टूलकिट और आंसुओं की राजनीति

Publsihed: 26.May.2021, 08:28

अजय सेतिया  / मोदी की छवि खराब करने और और उन्हें बदनाम करने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी ने सारे घोड़े खोल दिए हैं | वे काफी हद तक कामयाब हो चुके हैं | रोहित वेमूला केस में दलित-वामपंथी गठजोड़ सामने आया था | नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ आन्दोलन में मुस्लिम-वामपंथी गठजोड़ सामने आया | नागरिकता संशोधन क़ानून की मुखालफत के लिए उन्होंने अपने स्टूडेंट विंग , फ़िल्मी कलाकार विंग और महिला विंग को काम पर लगाया था | कट्टरपंथी मुस्लिमों के अलावा कम्युनिस्टों की पिंजरा तोड़ जत्थेबंदी ने आन्दोलन को हिंसक बनाने में अहम भूमिका निभाई थी | वामपंथी पत्रकारों ने प्रचार का जिम्मा उठाया | उन्होंने विदेशी अखबारों के नुमाईंदों के दिमाग में नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ जहर भरा | तो अपन ने देखा कि सारा विदेशी मीडिया नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ टूट पड़ा था |

फिर कश्मीर के मुद्दे पर जब 370 और 35 ए खत्म की गई तो सारा भारतीय मीडिया एक तरफ था | याद नहीं आता कि किसी भारतीय मीडिया ने 370 और 35 ए हटाने का विरोध किया हो | भारतीय वामपंथी पत्रकार टीवी चेनलों पर अपनी भडास निकाल रहे थे , लेकिन अखबारों में उन की स्टोरियाँ नहीं चल रही थीं | वे बामुश्किल इंटरनेट बंदी , फारूख अब्दुला , महबूबा की नजरबन्दी के बहाने कुछ लिख पा रहे थे | पर सारा विदेशी मीडिया उल्टी भाषा लिख रहा था | किसानों के मुद्दे पर कम्युनिस्टों ने फिर कमान अपने हाथ में ले ली | किसानों का आन्दोलन पंजाब की कम्युनिस्ट जत्थेबंदियों का शुरू किया हुआ है | इसे नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ आन्दोलन की तर्ज पर चलाया जा रहा है | अपन जानते हैं कि कम्युनिस्टों को लंबा आंदोलन चलाने की महारत हासिल है |

किसान आन्दोलन को दुनिया भर में मोदी के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए कम्युनिस्टों ने अपने एनजीओ नेटवर्क को इस्तेमाल किया | इसी में ग्रेटा थनबर्ग का लिंक सामने आया था | जिस ने गलती से आन्दोलन रणनीति की टूलकिट को ट्विट के साथ नत्थी कर दिया था | इस टूलकिट को तकनीकी सपोर्ट दिशा रवि नाम की भारतीय वामपंथी इंजीनियर ने दी थी | अपन ने देखा कि दिशा के बचाव में कैसे सारा भारतीय वामपंथी मीडिया पूरी ताकत से टूट पड़ा था | सब सबूत होने के बावजूद दिशा रवि रिहा हो गई | मोदी सरकार उसका बाल भी बांका नहीं कर पाई | अब कांग्रेस का पहला लक्ष्य कम्युनिस्टों के हाथ से विपक्ष की कमान छिनना है | राहुल गांधी अपनी राजनीतिक विफलताओं के बाद दूसरों से लड़ाई के तौर तरीके सीखने की कोशिश करते हैं | अब कांग्रेस ने टूलकिट बनाना सीखा है |

कोरोना मिस मेनेजमेंट पर मोदी सरकार को घेरने की टूलकिट बना कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भेजी गई  | जिस में मोदी के खिलाफ क्या क्या करना है , यह लिखा गया है | वह टूलकिट नफरत की घिनौनी राजनीति का जीता जागता सबूत है | कांग्रेस ने इस टूलकिट को उसी तरह नकार दिया है , जैसे चीन के राजदूत से राहुल की मुलाक़ात को नकारा गया था | कांग्रेस ने टूलकिट एक्सपोज करने वाले भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के खिलाफ एफआईआर अभियान चलाया है , तो उधर ट्विटर को अपना साथ देने के लिए राजी कर लिया है | अब लड़ाई ट्विटर बनाम मोदी सरकार हो गई है |

लेकिन वामपंथियों ने इस बीच नया एजेंडा हाथ में ले लिया है | इस बार पूरी कमान वामपंथी पत्रकारों ने संभाली है | उन्होंने मोदी की भावुकता की खिल्ली उड़ाना शुरू किया है | द वायर से ले कर एनडीटीवी तक और ट्विटर से ले कर फेसबुक तक सारे वामपंथी लिखाड़ मोदी के खिलाफ पिल पड़े हैं | क्योंकि यही वह मौक़ा है , जब कोविड मिसमेनेजमेंट के कारण युवा वर्ग मोदी से खफा हैं | इसी वक्त उन की भावनाएं भडका कर मोदी के खिलाफ खड़ा किया जा सकता है | इस लिए अपने लेखों में मोदी को कमजोर और असंवेदनशील बताया जा रहा है | लिखा जा रहा है कि वह मीडिया के सामने आँखों में आंसू ला कर कब तक देश को मूर्ख बनाते रहेंगे | प्रधानमंत्री को बार बार रोने धोने वाला नहीं , बल्कि संवेदनशील होना चाहिए |

असल में मोदी अब तक छह बार भावुक हो चुके हैं | गुलामनबी आज़ाद की राज्यसभा से विदाई और काशी के डाक्टरों से वर्चुअल बैठक में भावुक होना ताज़ा घटनाएं हैं | रोहित वेमूला की आत्महत्या , नोटबंदी के समय विरोध को शांत करने के लिए , फेसबुक के कार्यालय में मां पर सवाल पूछे जाने और बैलूरमठ में स्वामी विवेकानन्द का कमरा खोले जाने पर रोए थे | अपना भी मानना है कि देश के सभी नेताओं को भावुक नहीं संवेदनशील होना चाहिए | लेकिन सवाल यह है कि किसी के आंसुओं को संवेदनशीलता  बताने और किसी के आंसुओं को भावुकता बताने का पैमाना कहाँ से मिलता है | कोरोनावाय्र्स से हो रही मौतों पर मोदी के रोने को भावुकता और असंवेदनशीलता बता रहे हैं | बाटला हॉउस में आतंकवादियों के मरने पर सोनिया के आंसुओं को संवेदनशीलता बता रहे थे | वे जानबूझ कर लोगों की जान बचाने वाले डाक्टरों का आभार जताने के लिए भावुकता में निकले आंसुओं का मजाक उड़ा रहे हैं और लोगों की हत्या करने वाले आतंकवादियों की हमदर्दी में निकले आंसुओं को  संवेदन्शीलता बता रहे हैं | 

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