैं |  पीडीपी महबूबा मुफ्ती को राज करना नहीं आ रहा | वह समझ नहीं पा रही कि पत्थरबाजों से कैसे निपटे | सोमवार को दिल्ली आई महबूबा ने मोदी के सामने वाजपेयी का जिक्र किया | कहा -" वाजपेयी का फार्मूला अपनाया जाए | अलगाववादियों से बात की जाए |" अपन को नहीं लगता मोदी हुर्रियत से बात न करने की मौजूदा नीति बदलेंगे | भाजपा-पीडीपी में अविश्वाश गहरा होता जा रहा है | जमीन पर पीडीपी-भाजपा नेता एक दुसरे के खिलाफ बोलना शुरू हो चुके | अपन को लगता है दोनों एक दुसरे से छुटकारा पाने की फिराक में हैं | जम्मू कश्मीर राज्यपाल शासन की ओर बढ़ रहा है | एक मजबूत गवर्नर की तलाश शुरू हो गई है | | महबूबा मुफ्ती ने आतंकियों से बातचीत की वकालत की | तो अग्निवेश ने नक्सलियों से बातचीत की वकालत की | कश्मीर और बस्तर दोनों जगहों पर चीन की देश तोड़ो साजिश चल रही है |  सिर्फ निंदा की खानापूर्ति से बात नहीं बनेंगी | उन के समर्थकों की पहचान जरुरी है | अग्निवेशों, अरुंधती राय, जॉन दयालों की पहचान करनी होगी | जेएनयू में देश विरोधी नारेबाजों के बस्तर,घाटी में लिंक ढूँढने होंगे | ताकि कोई अदालत उन का बचाव न कर सके | ताकि उन्हें देशद्रोहियों की श्रेणी में रख कर देश अपनी दिशा तय करे | ताकि कोई राहुल, येचुरी, केजरीवाल देशद्रोहियों का समर्थन करने न जा सके |  बस्तर और घाटी देश की आज़ादी के लिए दो बड़े खतरे बन चुके हैं | अगर मोदी सख्ती से नहीं निपट सकते, तो इन दोनों मुद्दों पर सर्वदलीय सहमति की रणनीति बनानी चाहिए |

 

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