अजय सेतिया / अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन 25 दिसम्बर पर किसानों को जारी की गई रूटीन 2000 रुपए की सम्मान राशि को कुछ लोग क्रिसमस के साथ जोड़ कर मोदी के हिंदुत्व पर सवाल उठा रहे हैं | यह सवाल राजनीतिक मसखरेपन के इलावा कुछ नहीं , सब जानते हैं कि मोदी ने यह वक्त सिर्फ भाजपा के नाराज और निराश वर्करों में उत्साह भरने या कम से कम वाजपेयी भक्तों को आकर्षित करने के लिए चुना है | वरना साल में तीन बार 2000 रुपया दो साल से दिया जा रहा है और उसे जारी करने का कभी कोई महूर्त तय नहीं किया गया था |
वाजपेयी के जन्मदिन को ही मोदी ने किसानों से सीधी बातचीत करने के लिए चुना , जिसे जिलों के डीएम आनलाईन प्रायोजित करते हैं , इस तरह के कई आनलाईन कार्यक्रम कई विषयों पर पहले भी प्रायोजित किए जा चुके हैं | कोरोनावायार्स से दुनिया भर में शुरू हुए वेबनारों से बहुत पहले मोदी ने अपनी योजनाओं के लाभार्थियों से बातचीत कर शुरू कर दिए थे | वाजपेयी के जन्मदिन पर किसानों से बातचीत करने का यह मौक़ा किसानों के आन्दोलन के चलते चुना गया | आन्दोलनकारियों ने कल रविवार को प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम के वक्त सारे देश में उसी तरह थालियाँ बजाने का एलान किया है , जैसे कोरोनावायरस को भगाने के लिए 22 मार्च को मोदी ने बजवाई थी | आन्दोलन का यह आविष्कार खुद मोदी ने किया था |
हालांकि आम आदमी पार्टी के दो सांसदों ने वाजपेयी के जन्मदिन पर किसानों की आवाज उठाने का अनोखा तरीका चुना , जिसका जिक्र अपन बाद में करेंगे , पहले मोदी की किसानों से हुई गुफ्तगू पर चर्चा कर लें | कुछ दिन पहले तक रात को टीवी चेनलों पर घुटनों का दर्द और पेट गैस ठीक करने का विज्ञापन चला करता था , हाल में बैठे लोग बताते थे कि पहले उन के घुटनों में इतना दर्द था कि वह चल फिर नहीं सकते थे , वे किचन से पानी का गिलास उठाने के लिए अपने बच्चों या नौकर पर निर्भर हो गए थे , फिर उन्होंने यह दवाई ली और अब वे हर रोज सुबह गार्डन में टहलते हैं | इसी तरह पेट गैस की बीमारी के किस्से बताए जाते थे , किसी दवा के प्रचार का यह तरीका भारत में काफी लोकप्रिय हुआ था | ठीक उसी तरह मोदी अपनी सरकार के कार्यक्रमों के लाभार्थियों को टीवी के माध्यम से जनता से रु-ब-रु करवाते हैं |
वाजपेयी के जन्मदिन को किसानों से सीधी बातचीत के लिए चुन कर मोदी ने पहले उन नए कृषि कानूनों और 2000 रूपए के लाभार्थियों से मिलवाया , फिर किसानों को गुमराह कर रहे विपक्षी दलों की खाल खींची | पर कांग्रेसियों की नौटंकी की असली बखिया तो भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गुरूवार को ही उधेड़ दी थी , जब उन्होंने सोनिया गांधी के भाषण का वह पुराना वीडियो जारी कर दिया , जिस में वह किसानों के उत्पादों की खरीद में बिचौलियों को हटाने की मांग कर रही हैं | सोनिया , राहुल , प्रियंका और कांग्रेस घोषणा पत्रों के अनेक सबूत सामने आ चुके हैं , जिन में उन्होंने मंडियों के एकाधिकार को खत्म करने और कृषि को आधुनिक बनाने के लिए में पूंजी निवेश की बातें कहीं थीं | इतना ही नहीं मनमोहन सिंह ( असल में सोनिया गांधी की ) सरकार के समय कई राज्यों में कांट्रेक्ट फार्मिंग शुरू हुई थी और किसानों को फायदा भी हुआ था | इस सम्बन्ध में कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों की बैठक के बाद राहुल गांधी की प्रेस कांफ्रेंस का वीडियो सामने आ चुका है | इस के बावजूद गुरूवार को भाई बहनों ने कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए राष्ट्रपति को ज्ञापन देने की नौटंकी की |
मोदी प्रधानमंत्री के नाते अपनी नीतियों से लाभार्थी किसानों को दिखा कर आंदोलनकारियों को लुभाने की कोशिश कर रहे थे , अपने राजनीतिक दुश्मनों को भी निपटा रहे थे | जहां उन्होंने कांग्रेस को निपटाया , वहीं केरल में एपीएमसी एक्ट ही नहीं होने पर कम्युनिस्ट पार्टी को भी कटघरे में खड़ा किया , उन्हीं का दिमाग इस आन्दोलन के पीछे है | हाथों हाथ ममता बेनर्जी को भी निपटाया , जिस ने किसान सम्मान निधि को अभी तक हरी झंडी नहीं दी है , जबकि बंगाल के 23 लाख किसान सीधे आवेदन कर चुके हैं | बंगाल भाजपा का अगला टार्गेट है , तो अब ममता का जिक्र हर बात में आएगा ही |
पर विरोध का अनोखा तरीका अपना कर खुद की बखिया आम आदमी पार्टी के दो सांसदों संजय सिंह और भगवंत मान ने उधेड़ी | हालांकि नए क़ानून के तहत केजरीवाल मंडियों का नोटिफिकेशन कर चुके हैं, पर पंजाब में जल्द चुनावों की आहट देख कर पैंतरा बदल कानूनों का प्रबल विरोध शुरू क्र दिया है ,अब नए नए तरीके अख्तियार कर विरोध में कांग्रेस से आगे निकल रही है , भले ही फिर संसद की मर्यादा भंग हो तो हो | राज्यसभा में सक्रेटरी जनरल के टेबल पर चढ़ कर मर्यादाहीनता का रिकार्ड बनाने वाले संजय सिंह ने वाजपेयी के जन्मदिन पर संसद के सेंट्रल हाल में श्रद्धांजली कार्यक्रम में विघ्न डालते हुए कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी की | हालांकि आप के राज्यसभा के बाकी दो सांसद दिखाई नहीं दिए , जिनकी नियुक्ति पर केजरीवाल की ईमानदारी पर सवाल उठे थे |
आपकी प्रतिक्रिया