अजय सेतिया / अमेरिका में चल रही संयुक्त राष्ट्र की बैठक के दौरान अपना ध्यान भारत , अमेरिका और [पकिस्तान पर टिका रहना स्वाभाविक है | भारत और पाकिस्तान का मीडिया डोनाल्ड ट्रम्प की बाडी लेंग्वज से अंदाजे लगा कर बता रहा है ट्रम्प कब भारत की तरफ झुके और कब पाकिस्तान की तरफ | ट्रम्प ने एक दिन पाकिस्तानी मीडिया का मजाक उड़ाया और दूसरे दिन भारतीय मीडिया के सवालों पर भी चुटकी ली | पर महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर कूटनीतिक विजय हासिल कर ली है | हालांकि मंगलवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मुहम्मद कुरैशी ने ट्रम्प के इस बयान को पाकिस्तान की जीत बताया था , जिस में उन्होंने एक बार फिर मध्यस्थता की ख्वाहिश जाहिर की थी | अपन इसे मध्यस्थता की पेशकश नहीं कह सकते , क्योंकि ट्रम्प ने कहा है कि अगर दोनों प्रधानमंत्री चाहें तो वह तैयार हैं |
पाकिस्तान के मीडिया में अपने ही विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री की खिल्ली उडाई जा रही है | “दि डान” में जाहिद हुसैन ने सम्पादकीय में लिखा है _” यह स्पष्ट नहीं है ट्रम्प-इमरान की 45 मिनट की मीटिंग में क्या हुआ , लेकिन ट्रम्प की मध्यस्थ बनने की पेशकश को बेवजह महत्व दिया जा रहा है | इस तरह की पेशकाश या तो पाकिस्तान के कहने पर हुई है या पाकिस्तानी पत्रकार के सवाल के जवाब में हुई है | इस तरह के चलताऊ बयान को पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान की कूटनीतिक जीत बता दिया , जब कि उन्होंने यह देखा ही नहीं कि ट्रम्प ने यह पेशकश सशर्त की है | शर्त यह है कि भारत भी तैयार हो , और हम सब को पता है कि भारत का स्टेंड क्या है | “
डान अखबार ने हाऊडी मोदी रैली को भारत का पाकिस्तान का “कूटनीतिक तख्ता पलट” लिखा है | यानी पाकिस्तान के बोद्धिक वर्ग का मानना है कि हाऊडी मोदी रैली कर के मोदी ने पाकिस्तान की कूटनीति का बंटाधार कर दिया | असल में इसे इमरान खान ने खुद भी कबूल कर लिया है कि वह 370 के मुद्दे पर दुनिया का समर्थन पाने में नाकाम हो गए हैं | इमरान ने मंगलवार को कहा-“अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मुझे निराश किया है.......मोदी पर अब तक कोई दबाव नहीं है... लेकिन हम दबाव बनाना जारी रखेंगे..." जिस प्रेस कॉन्फ्रेंस में इमरान यह बोल रहे थे, उसमें विदेशमंत्री शाह महमूद कुरैशी तथा संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी भी मौजूद थे | हालांकि इमरान खान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से कश्मीर पर पाकिस्तान के पक्ष को नज़रअंदाज़ किए जाने का कारण भारत की आर्थिक स्थिति और वैश्विक प्रभुत्व बताया | निराश इमरान ने कहा- "वजह यह है कि लोग भारत को 120 करोड़ लोगों के बाज़ार के तौर पर देखते हैं..."
इधर भारत में ट्रम्प के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया हुई है , जिस में ट्रम्प ने मोदी को “फादर आफ इंडिया” कह दिया | यह कुछ ज्यादा ही हो गया | वह इस लिए भी क्योंकि मोदी खुद भी अपने को “सन आफ इंडिया” (भारत का बेटा) मानते हैं , देश की जनता उम्मींद करती है कि मोदी भारत आ कर अपना स्पष्टीकरण देंगे | क्योंकि राष्ट्र पिता का खिताब पहले से महात्मा गांधी के पास है , मोदी आज कल वैसे भी गांधी-गांधी रट रहे हैं और खुद को गांधी का अनुआई साबित करने की कोशिश कर रहे हैं | हालांकि अगर ट्रम्प ने मोदी को फादर आफ इंडिया कहा तो इस में बेचारे मोदी का तो कोई कसूर नहीं , लेकिन उन के विरोधी कांग्रेसियों को उन पर प्रहार करने का बहाना मिल गया , जो लम्बे समय से संघ-भाजपा को गांधी का हत्यारा कहती रही है |
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