बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को यूपी का सीएम बना कर दो काम किए | एक तो अपने हिन्दू वोट बैंक को मजबूत कर लिया | दूसरे सेक्यूलर ब्रिगेड के जख्मों पर नमक छिड़क दिया | जनादेश इतना प्रचंड न होता | तो मीडिया में बैठा सेक्यूलर हल्ला ब्रिगेड हंगामा खडा कर चुका होता | आदित्य नाथ ने लोकसभा में अपने आख़िरी भाषण में अपना एजेंडा बता दिया था | दो टूक शब्दों में बता दिया था कि वह क्या करने जा रहे हैं | उनने कहा-"उत्तरप्रदेश में बहुत कुछ 'बंदी' होने जा रहा है |" उन के इस भाषण से पहले ही बूचडखानों की बंदी शुरू हो चुकी थी | लोकसभा में मुस्लिम सांसद बूचड़खानों की बंदी पर तिलमिलाए हुए थे | पर आदित्यनाथ ने कोई परवाह नहीं की | उन ने चिढाते हुए कहा-" अभी तो बहुत कुछ बंदी होगा |" और उन ने बंदियों की झड़ी लगा दी | गैरकानूनी तौर पर चल रहे बूचडखानों पर पाबंदी लगी | तो प्रभावित सिर्फ मुसलमान हुए | बड़े बड़े मगरमच्छ राजनीतिक मुस्लिम नेताओं के बूचड़खाने बंद हुए | मायावती और अखिलेश को इन बूचडखानों से अच्छी खासी आमदनी थी | ये दोनों सेक्यूलर नेता भैंसों-बैलों का नाजायज कत्लेआम करवा रहे थे | पर इन दोनों की हिम्मत नहीं हुई कि बूचडखानों की बंदी का विरोध करते | इस से एक बात साबित हुई कि पुलिस अपना काम नहीं कर रही थी | जैसे योगी आदित्यनाथ के इशारे पर बूचडखाने सील हुए | वैसे ही पहले मायावती और बाद में अखिलेश के इशारे पर पुलिस उन्हें चलने दे रही थी | अपनी उगाही भी जम कर करती होगी | पुलिस के अफसरों को भी हफ्ता वसूली का हिस्सा पहुंचता है | पर योगी के मुख्यमंत्री बनाने चौथे दिन ही नोयडा के 13 पुलिसिए एक ही दिन में सस्पेंड हुए | यूपी हो, दिल्ली हो, पंजाब हो या तमिलनाडू , पुलिस कहीं की भी हो | क़ानून के मुताबिक़ काम नहीं करती | राजनीतिक नेता अपने चेलों से अवैध काम करवा कर चन्दा वसूली करते हैं | पुलिस कार्रवाई न करने के बदले वसूली करती है | इसी तरह आईएएस अफसरों और मंत्रियो की भी मिलीभगत चलती है | इस मिलेजुले खेल में वसूली का धंधा फल फूल रहा है | उत्तराखंड में तो एक आईपीएस अफसर ने जंगल की जमीन पर कब्जा कर लिया था | जिसे ईनाम दे कर हरीश रावत ने पुलिस महानिदेशक बना दिया | एक और आईएएस अफसर था ,जिसे हरीश रावत ने चीफ सेक्रेटरी बना दिया | वह हरीश रावत का कमाऊ पूत था | इस लिए रिटायरमेंट के बाद भी चीफ सेक्रेटरी बनाए रखा | वह तो मोदी की आँखों पर चढ़ा, तो आदेश दे कर हटवाया गया | हरीश रावत ने उस के बाद भी स्पेशल तैनाती कर दी | जब राजनेता ऐसा करते हों , तो जरूर दाल में कुछ काला होता है | पर योगी ने कुर्सी संभालते ही बता दिया कि अब उन के दिन लद गए | पर अपन बात कर रहे थे बूचडखानों की | राजनीतिक नेताओं की तो नानी मर गई | सिवा सीता राम येचुरी के किसी ने खुल्लम खुल्ला अवैध बूचडखानों को बंद करने का विरोध नहीं किया | पर सोशल मीडिया पर वही सेक्यूलर ब्रिगेड जरूर दहाड़े मार कर रोया | जो कुछ दिन पहले तमिलनाडू में जलिकुट्टी को भेंसों से क्र्रूरता बता रहे थे | वे भैंसों-बैलों को ज़िंदा काटना बंद करने पर रोते हुए दिखाई दिए | इन में मुस्लिम पत्रकार भी थे, जो लखनऊ में टुंडे के कबाब न मिलने पर न्यूज चैनलों पर दहाड़े मार कर रोए | आज़म खान ने तो रोना ही था | कपिल सिब्बल भी टुंडे कबाब न मिलने पर रोए | योगी ने बूचडखाने ही बंद नहीं किए | उनने सेक्टरीएट में गुटका खाने पर रोक लगा दी | लखनऊ के सचिवालय का हर कोना थूकों से लाल हुआ पडा है | जैसे कोई जाहिलों का मोहल्ला हो | किसी मुख्यमंत्री ने सफाई की चिंता नहीं की थी | अपन को याद है, जब बीजेपी की आख़िरी सरकार थी | तब इम्तिहान में नक़ल पर पाबंदी लगी थी | बीजेपी सरकार गई और नक़ल का धंधा फिर शुरू हो गया | नेता नक़ल कराने का थोक धंधा करने लगे | नेताओं और पुलिस की मिलीभगत ने बदमाशों की चांदी कर दी | लड़कियों का अकेले घर से निकलना मुहाल हो गया था | बलात्कारी का बचाव करते हुए नेताजी कहते थे -" लडके हैं, लड़कों से गलतियां हो जाती हैं |" पर योगी ने सीएम बनते ही शोहदों की ऐसी पकड़ धकड़ करवा दी कि भागते फिर रहे हैं | हैरानी तो तब हुई जब विपक्ष ने बेशर्मी से संसद में हंगामा किया | पर योगी ने सरकार बदलने की असली धमक तो शुक्रवार को दिखाई | जब वह अखबार से खबर पढ़ बलात्कार और तेज़ाब का शिकार महिला को देखने अस्पताल जा पहुंचे | घबराई पुलिस ने एक घंटे में ही दोषियों को पकड़ लिया | यह है सुशाषण का सन्देश | जो देश के बाकी मुख्यमंत्री भी समझें |
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