खोटा सिक्का निकले अजित पवार

Publsihed: 26.Nov.2019, 16:31

अजय सेतिया / हूँ-ब-हूँ कर्नाटक दोहराया गया | कर्नाटक में भी सुप्रीमकोर्ट ने ऐसे ही बी.एस.येद्दियुरप्पा को 24 घंटे में बहुमत साबित करने को कहा था | कर्नाटक विधानसभा की 224 सीटें हैं और भाजपा को 104 सीटें मिलीं थी , बहुमत के लिए सिर्फ 8 विधायक चाहिए थे | खरीद-फरोख्त की बहुत कोशिश हुई , कांग्रेस-जेडीएस के कुछ विधायक मुम्बई भेजे भी गए | पर आठ विधायक नहीं जुट पाए थे , इसलिए 24 घंटे बाद 19 मई 2018 को शाम चार बजे मतविभाजन से पहले भावुक भाषण दे कर इस्तीफा दे दिया था | अब कर्नाटक में भी वही हुआ , भाजपा जिस अजित पवार को तोड़ कर लाई थी , वह बहुमत के लिए वांछित 40 विधायक नहीं जुटा पाए , पांच दिन तक भाजपा की जलालत करवा कर खुद ही उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर चले गए  | तब देवेन्द्र फडणविस  के पल्ले भी क्या बचा था , वह भी इस्तीफा देने को मजबूर हुए | उन्होंने येद्दियुरप्पा की तरह विधानसभा में भाषण देने की हिम्मत भी नहीं की, मीडिया के सामने ही अपनी नाकामी का भाषण दे कर  इस्तीफा दे दिया |

कर्नाटक में तो चोट खाए येद्दियुरप्पा ने आखिरकार कांग्रेस के 15 विधायक तोड़ कर अपनी सरकार बना ही ली | महाराष्ट्र में ऐसी कोई सम्भावना नहीं दिखती , भाजपा को सरकार बनाने के लिए 40 विधायकों की जरूरत है , जो तीनों दलों में से एक दल टूटे बिना सम्भव नहीं है | वैसे अपन को बिहार याद रखना चाहिए , जहां नितीश कुमार ने चुनाव से पहले भाजपा से गठबंधन तोड़ कर लालू यादव के साथ मिल कर चुनाव लडा ,वह वैचारिक गठबंधन बताया गया था | लेकिन बाद में विचारधारा से बड़ा मुद्दा भ्रष्टाचार हो गया और नितीश कुमार ने लालू का साथ छोड़ कर दुबारा भाजपा से साथ सरकार बनाई |

महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी का गठबंधन बिहार की तरह विचारधारा का गठबंधन भी नहीं है | शिवसेना हिंदुत्व विचारधारा की पार्टी है , सिर्फ हिंदुत्व नहीं , बल्कि उग्र हिंदुत्व वाली पार्टी | जिस ने ताल थोक कर कहा था कि बाबरी मस्जिद शिव सैनिकों ने तोडी है | उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री बनने के लिए एक दिन पहले ही भगवा कुर्ता पाजामा उतार फैंका और पेंट शर्ट पहन ली थी | सिर्फ पोशाक बदलने से विचारधारा तो नहीं बदलती उन्हें आए दिन सेक्यूलर होने का सबूत देना पडेगा | शिवसेना के कुछ विधायक और सांसद इस नए माहौल में असहज महसूस करेंगे , कादर तो असहज होगा ही , इसलिए शिवसेना में कभी भी फूट पड सकती है | भाजपा अब इसी उम्मींद में बैठी रह सकती है , या शरद पवार से माफी मांग कर उन्हें अपने खेमे में लाना होगा | माफी इसलिए क्योंकि चुनावों के दौरान ईडी की जांच लिस्ट में उन का नाम जुडवा कर मोदी ने दुश्मनी पालने की शुरुआत की थी , वरना वह शरद पवार ही थे , जिन्होंने 2014 में अपनी मौन सहमति से भाजपा की सरकार बनवा दी थी | मोदी ने सोते शेर को जगाया था , तो अब देश का सब से समृद्ध राज्य गवाने का फल भोगें |

शरद पवार ने गुजराती चाणक्य का भ्रम तोड़ कर मराठी चाणक्य का सिक्का जमा दिया है | अजित पवार शुगर लाबी के जो 21 विधायक तोड़ कर लाए थे , वे शरद पवार की रणनीति से वापस लौट गए | चाचा को बुढा समझने वाले अजित पवार को भी समझ आ गया होगा कि बूढ़े हो जाने के बावजूद मराठा राजनीति और शुगर लाबी पर शरद पवार की पकड़ बरकरार है | अजित पवार मोदी-अमित शाह के खोटे सिक्के साबित हुए | यह विश्लेष्ण का एक पहलू है , दूसरा पहलू यह है कि एनसीपी बार बार यह क्यूं कह रही थी कि अजित पवार लौट कर आएँगे , शरद पवार ने उन्हें निलम्बित क्यों नहीं किया था | क्या वह भाजपा खेमे में आ कर शरद पवार के लिए बारगेनिंग कर रहे थे , जिसे मोदी-अमित शाह समझ नहीं पाए और राजनीति के चाणक्य होने का भ्रम टूट गया |

 

आपकी प्रतिक्रिया