कैसी होगी राहुल गांधी की संगठन टीम 

Publsihed: 23.Nov.2017, 22:23

अजय सेतिया / गुजरात विधानसभा चुनाव के फौरन बाद राहुल गांधी कांग्रेस की कमान सम्भाल लेंगे | गुजरात की हार, जीत से इस का कुछ लेना देना नहीं | राहुल गांधी ने पार्टी को खडा करना शुरू कर दिया है | गुजरात में अशोक गहलोत को जिम्मेदारी देना उसी कड़ी का कदम है | हालांकि अहमद पटेल इस चुनाव में कहीं दिखाई नहीं दे रहे | पर इस का मतलब यह नहीं कि वह राहुल की टीम से बाहर हो रहे हैं | वह राहुल की टीम में भी बने रहेंगे | गुजरात में अहमद पटेल को जानबूझ कर परदे के पीछे किया गया है | अल्पसंख्यकों को साधने का एजेंडा पादरियों-मुल्लाओं को दे दिया गया है | गांधीनगर चर्च के आर्कबिशप  राष्ट्रीय ताकतों के खिलाफ वोटिंग की अपील करते रंगे हाथों पकडे गए हैं | उन ने ईसाईयों को लिखी चिठ्ठी में कहा है -" राष्ट्रवादी ताकते देश को अपने नियन्त्रण में लेने वाली हैं |" पर इस बहाने उन ने भाजपा को राष्ट्रवादी और भाजपा विरोधियों  को राष्ट्रद्रोही कह दिया | भाजपा को इस से फायदा ही होगा | पर कांग्रेस खुद अल्पसंख्कों के तुष्टिकरण की  कोई बात नहीं करेगी | कांग्रेस का एजेंडा 2019 तक कांग्रेस को मुस्लिम तुष्टिकरण से बाहर निकालना है |  इस लिए अशोक गहलोत को आगे कर के गुजरात से इस की शुरुआत की गई है | जानबूझ कर दिग्विजय सिंह को किनारे किया गया | वह अच्छे चुनाव रणनीतिकार हैं | पर मुस्लिम तुष्टिकरन वाले अपने बयानों से सारा गुड गौबर कर देते हैं | अशोक गहलोत की तैनाती अहमद पटेल की सिफारिश पर ही की गई | अहमद पटेल खुद का देवी की पूजा करते हुए फोटो लीक किया गया है | इसी रणनीति के तहत राहुल गांधी को मंदिर मंदिर घुमाया गया | यह रणनीति कारगर साबित हुई है | भाजपा के नेता अब कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप नहीं लगा रहे | पर फ्रस्ट्रेशन में भाजपा के प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा ने राहुल की तुलना खिलजी से कर डाली | यह भाजपा की वैसी ही गलती है , जैसी यूथ कांग्रेस ने मोदी का कार्टून जारी कर के की थी | इस कार्टून में मोदी की कमजोर अंगरेजी का मजाक उड़ाते हुए कहा गया था-"तू चाय बेच |" यह कार्टून कांग्रेस को भयंकर बैक  फायर कर गया | भाजपा ने अपनी फौजों को चारों तरफ से हमलावर कर दिया | मोदी समर्थक विजुअल मीडिया ने प्राईम टाइम शौ कर के मुद्दे को हवा दी | नरसिम्हा का बयान उस कार्टून से कहीं ज्यादा खतरनाक है | पर कांग्रेस न तो सोशल मीडिया पर भुना पाई, न मेन लाईन मीडिया पर | यह कांग्रेस की लुंज-पुंज रणनीति का प्रूफ है | ट्विटर पर भाड़े के टटू बिठा कर मोदी पर हमले करवाना | मोदी के खिलाफ कार्टून बनवाना | राहुल गांधी के नाम से टिप्पणियाँ करवाना अलग बात है | विपक्ष की गलती को पकड कर चारों तरफ से बमबारमेंट करना अलग बात | जो राजनीतिक रणनीति से ही बनती है | अकेले बेचारे अशोक गहलोत क्या करेंगे | अशोक गहलोत वैसे भी सीधे सादे ईमानदारी से राजनीति करने वाले हैं | ऐसी रणनीति के लिए अजित जोगी जैसे शातिर चाहिए, जो अब कांग्रेस में है नहीं | राहुल गांधी को अपनी टीम अशोक गहलौत जैसे बेदाग़ और अजित जोगी जैसे लोगों की बनानी होगी | अब साफ़ सुथरी राजनीति का वह ज़माना गया | राहुल गांधी ने एक बार कांग्रेस से कहा था कि उन्हें केजरीवाल से सीखना चाहिए | पर राहुल गांधी को चुनावी रणनीति अमित शाह से सीखनी चाहिए | सोचो राहुल गांधी पर की गई खिलजी वाली टिप्पणी का जवाब अगर प्रियंका गांधी से दिलाया होता | तो बवाल खडा होता या नहीं | एक तीर से दो निशाने हो सकते थे | एक तो पद्मावती के मुद्दे पर मौन बैठी कांग्रेस का स्टैंड प्रो-हिन्दू हो जाता | गुजरात चुनाव के मौके पर वह कांग्रेस की हिन्दू लाईन के अनुरूप होता | दुसरे भाजपा कटघरे में खडी होती | पर कांग्रेस को कब क्या करना चाहिए , यह बताने वाले रणनीतिकार नहीं | कांग्रेस के पास कोई एक गोबिन्दाचार्य नहीं | कांग्रेस के पास कोई एक संजय जोशी नहीं | गोबिन्दाचार्य अगर वाजपेयी की आँख की किरकिरी नहीं बनते | तो आज भाजपा अध्यक्ष होते | संजय जोशी अगर नरेंद्र मोदी की आँख की किरकिरी नहीं बनते | तो वह आज भाजपा अध्यक्ष होते | भाजपा के पास इतने रणनीतिकार होते हैं कि वे आपस में कट मरते हैं | पर कांग्रेस के पास रणनीतिकार ही नहीं है | खासकर राहुल की टीम इतनी कमजोर है कि उस पर टिप्पणी भी क्या करें | राहुल गांधी की सीनियर लोगों से ज्यादा पटती नहीं | उन की हम उम्रों से ही पटती है, जो मौज मस्ती में भी साथ दें | पर अब उन्हें मौजमस्ती छोड़ कांग्रेस की बागडौर संभालनी होगी | अगर उन ने अनुभवियों से तालमेल न बिठाया , तो वह पार्टी अध्यक्ष के नाते भी फेल होंगे | यह बात सोनिया गांधी को भी पता है | सो विचार चल रहा है कि क्या राहुल के साथ एक अनुभवी उपाध्यक्ष दिया जाए | या दो-तीन अनुभवी उपाध्यक्ष बना दिए जाएं | राजीव गांधी परिवार के करीबी सतीश शर्मा ने कारगर सुझाव दिया है | उन का सुझाव है कि राहुल की टीम में प्रियंका वढेरा को पार्टी महासचिव बनाया जाए | इतना तय है कि राहुल उपाध्यक्ष के नाते पांच साल के अनुभव से सबक लेंगें | युवाओं को जोड़ते हुए अनुभवियों की टीम बनानी होगी | और बदली राजनीति के मुताबिक़ कुछ शातिर भी 

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