टीएमसी बनेगी कांग्रेस का विकल्प ?

Publsihed: 26.Nov.2021, 08:30

अजय सेतिया / ममता बनर्जी ने 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए यूपी और गोवा को टार्गेट करने की रणनीति बनाई है । वह अखिलेश यादव के साथ चुनावी तालमेल करेंगी । अखिलेश यादव ने अरविंद केजरीवाल और जयंत चौधरी से भी तालमेल शुरू कर दिया है । उन्होंने 2017 का विधानसभा चुनाव राहुल गांधी के साथ मिलकर लड़ा था । ख़ुद को चुनावी राजनीति के धुरंधर माननेवाले प्रशांत किशोर ने अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी बनवाईं थी । याद होगा मोदी की चाय पर चर्चा के जवाब में प्रशांत किशोर ने अखिलेश यादव और राहुल गांधी की खाट रैली करवाई थी । प्रशांत किशोर का दावा था कि 2014 के लोकसभा चुनाव में जब वह नरेंद्र मोदी के रणनीतिकार थे , तब चाय पर चर्चा उन्हीं का आईडिया था । पर यूपी में प्रशांत किशोर की चुनावी रणनीति की चूलें हिल गई थी । यूपी में भाजपा को चुनाव जितवा कर अमित शाह ने ख़ुद को चुनावी राजनीति का धुरंधर घोषित कर दिया था । हालाँकि लोकतंत्र में कोई ख़ुद को चुनाव जितवाने का ठेकेदार घोषित नहीं कर सकता । 2017 में यूपी ने प्रशांत किशोर का घमंड चकनाचूर कर दिया था । तो अमित शाह की रणनीति भी केरल , दिल्ली , राजस्थान और बंगाल में नहीं चली थी । चुनाव की असली मालिक जनता ही होती है । अपन बात कर रहे थे यूपी की । तो 2017 में जब अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी पिट गई थी तो सोशल मीडिया पर मुलायम सिंह सोनिया गांधी को फ़ोन बहुत पापुलर हुआ था । जो वास्तव में मुलायम सिंह की मिमिकरी थी । जिसमें मुलायम सिंह ने यूपी की भाषा में सोनिया गांधी को कहा था कि तुम्हारे लौंडे ने म्हारे लौंडे की भी लुटिया डुबो दी । शायद इस का एहसास अखिलेश को भी हो गया था । इसलिए उन्होंने राहुल गांधी से किनारा कर लिया था । अब जब अखिलेश ने ममता , केजरीवाल और जयंत चौधरी से तालमेल बनाना बनाना शुरू कर दिया है । तो कांग्रेस लाचारी की हालत में है, वह यूपी में न तीन में रही , न तेरह में । पीएल पूनिया की यह बात हास्यास्पद है कि कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया है । यह बयान कांग्रेस की लाचारी को ही दर्शाता है । ख़ैर जो लोग प्रियंका वाड्रा को कांग्रेस का तुरुप का पत्ता बताते रहे थे । अब उनकी दूरदर्शिता और प्रियंका वाड्रा का इम्तिहान हो जाएगा जो यूपी की इंचार्ज भी है ।

चलिए अपन ममता बनर्जी पर लौटते हैं । मोदी , राहुल और नीतीश कुमार से मोह भंग के बाद अब प्रशांत किशोर इन तीनों सबक़ सिखाने के लिए ममता पर दांव लगा रहे हैं । उनने ममता को मोदी का राष्ट्रीय विकल्प बनाने का सपना दिखा दिया है । वह कांग्रेस के प्रादेशिक नेताओं को समझा रहे हैं कि सोनिया-राहुल-प्रियंका से कुछ नहीं होगा । ममता विकल्प बन सकती है । राहुल गांधी की बचकाना राजनीति से हताश प्रादेशिक कांग्रेसियों को भी यह बात समझ आने लगी है । इसलिए गोवा के पूर्व कांग्रेस सांसद लुई जिन्हों फलेरियो , यूपी , मुंबई से गोवा में जा बसी फ़िल्मी हीरोईन और कांग्रेस नेता नफ़ीसा अली , असम की सुष्मिता देव से लेकर बिहार के कीर्ति आज़ाद और पवन वर्मा और हरियाणा के अशोक तंवर तक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं । और अब मेघालय की लगभग सारी कांग्रेस तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गई है । विपक्ष के नेता मुकुल संगमा समेत 17 में से 12 कांग्रेसी विधायकों का सोनिया परिवार को धत्ता बता कर तृणमूल में शामिल होना कोई छोटी घटना नहीं है । यह सोनिया और राहुल गांधी दोनों के नेतृत्व पर सवाल है । क्योंकि सितंबर में विंसेट पाला को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने से ख़फ़ा मुकुल संगमा ने कोलकाता जा कर ममता बनर्जी से मुलाक़ात की थी । राहुल गांधी ने जो गलती पंजाब में अमरेन्द्र सिंह के विरोधी नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना कर की थी , वही गलती उनने पाला को मेघालय प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना कर की । जिस तरह अमरेन्द्र सिंह ने राहुल गांधी से ख़फ़ा हो कर कांग्रेस छोड़ी । उसी तरह मुकुल संगमा 12 विधायक ले उड़े । पर पते की बात यह कि ममता बनर्जी ने ख़ुद को सोनिया गांधी से बड़ा नेता बताना शुरू कर कर दिया है । वह लगातार कांग्रेस में सेंध लगाकर कांग्रेस को कमजोर तो कर ही रही थी , अब मंगलवार को अपने दिल्ली दौरे के दौरान सोनिया से मुलाक़ात नहीं कर के उन्हें यह एहसास भी करवा दिया है । ममता का सपना मेघालय में कांग्रेस से विपक्ष के नेता की हैसियत छिनना नहीं है । ममता का मक़सद राष्ट्रीय स्तर पर सोनिया गांधी से विपक्ष के नेता की हैसियत छिनना और मोदी का विकल्प बनना है । प्रशांत किशोर ने यही सपना दिखाया है ।
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